India-Maldives relations: मालदीव का भारत के लिए रुख बदला हुआ नजर आ रहा है।‘India‑Out’ से ‘India‑First’ तक का सफर कैसा रहा और कैसे बदला मालदीव का नजरिया, जानिए:
India-Maldives relations: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Modi visit) भारत और मालदीव के खट्टे रिश्तों में अब मिठास घुल रही है । वे गुरुवार से दो दिवसीय दौरे पर मालदीव पहुंचे हैं। उन्हें मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। यह यात्रा राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (Mohammed Muizzu) के कार्यकाल में किसी विदेशी राष्ट्र प्रमुख की पहली यात्रा है। इससे पहले मुइज्जू के कार्यभार संभालने के बाद भारत और मालदीव के बीच रिश्ते (India-Maldives relations) तनावपूर्ण हो गए थे। मुइज्जू की सरकार ने 'इंडिया आउट' जैसे नारों के साथ भारत से दूरी बनाने की कोशिश की थी,लेकिन मालदीव सरकार के तेवर नरम और बदले बदले नजर आ रहे हैं। दोनों देशों के बीच रिश्तों में मधुरता के लिए यह अच्छा संकेत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह तीसरी मालदीव यात्रा है, लेकिन यह विशेष इसलिए है क्योंकि यह उन हालातों में हो रही है जब दोनों देशों के संबंधों में खटास आई थी। मुइज्जू की सरकार ने शुरू में भारत विरोधी बयान दिए और भारतीय सेना की मौजूदगी पर आपत्ति जताई। हालांकि हाल के महीनों में मालदीव ने भारत से रिश्ते सुधारने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण मुइज्जू का नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होना था।
जून 2024: मुइज्जू ने मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत कर बताया कि भारत के साथ रिश्तों में सुधार होना चाहिए।
अक्टूबर 2024: भारत यात्रा के दौरान दोनों नेताओं ने व्यापक आर्थिक व समुद्री सुरक्षा साझेदारी पर हस्ताक्षर किए।
जुलाई 2025: पीएम मोदी की मालदीव यात्रा ने इस नए दौर को औपचारिक रूप से स्थापित किया।
भारत की तरफ से कूटनीतिक धैर्य और समय पर की गई आर्थिक मदद ने मालदीव का नजरिया बदला। भारत ने मालदीव को करोड़ों रुपये की मदद दी, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था को राहत मिली। इससे मुइज्जू सरकार को भारत की उपयोगिता का अहसास हुआ और रिश्तों में सुधार की राह खुली। अब प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को दोनों देशों के बीच भरोसे की बहाली और सामरिक सहयोग के नए अध्याय के रूप में देखा जा रहा है।
2023 में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने ‘India‑Out’ नारा देकर भारत से दूरी बनाने की बात कही थी। उन्होंने भारत से सैन्य हटाने की मांग की और चीन-तुर्की जैसे देशों के साथ साझेदारी बढ़ाने की कोशिश की, जिससे दोनों देशों की कूटनीतिक दूरी बढ़ गई।
अब तक की बैठकों में रक्षा, समुद्री सुरक्षा, व्यापार, डिजिटल भुगतान (UPI) जैसी अहम चीजों पर चर्चा हुई है। इसके अलावा दोनों देशों के बीच इंफ्रास्ट्रक्चर और टूरिज्म सेक्टर में भी नए समझौते हुए हैं।
मालदीव हिंद महासागर में भारत की रणनीतिक मौजूदगी के लिए बेहद अहम है। चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारत नहीं चाहता कि मालदीव उसकी रणनीति से बाहर जाए। यही वजह है कि भारत ने संतुलन बनाते हुए रिश्तों को सुधारा और अब दोनों देशों के बीच संबंध फिर से पटरी पर लौट रहे हैं।
हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, भारत मालदीव के साथ समुद्री सुरक्षा, कोस्ट गार्ड ट्रेनिंग, और निगरानी तकनीक साझा कर सकता है। संयुक्त सैन्य अभ्यास और रक्षा उपकरणों की आपूर्ति भी भविष्य की प्राथमिकता रहेगी।
भारत ने पहले ही मालदीव को मुद्रा स्वैप और लाइन ऑफ क्रेडिट जैसे उपायों से मदद की है। आने वाले समय में दोनों देश इंफ्रास्ट्रक्चर, टूरिज्म, पोर्ट डिवेलपमेंट और डिजिटल फाइनेंस (जैसे UPI) में निवेश और साझेदारी बढ़ा सकते हैं।
3.डिजिटल और फिनटेक सहयोग
मालदीव में डिजिटल ट्रांजैक्शन को मजबूत करने के लिए भारत UPI, RuPay और डिजिटल बैंकिंग मॉडल को पेश करेगा। इससे दोनों देशों के नागरिकों को सीमापार सेवाओं में सहूलियत मिलेगी।
4.वातावरण और समुद्री सहयोग
जलवायु परिवर्तन और समुद्र के बढ़ते स्तर से जूझ रहे मालदीव के लिए भारत जलवायु-सहायता कार्यक्रम, सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट और टेक्निकल सहायता दे सकता है।
5.पब्लिक से पब्लिक संपर्क
भारत शिक्षा, स्वास्थ्य और स्किल ट्रेनिंग के जरिए मालदीव के युवाओं को जोड़ने का काम करेगा। पर्यटन क्षेत्र में मालदीव के लिए भारत सबसे बड़ा स्रोत देश बना रहेगा।
बहरहाल ‘India‑Out’ से ‘India‑First’ की ओर बदलाव ने दोनों देशों के बीच दुश्मनी को छोड़ा और दोस्ती का नया रूप स्थापित किया। साथ ही राजनयिक समझ, आर्थिक सहयोग और व्यक्तिगत वार्ताओं ने रणनीतिक साझेदारी को फिर महसूस कराया।