
सेना की ट्रेनिंग (AI Image)
Mandatory Military Service: दुनिया भर में कई देशों में अनिवार्य सैन्य सेवा (कंस्क्रिप्शन) का नियम लागू है। इस नियम के तहत नागरिकों को एक निश्चित उम्र में सेना में ट्रेनिंग और सेवा देनी अनिवार्य होती है। यह नियम मुख्य रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा, मजबूत रिजर्व फोर्स बनाने और युवाओं में अनुशासन पैदा करने के लिए बनाया गया है। विशेष रूप से उन देशों में जहां भू-राजनीतिक खतरे ज्यादा हैं, यह नियम सख्ती से लागू होता है।
वर्तमान में (2025 तक) करीब 60-80 देशों में किसी न किसी रूप में अनिवार्य सैन्य सेवा है। कुछ देशों में यह केवल पुरुषों के लिए है, जबकि कुछ में महिलाओं के लिए भी।
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए विशेष रूप से छोटे या खतरे में घिरे देशों में बड़ी स्थायी सेना और प्रशिक्षित रिजर्व बल की आवश्यकता होती है। अनिवार्य सैन्य सेवा का एक प्रमुख उद्देश्य युवाओं में अनुशासन, शारीरिक फिटनेस और देशभक्ति की भावना जगाना होता है। साथ ही, यह व्यवस्था युद्ध या आपातकाल की स्थिति में तुरंत बड़ी और प्रशिक्षित सेना उपलब्ध कराने का प्रभावी माध्यम प्रदान करती है, क्योंकि नागरिकों का एक बड़ा हिस्सा पहले से ही सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त कर चुका होता है। कई देशों में ऐसे नियमों के साथ वैकल्पिक सिविल सेवा का विकल्प भी दिया जाता है, ताकि जो लोग सैन्य सेवा नहीं करना चाहें, वे सामाजिक या नागरिक क्षेत्र में योगदान दे सकें।
भारत में ऐसा कोई अनिवार्य नियम नहीं है। भारतीय सेना पूरी तरह स्वैच्छिक है। हालांकि, NCC जैसे कार्यक्रमों से युवाओं को सैन्य ट्रेनिंग का अवसर मिलता है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की बड़ी आबादी और वॉलंटियर सिस्टम के कारण कंसक्रिप्शन की जरूरत नहीं है।
Published on:
14 Dec 2025 12:34 pm
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