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भूकंप से कैसे उठती हैं सुनामी लहरें, क्या पहले से लगाया जा सकता है इसका अंदाजा?

Published: Nov 22, 2016 11:28:00 am

Submitted by:

santosh

आपको बताते हैं सुनामी से जुड़े कुछ तथ्य और आखिर क्यों भूकंप के बाद समुद्र तटीय इलाका इसकी चपेट में आ जाता है।

जापान में मार्च 2011 में आए जबरदस्त भूकंप के बाद सुनामी की खौफनाक तस्वीरें अब भी लोगों के जेहन में बसी हैं। मंगलवार को एक बार फिर जापान के फुकुशिमा शहर के पास भूकंप के झटके महसूस किए गए। 
इससे पहले 2004 में दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में भी शक्तिशाली भूकंप के बाद समुद्री हलचल से भारी तबाही मची थी। आपको बताते हैं सुनामी से जुड़े कुछ तथ्य और आखिर क्यों भूकंप के बाद समुद्र तटीय इलाका इसकी चपेट में आ जाता है।
सुनामी क्या है?

समुद्र में उठी कई मीटर ऊंची उठने वाली लहरों को सुनामी कहा जाता है। सुनामी यानी कोस्टल वेव और हिंदी में इसका मतलब है समुद्र तटीय लहरें। समुद्र के भीतर अचानक जब तेज़ हलचल होने लगती है तो उसमें उफान उठता है। इससे ऐसी लंबी और बहुत ऊंची लहरों का रेला उठना शुरू हो जाता है जो ज़बरदस्त रफ्तार के साथ आगे बढ़ता है। इन्हीं लहरों के रेले को सुनामी कहते हैं। दरअसल सुनामी जापानी शब्द है जो सू और नामी से मिल कर बना है सू का अर्थ है समुद्र तट और नामी का अर्थ है लहरें। पहले सुनामी को समुद्र में उठने वाले ज्वार के रूप में भी लिया जाता रहा है लेकिन ऐसा नहीं है। दरअसल समुद्र में लहरें चांद-सूरज और ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से उठती हैं, लेकिन सुनामी लहरें इन आम लहरों से अलग होती हैं।
कैसे उठती हैं सुनामी लहरें?

सुनामी लहरों की वजह वैसे तो कई है, लेकिन सबसे ज्यादा असरदार कारण है भूकंप। इसके अलावा ज़मीन धंसने, ज्वालामुखी फटने, किसी तरह का विस्फोट होने और कभी-कभी उल्कापात के असर से भी सुनामी लहरें उठती हैं।
सुनामी लहरों का असर किस तरह पड़ता है?

सुनामी लहरें समुद्री तट पर भीषण तरीके से हमला करती हैं और जान-माल का बुरी तरह नुक़सान कर सकती हैं।

क्या सुनामी लहरों का अंदाज़ा पहले से लगाया जा सकता है?
जिस तरह वैज्ञानिक भूकंप के बारे में भविष्यवाणी नहीं कर सकते वैसे ही सुनामी के बारे में भी अंदाज़ा नहीं लगा सकते। लेकिन सुनामी के अब तक के रिकॉर्ड को देखकर और महाद्वीपों की स्थिति को देखकर वैज्ञानिक कुछ अंदाज़ा लगा सकते हैं। धरती की जो प्लेट्स या परतें जहां-जहां मिलती है वहाँ के आसपास के समुद्र में सुनामी का ख़तरा ज़्यादा होता है। जैसे ऑट्रेलियाई परत और यूरेशियाई परत जहां मिलती हैं वहां स्थित है सुमात्रा जो कि दूसरी तरफ फिलीपीनी परत से जुड़ा हुआ है। सुनामी लहरों का कहर वहां भयंकर रूप में देखा जा चुका है।
ज़रूरी नहीं कि हर भूकंप से सुनामी लहरें बनें

जब कभी भीषण भूकंप की वजह से समुद्र की ऊपरी परत अचानक खिसक कर आगे बढ़ जाती है, तो समुद्र अपनी समांतर स्थिति में ऊपर की तरफ बढ़ने लगता है। जो लहरें उस वक़्त बनती हैं वो सुनामी लहरें होती हैं। इसकी एक मिसाल यह है कि धरती की ऊपरी परत फ़ुटबॉल की परतों की तरह आपस में जुड़ी हुई है या कहें कि एक अंडे की तरह से है जिसमें दरारें हों। 
7.4 तीव्रता के भूकंप से थर्राया जापान, फुकुशिमा से टकराई सुनामी की लहरें

अंडे का खोल सख़्त होता है लेकिन उसके भीतर का पदार्थ लिजलिजा और गीला होता है भूकंप के असर से ये दरारें चौड़ी होकर अंदर के पदार्थ में इतनी हलचल पैदा करती हैं कि वो तेज़ी से ऊपर की तरफ का रुख़ कर लेता है। धरती की परतें भी जब किसी भी असर से चौड़ी होती हैं, तो वे खिसकती हैं। इसी वजह से महाद्वीप बनते हैं। हालांकि ये भी ज़रूरी नहीं कि हर भूकंप से सुनामी लहरें बनें। इसके लिए भूकंप का केंद्र समुद्र के अंदर या उसके आसपास होना ज़रूरी है।
सुनामी लहरें किनारों से उठने लगती हैं तो क्या असर होता है?

जब ये सुनामी लहरें किसी भी महाद्वीप की उस परत के उथले पानी तक पहुंचती हैं, जहां से वो दूसरे महाद्वीप से जुड़ा है और जो कि एक दरार के रूप में देखा जा सकता है। वहां सुनामी लहर की तेज़ी कम हो जाती है। 
ऐसा इसलिए क्योंकि उस जगह दूसरा महाद्वीप भी जुड़ रहा है और वहां धरती की जुड़ी हुई परत की वजह से दरार जैसी जो जगह होती है वो पानी को अपने अंदर रास्ता देती है। उसके बाद अंदर के पानी के साथ मिलकर जब सुनामी किनारे की तरफ़ बढ़ती है तो उसमे इतनी तेज़ी होती है कि वो 30 मीटर तक ऊपर उठ सकती है और उसके रास्ते में चाहे पेड़, जंगल, इमारतें, गाड़ियां कुछ भी आएं सब कुछ बहा ले जाती हैं।
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