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इतिहास-साउदी अरब में सलमा बनी पहली महिला पार्षद

साउद अरब में पार्षदों के हुए चुनावों में इस बार इतिहास गया है। ऐसा पहली बार हो रहा है जब जिस जगह पर महिलाओं पर कभी वोट डालने की भी पाबंदी थी, एक महिला को पार्षद चुना गया है।इतिहास— साउदी अरब में सलमा बनी सलमा पहली महिला पार्षद

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barkha mishra

Dec 14, 2015

साउद अरब में पार्षदों के हुए चुनावों में इस बार इतिहास गया है। ऐसा पहली बार हो रहा है जब जिस जगह पर महिलाओं पर कभी वोट डालने की भी पाबंदी थी, एक महिला को पार्षद चुना गया है।

इन चुनावों में मक्का नगर परिषद की सीट पर महिला प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है। यह पहला मौका है जब सऊदी अरब में महिलाओं को वोट डालने और चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई थी। सलमा बिन हिजाब अल-ओतिबी इन चुनावों में जीत दर्ज करने वाली पहली महिला बन गई हैं।

पूरे परिणाम आने तक संभावनाऐं जताई जा रही है कि और महिलाऐं भी महिलाएं भी निर्वाचित हो सकती हैं।

देश भर में कुल 978 महिला उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होना है, जबकि 5,938 पुरुष उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर है।

देश भर में 2100 निगम परिषद सीटों के लिए शनिवार को मतदान हुआ था। इसमें महिलाओं ने पहली बार अपने मत का प्रयोग किया था। इतना ही नहीं नगर परिषद के चुनाव में महिला उम्मीदवार भी मैदान में थीं। सऊदी में स्त्री और पुरुष को समान अधिकार देने की दिशा में इसे महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

नगर परिषद के चुनाव में नौ सौ से ज्यादा महिला प्रत्याशी और तकरीबन छह हजार पुरुष उम्मीदवारों ने अपना भाग्य आजमाया था। सऊदी में सिर्फ नगर परिषद के लिए ही चुनाव कराया जाता है। कुल 284 परिषदों के एक तिहाई सदस्यों को नगर निकाय मंत्रालय नियुक्त करता है।

मत डालने का अधिकार पाने के लिए महिलाओं को कई बाधाओं का सामना करना पड़ा। महिला मतदाताओं को पंजीकरण कराने में भी रूढ़ीवादी नौकरशाही से रूबरू होना पड़ा था। पंजीकृत मतदाताओं में महिलाओं की भागीदारी दस फीसद से भी कम है। मतदान केंद्रों पर महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग बूथ बनाए गए थे।

वैसे सऊदी अरब अमीरात में चुनाव भी कम हुए हैं। देश के इतिहास में ये तीसरा मौका है जब शनिवार को मतदान हुआ। 1965 से लेकर 2005 के 40 सालों में कोई चुनाव नहीं हुआ।