भारत (India) और मालदीव (Maldives) के बीच चल रहा विवाद जगजाहिर है। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (Mohamed Muizzu) ने ‘इंडिया आउट’ अभियान चलाकर भारतीय सैनिकों को देश से बाहर निकालने का रास्ता बनाया और इसी वजह से दोनों देशों के बीच विवाद शुरू हुआ था और संबंधों में खटास भी पड़ी। 10 मई तक सभी भारतीय सैनिकों ने मालदीव छोड़ भी दिया, जिनकी जगह भारत के योग्य टेक्निकल स्टाफ को तैनात किया गया जो सेना के ज़रूरी काम को आगे बढ़ाएगा। इतना ही नहीं, भारत के पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के लक्षद्वीप (Lakshadweep) दौरे और लक्षद्वीप का प्रचार करने पर मालदीव के तीन मंत्रियों ने पीएम मोदी और भारतीयों के बारे में विवादित टिप्पणी दी थी। फिर भी मुइज्जू ने विवादित टिप्पणी का विरोध नहीं किया। भारत से संबंधों में बिगाड़ के बाद मालदीव ने चीन (China) से भी दोस्ती बढ़ानी शुरू कर दी थी। लेकिन अब लगता है भारत से पंगा लेने वाले मालदीव को अपनी गलती का एहसास हो गया है क्योंकि उसने ऐसा कदम उठाया है जिससे लगता है वो धीरे-धीरे भारत से संबंधों में सुधार करने की कोशिश कर रहा है।
भारतीय RuPay सर्विस होगी मालदीव में लॉन्च
रुपये के ट्रांजैक्शन के लिए भारत में RuPay सर्विस एक बेहद ही काम की सर्विस है। पिछले कुछ समय में इस सर्विस को दूसरे कई देशों में भी लॉन्च किया गया, क्योंकि उन देशों ने भी इस भारतीय सर्विस की अहमियत को पहचाना। अब मालदीव में भी RuPay सर्विस लॉन्च होने का ऐलान हो गया है। मालदीव के मंत्री मोहम्मद सईद (Mohamed Saeed) ने इस बारे में जानकारी दी।
RuPay सर्विस कब होगी मालदीव में लॉन्च?
RuPay सर्विस मालदीव में कब लॉन्च होगी, इस बारे में सईद ने जानकारी नहीं दी। हालांकि इस घोषणा से यह साफ हो गया है कि मालदीव इस सर्विस के लॉन्च के लिए भारत के संपर्क में है और साथ मिलकर काम भी कर रहा है और RuPay सर्विस को जल्द ही मालदीव में लॉन्च किया जा सकता है।
मुइज्जू की अक्ल आई ठिकाने?
जो मुइज्जू ‘इंडिया आउट’ अभियान चलाकर भारतीय सेना को मालदीव से निकालने के लिए आवाज़ उठाते रहे हैं, समय-समय पर भारत के खिलाफ बोलते रहे हैं, वह पिछले कुछ समय से भारत की तारीफ कर रहे हैं। भारत से विवाद के बाद बड़ी संख्या में भारतीय पर्यटकों ने मालदीव का बहिष्कार कर दिया, जिससे देश के पर्यटन उद्योग को बड़ा झटका लगा। मालदीव की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पर्यटन पर निर्भर है और भारतीयों के बहिष्कार से इससे जोर का झटका लगा। दूसरे कई सेक्टर्स में भी मालदीव को नुकसान हुआ और चीन की दोस्ती से भी मालदीव को कोई राहत नहीं मिली। भारत लंबे समय से मालदीव का सबसे बड़ा सहयोगी रहा है और अब लगता है मुइज्जू की अक्ल ठिकाने आ गई है।
Published on:
24 May 2024 05:12 pm