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रफ्तार की दुनिया में क्रांति का नाम है ‘हाइपरलूप तकनीक’

फ्रांस भविष्य के तेज रफ्तार परिवहन की एक नई योजना में शामिल हो रहा है। इसका नाम है 'हाईपरलूप'। 'हाईपरलूप वन' कंपनी फिलहाल एक स्टार्ट अप है। कंपनी पूरी तरह बंद सुरंगों में अति उच्च दबाव भर कर सुपरसोनिक रफ्तार हासिल करना चाहती है।

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Abhishek Pareek

May 15, 2016

20 मिनट में 500 किलोमीटर का सफर, वह भी 1,125 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से, हाल ही में दुनिया इस नई तकनीक की गवाह बनी।

फ्रांस ने 2007 में टीजीवी ट्रेन को 574 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ा कर सबसे तेज लोकोमोटिव का रिकॉर्ड बनाया। हालांकि, बाद में सुरक्षा कारणों से अधिकतम रफ्तार को 320 किमी प्रतिघंटा कर दिया गया। अब फ्रांस भविष्य के तेज रफ्तार परिवहन की एक नई योजना में शामिल हो रहा है। इसका नाम है 'हाईपरलूप'।

इसे विकसित करने वाली 'हाईपरलूप वन' कंपनी फिलहाल एक स्टार्ट अप है। कंपनी पूरी तरह बंद सुरंगों में अति उच्च दबाव भर कर सुपरसोनिक रफ्तार हासिल करना चाहती है। यह कुछ ऐसा होगा कि सुंरग के भीतर यात्रियों से भरा केबिन फिसलता चला जाएगा। भीतरी हवा के दबाव में बदलाव कर केबिन की गति और दिशा को नियंत्रित किया जाएगा।

कंपनी ने इस प्रोजेक्ट के लिए 8 करोड़ डॉलर जुटा लिए हैं। जीई वेंचर्स के बाद फ्रांस की सरकारी रेल कंपनी एसएनसीएफ भी निवेशकों में शामिल हो गई है। हाईपरलूप वन के सह संस्थापक शेर्विन पिशेवर इसे भरोसे और तकनीक की जीत बता रहे हैं। उनका कहना है, 'हमारे प्रति बढ़ता उत्साह बता रहा है कि हाईपरलूप वन विश्व की एक सबसे मुश्किल समस्या को हल करने में सबसे आगे है।'

पिशेवर का दावा है कि यह तकनीक परिवहन और इंसान के आवागमन का तरीका बहुत ही तेज कर देगी। पिशेवर के साथ मिलकर कंपनी बनाने वाले ब्रोगन बामब्रोगन इस साल के अंत तक 'फुल स्केल, फुल स्पीड' की नुमाइश का दावा कर रहे हैं।

संस्थापकों और इंजीनियरों का कहना है कि 1,125 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार के बावजूद लोग बिना झटकों या असुविधा के सफर करेंगे। हाईपरलूप के भीतर लिफ्ट जैसा अनुभव होगा। बामब्रोगन की मानें तो हाईपरलूप में बच्चे, बुजुर्ग और पालतू पशु भी आराम से यात्रा कर सकेंगे।

विज्ञान जगत भी हाईपरलूप में खासी दिलचस्पी ले रहा है। कंपनी के वाइस प्रेसीडेंट आंद्रे लियु के मुताबिक, 'भौतिक दुनिया में यह तकनीक वह करेगी जो डिजिटल दुनिया में इंटरनेट ने किया। मेरे बेटे को शायद रिश्तों के बीच आने वाली लंबी दूरियों का अहसास नहीं होगा, क्योंकि 480 या 640 किलोमीटर का सफर 20 मिनट में तय किया जा सकेगा।'