शॉर्ट-रेंज प्रोजेक्टाइल से हुई हमास प्रमुख इस्माइल हनिया की हत्या, जानिए कैसा होता है ये घातक हथियार ?
Ansar al-Mahdi Ismail Haniyeh killed in Iran : 10 अप्रैल को हुए इसराइली हमलें में इस्माइल हनिया का परिवार भी मारा गया था। इसमें हनिया के तीन बेटे और चार पोते शामिल थे। इसराइल इनकी गाड़ी पर एक साथ ही तीन मिसाइल दागी थी। इसराइल ने उस समय कहा था कि हनिया के बेटे हमास की तरफ से लड़ाई कर रहे थे।
हमास राजनीतिक प्रमुख इस्माइल हनिया को बीते बुधवार को इसराइली ने एक हमले में मार गिराया। 62 वर्षीय हनिया की मौत के बाद हमास से लेकर फलस्तीनी समूह हड़कंप मच गया। तेहरान में ईरान के राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह से पहले इस हत्याकांड को इसराइल ने कैसे अंजाम दिया गया। इसका सिरा किसी को समझ में नहीं आ रहा था। 72 घंटों की जांच के बाद अब ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) ने इसका खुलासा किया है। IRGC ने बताया है कि इस्माइल हनिया की हत्या शॉर्ट-रेंज प्रोजेक्टाइल से की गई। इसे करीब सात किलोग्राम का वॉरहेड लगाया गया था। इसे मेहमानों की रहने वाली जगह के बाहर से लांच किया गया है। इसके ही विस्फोट से हनिया की जान चली गई।
गौरतलब है कि 10 अप्रैल को हुए इसराइली हमलें में इस्माइल हनिया का परिवार भी मारा गया था। इसमें हनिया के तीन बेटे और चार पोते शामिल थे। इसराइल ने इनकी गाड़ी पर एक साथ ही तीन मिसाइल दागी थी। इसराइल ने उस समय कहा था कि हनिया के बेटे हमास की तरफ से लड़ाई कर रहे थे। हनिया ने इस बात का खंडन किया था। हनिया को हमास में काफी उदार समझा जाता था। इस घटना के बाद भी जब उनसे संघर्षविराम को लेकर चल रही वार्ता के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि फलस्तीन का हित सबसे ऊपर है।
मिसाइल के सहारे मुंह छिपा रहा है ईरान : मेजर गौरव आर्या (सेवानिवृत्त)
प्रक्षेपास्त्र से हनिया की हत्या को लेकर मेजर गौरव आर्या (सेवानिवृत्त) इत्तेफाक नहीं रखते हैं। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा है कि जब किसी दूसरे देश की नेता की हत्या किसी देश में हो जाती है तो उस देश के लिए सबसे शर्मनाक स्थिति होती है। यही ईरान की प्रोजेक्टाइल थ्योरी में नजर आ रही है। मेजर गौरव आर्या कहते हैं कि ईरान इस बात कतई स्वीकार नहीं करेगा कि उसकी सबसे अच्छे बल अंसार-अल-महदी का कोई सदस्य मिल गया था। वह यही कतई स्वीकार नहीं करेगा कि मोसाद ने इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड के किले को तोड़ते हुए इस्माइल हनिया को मौत के घाट उतार दिया। सबसे बड़ी बात यह कि ईरान इस्लाम का स्वयंभू किला समझता था। इस हमले से वह भी टूट गया।
सही वक्त और सही जगह पर दिया जाएगा हमले का जवाब : IRGC
कॉर्प्स ने आरोप लगाया है कि इस हमले को अमरीकी सरकार के सहयोग से अंजाम दिया गया है। अब इसका बदला लिया जाएगा। इसराइल को सही समय और स्थान पर जवाब दिया जाएगा। गौरतलब है कि हमास राजनीतिक प्रमुख इस्माइल हनिया मंगलवार को राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए तेहरान आमंत्रित किया गया था। यहीं उनकी और उनके बॉडीगार्ड की हत्या हो गई।
हनिया की मौत के बाद आपस में ही लड़ेंगे हमास लड़ाके
हमास राजनीतिक प्रमुख इस्माइल हनिया की हत्या के बाद हमास के अंदरूनी गुटों में लड़ाई तेज हो सकती है। हमास में राजनीतिक प्रमुख दो साल के लिए बनाया जाता है। इस नियम के तहत 2025 में नए प्रमुख का चुनाव किया जाना था लेकिन हनिया की हत्या के बाद ही इस प्रमुख पद के लिए प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है। हनिया की भूमिका सैन्य गतिविधियों में ज्यादा नहीं थी। वजह यही थी कि वह हमास के अन्य नेताओं के मुकाबले खुलेआम घुमते थे।
इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) के भरोसे में गई जान
हमास प्रमुख इस्माइल हनिया की जान एक लापरवाही भरे भरोसे के कारण गई। हमास प्रमुख ईरान के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले क्षेत्र के एक ही मेहमान घर में पिछले कई बार से रूक रहे थे। इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) पर उन्हें भरोसा हो गया था। यही गलती हनिया पर भारी पड़ी। इसराइली खुफिया एजेंसी ने इस बात का पता लगा लिया और इसके बाद उसने अपना जाल बिछाकर पूरी तैयारी के साथ उस मेहमान घर को निशाना बनाया।
क्या होता है शॉर्ट-रेंज प्रोजेक्टाइल?
Short range projectile यानी कम दूरी से दागा जाने वाला प्रक्षेपास्त्र होता है। आम समझ के लिए इसके उदाहरण के तौर पर एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल को लिया जा सकता है। यह कुछ भी हो सकता है। यह मिसाइल, ड्रोन या फिर कोई अन्य माध्यम भी हो सकता है। इसके माध्यम से काफी विध्वसंक कार्रवाई को अंजाम दिया जा सकता है। ईरानी सेना की बात सही मान लें तो इसी माध्यम से इस्माइल हनिया की भी हत्या की गई है।
जानिए हनिया कैसे बना हमास का मुखिया?
हमास का राजनीतिक प्रमुख इस्माइल हनिया का जन्म 1962 में गजा के एक शरणार्थी शिविर में हुआ था। अरब इसराइल युद्ध 1948 के दौरान हनिया के माता-पिता अपना घर छोड़कर चले गए थे। हनिया ने बड़े होने के बाद इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ़ ग़ज़ा में अरबी साहित्य की पढ़ाई की और फिर यहीं से इस्लामिक आंदोलन में शामिल हो गए। 1993 में विश्वविद्यालय के डीन बनें। 1997 में जब हमास संस्थापक अहमद यासीन को 1997 में इसराइल ने रिहा किया तो हनिया उनके सहायक नियुक्त किए गए। दोनों की दोस्ती बढ़ी तो फिर हनिया का हमास में कद बढ़ता गया। 2003 में इसराइल ने एक हमला किया तो दोनों ही उसमें मामूली रूप से घायल हो गए।
इस हमले के कुछ दिन बाद ही अहमद यासीन को नमाज के बाद गोली मार दी गई। हनिया को 1989 में इसराइल ने 1989 में तीन साल के लिए कैद कर लिया। वह इसराइल और लेबनान के बीच एक नो-मेंस लैंड में एक साल तक रहे। निर्वासन पूरा के बाद 1997 में अहमद यासीन के कार्यालय का प्रमुख नियुक्त किया गया। यहां से हैसियत बढ़ गई। 2006 के चुनाव में मिली जीत के बाद 20 फ़रवरी 2006 में इस्माइल हनिया को फ़लस्तीनी प्राधिकरण का प्रधानमंत्री बना दिया गया। एक साल बाद ही हनिया को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद 2017 में हनिया को हमास का राजनीतिक प्रमुख बना दिया गया। अमेरिका ने 2018 में हनिया को आतंकी घोषित कर दिया।
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