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कनाडा के लिए ‘सोने का अंडा देने वाली मुर्गी’ है भारत, क्या होगा दोनों देशों के बीच व्यापार का भविष्य

India Canada Tension: कनाडा में 30 से ज्यादा भारतीय कंपनियां स्थापित हैं। इन कंपनियों ने वहां 40,446 करोड़ रुपए का निवेश किया है। 600 से ज्यादा कनाडाई कंपनियां भारत में अपना बिजनेस कर रहीं। दोनों देशों के 8.3 अरब डॉलर का द्विपक्षीय कारोबार है।

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India Canada Tension: कनाडा और भारत के बीच कूटनीतिक तनाव बढऩे के बावजूद कनाडाई पेंशन फंड्स और इन्वेस्टमेंट कंपनियां भारत से निकलने की जल्दी में नहीं हैं। 30 सितंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय शेयर बाजार में कनाडा के पेंशन फंड्स के निवेश की वैल्यू करीब 1.98 लाख करोड़ रुपए है। इनका निवेश Infosys, TCS, रिलायंस, जोमैटो, एक्सिस बैंक, अडानी एंटरप्राइजेज, महिंद्रा एंड महिंद्रा आदि में हैं। भारत में सबसे बड़ा कनाडाई निवेशक ब्रुकफील्ड और कनाडा पेंशन प्लान इन्वेस्टमेंट बोर्ड (सीपीपीआइबी) है, जिनका यहां करीब 50 अरब डॉलर का निवेश है। इनके अलावा कनाडाई पेंशन फंड्स क्लासे डे डिपो एट प्लेसमेंट डु क्यूबेक (सीडीपीक्यू), ब्रिटिश कोलंबिया इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट, फेयरफैक्स होल्डिंग, ओंटेरियो टीचर्स पेंशन प्लान (ओटीपीपी) का भी बड़ा निवेश है।

जारी रहेगा इन कंपनियों में निवेश

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट वीके विजयकुमार ने कहा, जब तक दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध पूरी तरह से खत्म नहीं जाते और उनकी सरकारें कठोर कदम नहीं उठातीं, तब तक सीपीपीआईबी जैसे विदेशी फंड भारत में निवेश करना जारी रखेंगे। इन फंड्स के लिए भारत सोने के अंडे देने वाली मुर्गी है, जहां निवेश पर उन्हें तगड़ा रिटर्न मिल रहा है। जून 2024 तक सीपीपीआइबी के पास भारत की 5 लिस्टेड कंपनियों में 1 प्रतिशत से ज्यादा की हिस्सेदारी थी। कई कंपनियों ने अभी तक अपने लेटेस्ट शेयरहोल्डिंग पैटर्न का खुलासा नहीं किया है।

23,000 करोड़ रुपए का निवेश कनाडाई कंपनियों का भारत के रियल एस्टेट सेक्टर में है, वहीं फाइनेंशियल सर्विसेज में 18,000 करोड़ तो इंडस्ट्रियल ट्रांसपोर्टेशन में 16,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट...

अल्फानीति के को-फाउंडर यूआर भट के मुताबिक भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। इसे देखते हुए कनाडाई फंड्स के जल्दबाजी में भारत में अपनी हिस्सेदारी बेचने की संभावना नहीं है। इनमें से अधिकांश फंड पेंशन फंड और लॉन्गटाइम निवेशक हैं। इसलिए वे अल्पकालिक घटनाओं के आधार पर अपनी निवेश रणनीतियों को बदलने की संभावना नहीं रखते हैं।