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गाजा में इजराइल की साजिश का पर्दाफाश: 282 युद्ध विराम उल्लंघन, वेस्ट बैंक में 15 गिरफ्तारियां

Gaza Transit Scheme: इजराइल की मदद से गाजा के 153 फिलिस्तीनी परिवार दक्षिण अफ्रीका पहुंचे, लेकिन दस्तावेजों की कमी के कारण विवाद बढ़ा है।

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भारत

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MI Zahir

Nov 15, 2025

Gaza Transit Scheme

इजराइल की युद्धविराम घोषणा के बावजूद गाजा में मुसीबतें। (फोटो: द वॉशिंगटन पोस्ट.)

Gaza Transit Scheme: गाजा पट्टी में फिलिस्तीनियों की जिंदगी हर रोज नई मुश्किलों से जूझ रही है। जंगबंदी का नाटक हो रहा है और इजराइल (Israel Ceasefire Violations) अपनी मनमानी कर रहा है। एक रहस्यमयी योजना (Gaza Transit Scheme) के तहत इजराइल की मदद से सैकड़ों परिवार दक्षिण अफ्रीका पहुंचे हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह इजराइल का गाजा को खाली (Gaza Transit Scheme) करने का एक तरीका है। एक गैर-लाभकारी संगठन अल-मज्द यूरोप ने इसकी व्यवस्था की, लेकिन कई सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं। परिवारों को गाजा से बस में बैठाया गया, पीली रेखा पार कराई गई, जो इजराइली सेना के नियंत्रण में है। फिर केरेम शालोम क्रॉसिंग से रामोन एयरपोर्ट तक ले जाया गया। वहां से नाइरोबी होते हुए जोहान्सबर्ग पहुंचे। एक परिवार के सदस्य लोय अबू सैफ ने बताया कि उन्हें सफर के अंत तक मंजिल नहीं पता थी। दक्षिण अफ्रीका पहुंचने पर दस्तावेजों की कमी के कारण 12 घंटे प्लेन पर ही रुके रहे।

यह कैसी उलझी हुई आजादी

यह योजना विवादों में है। फिलिस्तीनी विदेश मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि ऐसी कंपनियां मानवीय संकट का फायदा उठा रही हैं। वे पैसे लेकर परिवारों को धोखा दे रही हैं। दक्षिण अफ्रीका सरकार ने जांच शुरू की है। राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने कहा कि यह 'असामान्य' लगता है। इजराइल की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि बिना इजराइली मंजूरी के ऐसा संभव नहीं है। अल-मज्द यूरोप की वेबसाइट पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है, जो शक बढ़ा रही है। लेखक एंटनी लोवेनस्टीन ने इसे 'डिजास्टर कैपिटलिज्म' कहा है, यानि दूसरों की तकलीफ से कमाई। अब तक 40,000 फिलिस्तीनी गाजा छोड़ चुके हैं, लेकिन जरूरी मेडिकल निकासी रुक रही है।

गाजा में सेंसरशिप का उल्लंघन बढ़ रहा

इजराइल ने गाजा में अक्टूबर 10 से नवंबर 10 तक कम से कम 282 बार समझौते तोड़े। गाजा मीडिया ऑफिस के मुताबिक, हवाई हमले, तोपखाने की गोलीबारी और सीधी फायरिंग से 242 फिलिस्तीनी मारे गए व 622 घायल हुए। वहीं नागरिकों पर 88 बार गोली चलाई गई, 124 बम गिराए गए और 52 संपत्तियां तोड़ी गईं। पीली रेखा के पार 12 बार घुसपैठ की गई। मानवीय सहायता भी रुकी हुई है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, सिर्फ 3,451 ट्रक ही गाजा पहुंचे, जबकि रोजाना जरूरी 600 ट्रक होने चाहिए। वर्ल्ड फूड प्रोग्राम कहता है कि भोजन की आधी जरूरत भी पूरी नहीं हो रही। यह सब समझौते के बावजूद हो रहा है।

वेस्ट बैंक में स्थिति और खराब

संयुक्त राष्ट्र के ओचाहा की रिपोर्ट कहती है कि जनवरी से अब तक 1,500 से ज्यादा फिलिस्तीनी बिना परमिट के घर टूटने के कारण बेघर हुए। एरिया सी में 1,000 और पूर्वी यरुशलम में 500 प्रभावित हुए। जेनिन, नूर शाम्स और तुलकरम कैम्पों में 1,460 इमारतें नष्ट या क्षतिग्रस्त हुईं। नवंबर 4 से 10 के बीच इजराइली सेना ने चार फिलिस्तीनियों को मारा, जिनमें तीन बच्चे शामिल थे। वहीं जनवरी से 45 बच्चे मारे गए। सेना ने नब्लस, कल्किल्या और जेनिन में छापेमारी की। नब्लस के बालाटा और अस्कर कैम्पों में चार युवकों को पकड़ा गया। कल्किल्या में छह, जिनमें पूर्व कैदी शामिल है। वाफा न्यूज के अनुसार, कुल 15 गिरफ्तारियां हुईं।

परिवार घंटों पानी निकालते रहे

सर्दी की शुरुआत ने गाजा को और परेशान कर दिया। भारी बारिश से तंबू डूब गए। गाजा सिटी के विस्थापन कैम्पों में परिवार घंटों पानी निकालते रहे। हिंद खौदरी ने दिर एल-बलाह से रिपोर्ट किया कि दो साल पुराने तंबू टूट रहे हैं। बच्चे नंगे पैर सड़कों पर घूम रहे हैं। सिविल डिफेंस को दर्जनों कॉल आए। खान यूनिस के अल-मावासी क्षेत्र में सैकड़ों तंबू प्रभावित हुए। इधर संयुक्त राष्ट्र चेतावनी दे रहा है कि लाखों परिवारों के पास सर्दियों के कपड़े या जूते नहीं हैं।

शांति समझौते के बावजूद संघर्ष जारी

ये घटनाएं साबित करती हैं कि शांति समझौते के बावजूद संघर्ष जारी है। फिलिस्तीनियों को स्थायी आश्रय, सहायता और सुरक्षा चाहिए। दक्षिण अफ्रीका जैसे दोस्त देश मदद कर रहे हैं, लेकिन इजराइली प्रतिबंध बाधा हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दबाव डालना होगा। फिलिस्तीनी परिवारों की तकलीफ खत्म करने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। वरना मानवीय संकट और गहरा जाएगा।