
Bangladesh sarees
Bangladesh : बांग्लादेश की मुस्लिम महिलाएं अखंड भारत की उन परंपराओं का निर्वाह करती हैं,जो भारत विभाजन से पहले उनके पहनावे का हिस्सा थीं। भारत में हथकरघा रेशम साड़ियां भी प्रचलन में हैं।
भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान बना और पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश ( Bangladesh) बन गया। बांग्लादेश आज भी भारत के बंगाल की परंपरा का निर्वाह करता है। बंगाल की महिलाएं साड़ी पहनती हैं। बांग्लादेश के नेताओं की पत्नियां और एलीट महिलाएं भारत से साड़ी मंगवा कर भी पहनती हैं।
आम तौर परसाड़ी को महत्वपूर्ण अवसरों और आयोजनों के लिए पसंदीदा पोशाक के रूप में आरक्षित किया गया है। यूनेस्को ने सन 2013 में, जामदानी बुनाई की पारंपरिक कला को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत घोषित किया था। वहीं बांग्लादेश को सन 2016 में जामदानी साड़ी के लिए भौगोलिक संकेत (जीआई) का दर्जा प्राप्त हुआ था।
जानकारी के अनुसार इक्कीसवीं सदी के होनोलूलू कला संग्रहालय में प्रदर्शित साड़ी (कभी-कभी साड़ी या साडी भी)भारतीय उपमहाद्वीप का महिलाओं का परिधान है। इसमें बुने हुए कपड़े का एक बिना सिला हुआ खिंचाव होता है जो शरीर पर एक बागे के रूप में व्यवस्थित होता है, जिसका एक सिरा कमर से जुड़ा होता है, जबकि दूसरा सिरा एक स्टोल (शॉल) के रूप में एक कंधे पर रहता है, कभी-कभी इसका एक हिस्सा खुला रहता है।
इसकी लंबाई 4.1 से 8.2 मीटर (4.5 से 9 गज) तक हो सकती है, और चौड़ाई 60 से 120 सेंटीमीटर (24 से 47 इंच) तक हो सकती है, और यह भारत, श्रीलंका में जातीय पहनावे का एक रूप है। नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान साड़ी निर्माण और उसे पहनने के विभिन्न नाम और शैलियाँ हैं, जिनमें सबसे आम है निवी शैली।
साड़ी को एक चुस्त चोली के साथ पहना जाता है जिसे चोली भी कहा जाता है (दक्षिणी भारत में रवीके या कुप्पासा और नेपाल में चोलो ) और एक पेटीकोट जिसे घाघरा, पारकर या उल-पवदाई कहा जाता है। यह आज भी भारतीय उपमहाद्वीप में फैशनेबल बना हुआ है।
उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश में लाखों की संख्या में भारतीय हैं। एक सर्वेक्षण के नतीजों का हवाला देते हुए, द फाइनेंशियल एक्सप्रेस के एक कॉलम में दावा किया गया है कि 2009 में बांग्लादेश में लगभग 500,000 भारतीय अवैध रूप से रह रहे थे।
Published on:
05 Aug 2024 12:30 pm
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