Macron on Iran military action: सारा माहौल डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन में होने के बावजूद ईरान पर इजराइल के हमला (Israel-Iran War) करने पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों बेबाकी (Macron Iran statement)से बयान दे कर सुर्खियों में आ गए हैं। यही नहीं, मैक्रों के ईरान (Macron Iran statement) के मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) पर दिए गए बयान से उनके बीच मतभेद खुल कर सामने आ गए हैं। उन्होंने तेहरान के खिलाफ सख्त सैन्य कार्रवाई करने का विरोध किया, जिससे वहां शासन परिवर्तन हो सकता है और ईरान और क्षेत्र अराजकता में डूब सकता है। मैक्रों ने सोमवार को संवाददाताओं को बताया था कि ट्रंप इजराइल और ईरान के बीच युद्ध विराम सुनिश्चित करने के प्रयासों के तहत जी-7 ( G-7 ) से अलग हो रहे हैं। जब मंगलवार की सुबह उन्हें उस समय कड़ी फटकार मिली जब ट्रंप ने कहा कि मैक्रों को गलतफहमी हुई है और उनके जाने का युद्ध विराम सुनिश्चित करने से कोई लेना-देना नहीं है।
इधर ट्रंप ने मंगलवार की सुबह से ही ईरान से "बिना शर्त आत्मसमर्पण" की मांग करते हुए आक्रामक बयानबाजी तेज कर दी है और चेतावनी दी है कि अमेरिका का धैर्य जवाब दे रहा है, क्योंकि इजराइल-ईरान युद्ध पांचवें दिन भी जारी है।
इधर जबकि इजराइल ने कहा है कि उसने ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के लिए यह अभियान शुरू किया है, हालांकि तेहरान ने बार-बार इसका खंडन किया है। मैक्रों ने कहा कि सोमवार को कनाडा में जी-7 नेताओं से मुलाकात के बाद से ट्रंप ने अपना विचार बदल लिया है। मैक्रों ने दावा किया कि ट्रंप ने उनसे कहा था कि वह युद्ध विराम के लिए दबाव डाल रहे हैं।
मैक्रों ने कहा, "हम नहीं चाहते कि ईरान को परमाणु हथियार मिले, "लेकिन सबसे बड़ी गलती सैन्य हमलों का इस्तेमाल कर के शासन को बदलना होगा, क्योंकि तब अराजकता फैल जाएगी और हमारी जिम्मेदारी है कि हम जल्द से जल्द बातचीत फिर से शुरू करें, ताकि परमाणु और बैलिस्टिक मुद्दे पर फिर से दिशा तय की जा सके।"
मैक्रों ने कहा कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय निगरानी में रखा जाना चाहिए और उसके बैलिस्टिक मिसाइल शस्त्रागार कम किए जाने चाहिए, लेकिन वह ऊर्जा अवसंरचना, नागरिकों पर हमले और सैन्य कार्रवाई के स्पष्ट रूप से खिलाफ हैं, जिससे शासन परिवर्तन हो सकता है।
इजराइल के रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज़ ने कहा कि ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई का भी वही हश्र हो सकता है, जो इराकी राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन का हुआ था, जिन्हें अमेरिका के नेतृत्व वाले आक्रमण में अपदस्थ कर दिया गया था और मुकदमे के बाद 2006 में फांसी दे दी गई थी।
मैक्रों ने कहा, "क्या कोई सोचता है कि 2003 में इराक में जो किया गया वह एक अच्छा विचार था? क्या कोई सोचता है कि अगले दशक में लीबिया में जो किया गया वह एक अच्छा विचार था? नहीं!" "मैं इस क्षेत्र में इराक, लेबनान और अन्य स्थानों पर स्थित अपने मित्रों के बारे में भी सोच रहा हूँ। हमें उनकी सुरक्षा के लिए खतरा बनने वाली हर चीज कम करने में उनकी मदद करनी चाहिए, लेकिन उन्हें अराजकता के अलावा कुछ भी चाहिए।"
मैक्रों की टिप्पणी जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ के भी बिल्कुल विपरीत थी, जिन्होंने कहा था कि इजराइल अपने पश्चिमी सहयोगियों के लिए "गंदा काम" कर रहा है, लेकिन अमेरिकी समर्थन के बिना वह इसमें असफल हो सकता है।
मर्ज़ ने प्रसारणकर्ता जेडडीएफ को दिए साक्षात्कार में कहा, "इज़राइली सेना स्पष्ट रूप से ऐसा करने में असमर्थ है। उसके पास आवश्यक हथियारों का अभाव है, लेकिन अमेरिकियों के पास वे मौजूद हैं।"
उन्होंने एक अन्य साक्षात्कार में कहा कि यह निर्णय शीघ्र ही लिया जा सकता है, जो इस बात पर निर्भर करेगा कि ईरान वार्ता की मेज पर लौटने के लिए तैयार है या नहीं।
Updated on:
18 Jun 2025 07:52 pm
Published on:
18 Jun 2025 07:51 pm