
US weapons (Photo - Bloomberg)
चीन (China) और ताइवान (Taiwan) के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। दोनों देशों के बीच सालों से बनी हुई तनाव की स्थिति जगजाहिर है। दोनों देशों के बीच चल रहा विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के बाद से ही इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि चीन भी भविष्य में ताइवान पर कब्ज़ा करने के लिए हमला कर सकता है। इसी बीच ताइवान की मदद के लिए अमेरिका (United States Of America) ने एक बड़ा फैसला लिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के प्रशासन ने ताइवान को 11 बिलियन डॉलर (करीब 99 हज़ार करोड़) के हथियार देने का फैसला लिया है। इन हथियारों की बिक्री जल्द ही शुरू की जाएगी, जिससे ताइवान की सैन्य ताकत बढ़ाई जा सके। इन हथियारों में HIMARS रॉकेट सिस्टम, होवित्ज़र तोपें, जैवलिन एंटी-टैंक मिसाइलें, अल्टियस लोइटरिंग ड्रोन और उपकरणों के स्पेयर पार्ट्स शामिल हैं।
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने अमेरिकी फैसले का स्वागत किया है। कुछ समय पहले ही ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते (Lai Ching-te) ने ताइवान के रक्षा बजट को 40 बिलियन डॉलर्स तक बढ़ाया जाएगा, जिसकी भारतीय करेंसी में वैल्यू करीब 3.5 लाख करोड़ रुपये है।
अमेरिका के इस फैसले से चीन से उसकी टेंशन बढ़ेगी। दरअसल चीन और ताइवान 1949 में एक-दूसरे से अलग हो गए थे। तभी से ताइवान अपना स्वतंत्र अस्तित्व मानता है और खुद को एक स्वतंत्र देश बताता है। कई अन्य देश भी ताइवान को एक स्वतंत्र देश मानते हैं। वहीं चीन इसका विरोध करता है और ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। चीन कई मौकों पर साफ कर चुका है कि ताइवान का चीन में विलय होकर रहेगा। कुछ समय पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) ने ट्रंप से फोन पर बात की थी और इस दौरान उन्होंने ताइवान मुद्दे पर समर्थन भी मांगा था। अमेरिका लंबे समय से ताइवान का समर्थक रहा है, जो चीन को पसंद नहीं है।
Updated on:
18 Dec 2025 10:00 am
Published on:
18 Dec 2025 09:53 am
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