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भारत ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन को पर्यवेक्षक का दर्जा देने के लिए प्रस्ताव पेश किया

यह मसौदा प्रस्ताव क़ानूनी प्रश्नों से संबंधित महासभा की छठी समिति के समक्ष पेश किया गया। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन को भारत और फ्रांस ने संयुक्त रूप से 2015 में पेरिस में आयोजित संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (COP21) के 21वें सम्मेलन में शुरू किया था।  

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नई दिल्ली।

भारत ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) को पर्यवेक्षक का दर्जा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया है। यह मसौदा आईएसए और संयुक्त राष्ट्र के बीच नियमित सहयोग प्रदान करने में मदद करेगा, जिससे वैश्विक ऊर्जा वृद्धि और विकास को लाभ पहुँचेगा।

यह मसौदा प्रस्ताव क़ानूनी प्रश्नों से संबंधित महासभा की छठी समिति के समक्ष पेश किया गया। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन को भारत और फ्रांस ने संयुक्त रूप से 2015 में पेरिस में आयोजित संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (COP21) के 21वें सम्मेलन में शुरू किया था।

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आईएसए का उद्देश्य इसके सदस्य देशों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख चुनौतियों का साथ मिलकर समाधान निकलना है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरूमूर्ति ने शुक्रवार को इस मसौदे की घोषणा की।

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उन्होंने ट्विटर पर इसकी जानकारी देते हुए लिखा, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के लिए एक और मील का पत्थर. भारत ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन को पर्यवेक्षक का दर्जा देने के लिए यूएनजीए में मसौदा प्रस्ताव पेश किया। मैंने कहा कि आईएसए न्यायसंगत और समान ऊर्जा समाधान की दिशा में अपने प्रयासों के माध्यम से हरित ऊर्जा कूटनीति के नए युग की शुरुआत करेगा।

टीएस तिरूमूर्ति ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि महासभा में अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन को पर्यवेक्षक का दर्जा देने से गठबंधन और संयुक्त राष्ट्र के बीच एक नियमित और अच्छी तरह से परिभाषित सहयोग प्रदान करने में मदद मिलेगी जिससे वैश्विक ऊर्जा वृद्धि और विकास को लाभ होगा। इस अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के करीब 80 सह प्रायोजक देश भी हैं।