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Space News: सुपर अर्थ पर जीवन संभव है या नहीं, बड़ी रिसर्च आई सामने

Space News: 'सुपर अर्थ' कहे जाने वाले इस ग्रह का आकार पृथ्वी से दोगुना है, लेकिन घनत्व कम है। इसका द्रव्यमान पृथ्वी से आठ गुना ज्यादा है। यह उन पांच ज्ञात ग्रहों में से एक है, जो कर्क तारामंडल में सूर्य जैसे तारे की परिक्रमा करते हैं।

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Super Earth

Super Earth

Space News: वैज्ञानिकों ने अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के जेम्स वेब टेलीस्कोप की मदद से हमारे सौरमंडल से परे एक ग्रह (एक्सोप्लेनेट) पर बेहद गर्म वायुमंडल की खोज की है। पृथ्वी से परे जीवन की तलाश की कड़ी में इसे अहम खोज माना जा रहा है। हालांकि ‘55 कैनक्री’ नाम के एक्सोप्लेनेट पर जीवन के कोई आसार नहीं हैं, क्योंकि वहां तापमान बेहद ज्यादा है। यह 2,300 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है।

धरती से दोगुना है सुपर अर्थ

स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक नेचर जर्नल में प्रकाशित शोध में बताया गया कि ‘55 कैनक्री’ पृथ्वी से 41 प्रकाश वर्ष दूर है। 'सुपर अर्थ' (Super Earth) कहे जाने वाले इस ग्रह का आकार पृथ्वी से दोगुना है, लेकिन घनत्व कम है। इसका द्रव्यमान पृथ्वी से आठ गुना ज्यादा है। यह उन पांच ज्ञात ग्रहों में से एक है, जो कर्क तारामंडल में सूर्य जैसे तारे की परिक्रमा करते हैं। ‘55 कैनक्री’ का तापमान इसलिए बेहद ज्यादा है, क्योंकि यह सूर्य जैसे तारे से सिर्फ 2.3 किलोमीटर दूर है। यह करीब 18 घंटे में तारे की एक परिक्रमा पूरी करता है।

ठोस चट्टानें, पृथ्वी की तरह नियमित रात-दिन

वैज्ञानिकों के मुताबिक ‘55 कैनक्री’ के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड की मोटी परत है। पृथ्वी का वायुमंडल नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, आर्गन और अन्य गैसों से मिलकर बना है। ‘55 कैनक्री’ की संरचना हमारे सौरमंडल के ग्रहों जैसी है। वहां ठोस चट्टानें हैं और पृथ्वी की तरह नियमित रात-दिन होते हैं।

महासागर से ढकी सतह

‘55 कैनक्री’ की सतह मैग्मा महासागर से ढकी है। इसके वायुमंडल का पता लगाने के लिए जेम्स वेब टेलीस्कोप के जरिए ग्रह और इसके तारे से निकली रोशनी की तुलना की गई। डेटा से ग्रह का तापमान निकाला गया। ग्रह की सतह पर गर्मी समान रूप से फैली है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि सुपर अर्थ पर स्टडी से पता चल सकेगा कि पृथ्वी और मंगल ग्रह कैसे बने।