गाजा में युद्ध के चलते सारे शहर का अपशिष्ट समुद्र में ही बहाया जा रहा है। साफ पानी, बिजली, बुनियादी ढांचे और रोजगार की कमी से लोग निराश हो चुके हैं। पीने के पानी के स्रोत प्रदूषित और नमकीन पानी से भरे हुए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार गाजा में मौजूद जलाशयों का 97 प्रतिशत पानी मानव उपभोग के लिए हानिकारक है। संगठन के अनुसार गाजा में एक-चौथाई बीमारी का प्रमुख कारण प्रदूषित जल है। जल विशेषज्ञों का कहना है कि क्षेत्र में पानी की इस समस्या को बदल पाना अब लगभग असंभव है। शरणार्थी कहते हैं कि हम जीने के बुनियादी अधिकारों से भी वंचित हैं और दुनिया तमाशा देख रही है जैसे यह जगह ग्लोब पर है ही नहीं। फिलिस्तीनी संगठन लोगों की मदद नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि इजरायल ने कड़ी नाकाबंदी की हुई है।
अमरीका ने आर्थिक सहायता भी काट ली
2018 में अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए बने यूनाइटेड नेशंस रिलीफ एंड वक्र्स एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) और अन्य फिलिस्तीनी सहायता कार्यक्रमों में कटौती की। गाजा के 14 लाख शरणार्थियों में 10 लाख लोग खाने के लिए इसी एजेंसी पर ही निर्भर हैं।
अरब-और यूरोपीय देशों ने भी किनारा कर लिया
गाजा की इस राजनीतिक और अराजक परिस्थितियों से अमरीका, अरब और यूरोप ने भी मुंह मोड़ लिया है। अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए गाजा छोडऩे वालों को मिस्र के रास्ते अन्य देशों में जाने के लिए इजरायल के सैन्य अधिकारियों को मोटी रिश्वत खिलानी पड़ती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2018 के मध्य से अब तक करीब 35 हजार से 40 हजार लोग अब तक गाजा छोड़ चुके हैं। हमास शासन ने अब डॉक्टरों के देश छोडऩे पर पाबंदी लगा दी है क्योंकि यहां अब बहुत कम डॉक्टर बचे हैं।