भारत (India) और अमेरिका (United States Of America) के बीच ट्रेड डील (Trade Deal) का दोनों देश ही बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। भारत और अमेरिका, दोनों ही देशों के लिए यह ट्रेड डील काफी अहम भी है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) भी जानते हैं कि दोनों देशों के लिए एक-दूसरे के साथ ट्रेड डील काफी ज़रूरी है, जिसका फायदा दोनों देशों को होगा। व्हाइट हाउस (White House) की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट (Karoline Leavitt) ने भी भारत-अमेरिका के मज़बूत संबंधों की पुष्टि करते हुए भारत को बहुत अहम रणनीतिक सहयोगी बताया और कहा कि पीएम मोदी और ट्रंप की दोस्ती और मज़बूत होगी। हालांकि फिर भी ट्रेड डील में देरी हो रही है, जो कुछ हद तक हैरान भी करती है।
भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील में देरी क्यों हो रही है, मन में यह सवाल आना स्वाभाविक है। दोनों देशों की प्राथमिकताओं में भी अंतर है और कुछ मुद्दों पर अभी भी दोनों में सहमति नहीं बनी है। आइए नज़र डालते हैं उन मुद्दों पर।
अमेरिका ने भारत से स्टील, ऑटो पार्ट्स और अन्य उत्पादों पर टैरिफ कम करने की मांग की है, जबकि भारत चाहता है कि अमेरिका अपने स्टील और एल्युमीनियम पर लगाए गए 50% टैरिफ को हटाए। इतना ही नहीं, अमेरिका द्वारा भारत पर प्रस्तावित 26% रेसिप्रोकल टैरिफ, जो 9 जुलाई से लागू हो सकता है, ट्रेड डील में देरी का बड़ा कारण बन रहा है। भारत इस टैरिफ को हटाने और अपने कई बिज़नेस सेक्टर्स के लिए ज़ीरो टैरिफ की मांग कर रहा है और इस वजह से दोनों देशों में सहमति बनने में देरी हो रही है।
कृषि और डेयरी क्षेत्र में भारत और अमेरिका में सहमति न बनना भी ट्रेड डील में देरी का कारण है। अमेरिका मक्का, सोयाबीन, सेब, डेयरी उत्पादों और आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) फसलों पर इम्पोर्ट टैक्स में कमी चाहता है, जबकि भारत इन क्षेत्रों में अपने किसानों और खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है। भारत का कहना है कि जीएम फसलों के आयात से स्थानीय किसानों को नुकसान और पर्यावरणीय जोखिम हो सकता है। इस वजह से भी ट्रेड डील में ज़्यादा समय लग रहा है।
भारत चाहता है कि दोनों देशों के बीच होने वाली ट्रेड डील एक संतुलित समझौता हो, जिसके तहत अमेरिका को तो फायदा हो ही, साथ ही भारत के करीब 140 करोड़ लोगों और 70 करोड़ कृषि-निर्भर आबादी के हितों की भी रक्षा हो सके। अमेरिका की तरफ से भारत पर दबाव बनाया जा रहा है, लेकिन फिर भी भारत डेयरी, खेती, और डिजिटल सेवाओं जैसे क्षेत्रों में अमेरिका को ज़्यादा डिस्काउंट नहीं देना चाहता। भारत नहीं चाहता कि ऐसा करने से देश के ग्रामीण रोजगार और खाद्य सुरक्षा पर असर पड़े।
टैरिफ में राहत की डेडलाइन नज़दीक आ रही है और अभी तक ट्रेड डील को लेकर दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई है। ट्रेड एक्सपर्ट्स का मानना है कि अंतरिम समझौते के बजाय अब दोनों देश एक व्यापक समझौता करना चाहते हैं और इस वजह से ट्रेड डील की प्रोसेस और जटिल हो गई और साथ ही इसमें देरी भी हो रही है।
भारत और अमेरिका के ट्रेड एक्सपर्ट्स का मानना है कि ट्रंप प्रशासन की नीतियाँ, जैसे भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता के दावे या फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा जांच, जैसी चीज़ें भी दोनों देशों के बीच ट्रेड डील में देरी का कारण बन रही हैं।
भारत और अमेरिका, दोनों ही देशों को अपनी आर्थिक प्राथमिकताओं का भी ध्यान रखना है। भारत के लिए अमेरिकी मार्केट, तो अमेरिका के लिए भारतीय मार्केट काफी ज़रूरी हैं, पर साथ ही आर्थिक प्राथमिकताएं भी ज़रूरी हैं। दोनों देशों की आर्थिक प्राथमिकताओं का एक-दूसरे से टकराव हो रहा है और इस वजह से भी ट्रेड डील में देरी हो रही है।
Updated on:
01 Jul 2025 03:22 pm
Published on:
01 Jul 2025 02:06 pm