
वैज्ञानिकों ने कार्बन डाई ऑक्साइड को ईंधन में बदलने का तरीका खोज निकाला है। इसे ऊर्जा में बदलने में हमारी मदद करेगी सूरज की रोशनी।
यह खोज अमरीका की अर्गोन नेशन लैबोरेटरी और इलिनोइस यूनिवर्सिटी, शिकागो के रिसर्चरों ने मिलकर की है। इस नए प्रयोग के माध्यम से कार्बन डाईऑक्साइड को पहले मोनो ऑक्साइड में बदला जाएगा और फिर इसे ईंधन में बदला जाएगा।
मोनो ऑक्साइड के माध्यम से तेल बनाने का तरीका पहले ही ढूंढ़ा जा चुका है, लेकिन बेहद कम प्रतिक्रिया करने वाली कार्बन डाईऑक्साइड को किसी भी अन्य रूप में बदलने की यह नई खोज है।
केमिस्ट लैरी कर्टिस कॉर्बन डाईऑक्साड को वातावरण से अलग करना एक बड़ी चुनौती बताते हैं। इसके लिए 'टंगस्टन डिसेलेनाइड' नाम का एक कंपाउंड खोजा है, जो प्रतिक्रिया में उत्प्रेरक का काम करेगा।
भौतिक विज्ञानी पीटर जपोल कहते हैं, हम हाइड्रोकॉर्बन उत्पादों से निकलने वाले रासायनिक अपशिष्टों को दोबारा प्रयोग करने का विकल्प तलाश रहे हैं।
पेड़-पौधों से ली है सीख
पौधों को प्रकाश संश्लेषण में पानी, धूप और कॉर्बन डाई ऑक्साड की जरूरत होती है। कर्टिस कहते हैं कि हम भी इन्हीं तत्वोंं का इस्तेमाल कर रहे हैं, बस इससे बनने वाला उत्पाद अलग होगा।
रिसर्च टीम ने प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया पूरी करने के लिए एक कृत्रिम पत्ती का निर्माण किया। प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रोटान, इलेक्ट्रान और कॉर्बन डाईऑक्साइड एक-दूसरे से प्रतिक्रिया करके कॉर्बन मोनो ऑक्साइड और पानी बनाते हैं।
टंगस्टन डिसेलेनाइड करेगा कमाल
टंगस्टन डिसेलेनाइड कार्बन डाई ऑक्साइड को मोनो आक्साइड में बदलने में सहायक होगा। वह इस प्रक्रिया में उत्प्रेरक का काम करेगा, जो इस बेहद कम प्रतिक्रिया करने वाली गैस की अभिक्रिया को तेज कर देगा। जिससे ईंधन बनाने का सपना साकार होगा।
Published on:
10 Aug 2016 10:40 am
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