Trump Asim Munir Meeting 2025: ईरान और इजराइल जंग (Iran-Israel War) के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump) आधिकारिक यात्रा पर वाशिंगटन आए पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर से मुलाकात (Trump Asim Munir meeting) करेंगे। मुनीर के अपने अमेरिकी दौरे पर विदेश मंत्री मार्को रुबियो और रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ से भी मिलने की उम्मीद है। इस मुलाकात की खबरें ऐसे समय में आई हैं जब व्हाइट हाउस ने 14 जून को अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ के समारोह में मुनीर को आमंत्रित करने से इनकार कर दिया था। राष्ट्रपति के दैनिक सार्वजनिक कार्यक्रम के अनुसार, पाकिस्तानी सैन्य नेता अमेरिकी नेता से बुधवार दोपहर के भोजन के समय व्हाइट हाउस के कैबिनेट कक्ष में मिलेंगे। पाकिस्तानी दैनिक डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, मुनीर के अपने अमेरिकी दौरे के दौरान विदेश मंत्री मार्को रुबियो (Marco Rubio )और रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ( Pete Hegseth) से भी मिलने की उम्मीद है। ध्यान रहे कि अमेरिकी प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप पाक सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ( Asim Munir) से मिलेंगे। ध्यान रहे कि अमेरिका ने कुछ दिन पहले परेड का निमंत्रण ठुकराया था।
जानकारी के अनुसार इस बैठक का समय महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते उच्च-दांव संघर्ष के दौरान हो रही है। पाकिस्तान ईरान के साथ एक भूमि सीमा साझा करता है, और युद्ध में एक अग्रिम पंक्ति के राज्य के रूप में इसका भू-राजनीतिक स्थान अमेरिका के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, खासकर अगर वाशिंगटन सीधे संघर्ष में शामिल होने का फैसला करता है।
अमेरिका के सहयोगी इस्लामाबाद ने ईरान के साथ अपने हवाई और ज़मीनी रास्ते बंद कर दिए हैं, क्योंकि ईरान के साथ इजराइल का युद्ध बढ़ गया है। इस कदम से सीमा के दोनों ओर सैकड़ों लोगों के फंसने की आशंका है। पाकिस्तान ईरान के साथ कई ज़मीनी रास्ते साझा करता है, जिनमें सबसे प्रमुख बलूचिस्तान के ग्वादर जिले में गबद-रिमदान सीमा और चाघी जिले में तफ्तान सीमा क्रॉसिंग है।
खबर है कि यह बंद रविवार को हुआ और इससे पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के कई जिलों में खाद्यान्न और तेल की कमी हो सकती है, जहां अक्सर ईरान से आवश्यक सामग्री की तस्करी की जाती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख रविवार को पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर वाशिंगटन पहुंचे, जो "मुख्य रूप से द्विपक्षीय प्रकृति की" है और इसका उद्देश्य अमेरिका के साथ सैन्य और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करना है।
हालांकि, उनकी यात्रा को कई पाकिस्तानी नागरिकों और पाकिस्तानी अमेरिकियों ने अच्छी तरह से स्वीकार नहीं किया, जिन्होंने उनके होटल के बाहर और वाशिंगटन में पाकिस्तानी दूतावास के पास विरोध प्रदर्शन किया, और पाकिस्तान में "अप्रतिबंधित लोकतंत्र" की बहाली की मांग की। प्रदर्शन पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के समर्थकों ने आयोजित किए गए थे, जिन्होंने वाशिंगटन में फोर सीजन्स होटल के बाहर मुनीर का सामना किया और नारे लगाए " आसिम मुनीर, तुम कायर हो", "तुम्हें शर्म आनी चाहिए, सामूहिक हत्यारा" और "तुम्हें शर्म आनी चाहिए, तानाशाह" और "पाकिस्तानियों के कातिल।"
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रेल को पर्यटकों पर हुए घातक आतंकी हमले के बाद भारत के साथ सैन्य संघर्ष के बाद मुनीर की यह पहली आधिकारिक अमेरिकी यात्रा है। इस हमले में 26 नागरिक मारे गए थे। इस्लामाबाद की ओर से युद्ध विराम प्रस्ताव के साथ नई दिल्ली तक पहुँचने के बाद संघर्ष समाप्त हो गया। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने युद्ध विराम के लिए व्यापार का सहारा लिया, लेकिन भारत ने इस दावे का खंडन किया।
डोनाल्ड ट्रंप और पाक सेना प्रमुख असीम मुनीर की मुलाकात का भारत पर संभावित असर कई स्तरों पर हो सकता है, खासकर रणनीतिक, कूटनीतिक और सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह बहुत अहम है।
इस मुलाकात से यह संकेत मिल सकता है कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ मध्यपूर्व में बढ़ते संकट के मद्देनज़र अपने सैन्य और रणनीतिक संबंधों को फिर से सक्रिय करना चाहता है। यह भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि भारत की रणनीति अब तक अमेरिका के साथ गहरे रक्षा और व्यापारिक संबंधों पर आधारित रही है।
अगर अमेरिका और पाकिस्तान के बीच सैन्य वार्ताएं सफल होती हैं, तो पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक वैधता और समर्थन मिल सकता है। इससे भारत की कूटनीतिक कोशिशों पर असर पड़ सकता है, खासकर जब भारत पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर अलग-थलग करने की नीति अपनाए हुए है।
अगर अमेरिका पाकिस्तान को ईरान या अफगानिस्तान से जुड़े सैन्य उद्देश्यों के लिए फिर से सहयोगी के रूप में इस्तेमाल करता है, तो भारत को दक्षिण एशिया में अपनी रणनीति और गठबंधन पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।
भारत लंबे समय से अमेरिका के साथ रक्षा सौदों और तकनीकी साझेदारी पर निर्भर रहा है। यदि अमेरिका पाकिस्तान के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाता है, तो यह संतुलन भारत के लिए एक चुनौती बन सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप और असीम मुनीर की मुलाकात का ईरान पर संभावित असर क्षेत्रीय संतुलन और रणनीतिक दबाव के रूप में देखा जा सकता है। पाकिस्तान की ईरान के साथ साझा सीमा और सामरिक स्थिति को देखते हुए, यदि अमेरिका पाकिस्तान को मध्यपूर्व में किसी भूमिका के लिए तैयार करता है, तो यह ईरान के लिए रणनीतिक चिंता का विषय बन सकता है। खासकर ऐसे समय में जब ईरान और इजराइल के बीच तनाव चरम पर है, पाकिस्तान का किसी भी पक्ष में झुकाव या सहयोग क्षेत्र में ईरान की स्थिति को अस्थिर कर सकता है। इससे ईरान की सीमाओं पर सुरक्षा चुनौती और अमेरिका की सैन्य मौजूदगी के खिलाफ उसकी प्रतिक्रिया और तीव्र हो सकती है।
बहरहाल डोनाल्ड ट्रंप और मुनीर की यह मुलाकात प्रतीकात्मक से अधिक रणनीतिक महत्व रखती है। भारत को इसे केवल एक सामान्य राजनीतिक शिष्टाचार न मानकर एक संभावित नीति बदलाव के संकेत के रूप में देखना चाहिए और अपनी क्षेत्रीय नीतियों की समीक्षा करनी चाहिए।
Published on:
18 Jun 2025 04:55 pm