स्ट्रेट्स टाइम्स के अनुसार, राष्ट्रपति कार्यालय खाली होने पर संसद के सभापति के बाद राष्ट्रपति सलाहकार परिषद के अध्यक्ष को इसकी जिम्मेदारी सौंपी जाती है। बताया जाता है कि 1991 में जब से राष्ट्रपति चयन की प्रक्रिया शुरू हुई है, तब से यह पहली बार है जब कार्यालय खाली हुआ है, हालांकि पिल्लई को पहली बार यह जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है। राष्ट्रपति के विदेश यात्रा पर जाने के दौरान हर बार वही कार्यवाहक राष्ट्रपति की जिम्मेदारी निभाते आ रहे हैं। इस तरह वह 60 बार इस पद पर काम कर चुके हैं।
पिछली बार पिल्लई ने मई में यह जिम्मेदारी निभाई थी। तब राष्ट्रपति टोनी टैन यूरोप के दौरे पर गए थे। इस पद पर सबसे ज्यादा दिनों तक पिल्लई 2007 में रहे थे, तब तत्कालीन राष्ट्रपति एसआर नाथन अफ्रीका दौरे पर गए थे। उस दौरान पिल्लई ने 16 दिनों तक कार्यवाहक राष्ट्रपति की जिम्मेदारी निभाई थी। पिल्लई ने सन् 1956 में यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन से बीएससी ऑनर्स, इंपीरियल कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की शिक्षा हासिल की।
सन् 1961 से 1995 तक वह सिंगापुर सरकार में प्रशासकीय पदों पर कार्यरत रहे। सन् 1972 में वह स्थायी सचिव बनाए गए। इस दौरान वित्त, रक्षा और राष्ट्रीय विकास जैसे
मंत्रालयों में प्रमुख पदों पर काम किया। सन् 2012 में जोसेफ युवराज पिल्लई के नाम पर नैशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर में दो प्रोफेसरशिप शुरू की गई। लोक सेवा के लिए उन्हें ऑर्डर ऑफ नील उत्तम ( फर्स्ट क्लास) और सिंगापुर के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार – नेशनल डे अवार्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है।