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Modi 3.0 Oath Ceremony : भारत का एक मजबूत बिजनेस पार्टनर है मॉरीशस, जानिए डिटेल

Modi 3.0 Oath Ceremony : भारत की ओर से मनोनीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने वाले देशों में मॉरीशस भी शामिल है।

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Mauritius-India Relations

Mauritius-India Relations

Modi 3.0 Oath Ceremony : भारत ने मॉरीशस को महत्वपूर्ण विकास सहायता प्रदान की है। मॉरीशस (Mauritius) हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार के रूप में उभरा है। वह 2021 में CECPA पर हस्ताक्षर ने दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को और गहरा कर दिया है। रक्षा सहयोग और नवीकरणीय ऊर्जा सहयोग ने भी गति पकड़ी है । पीएम नरेंद्र मोदी ( Narendra Modi) की सूची में मॉरीशस महत्वपूर्ण देश है।

भारत-मॉरीशस रिश्ते (Mauritius-India Relations) पुराने

भारत गणराज्य और मॉरीशस गणराज्य के बीच ऐतिहासिक, राजनीतिक, आर्थिक, सैन्य, सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों को संदर्भित करते हैं। इन दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध 1948 में स्थापित हुए थे। मॉरीशस ने लगातार डच, फ्रांसीसी और ब्रिटिश कब्जे के माध्यम से भारत के साथ संपर्क बनाए रखा। मॉरीशस को 12 मार्च, 1968 को स्वतंत्रता मिलने के बाद, पहले प्रधान मंत्री और मॉरीशस राष्ट्र के पिता सर शिवसागर रामगुलाम ने मॉरीशस की विदेश नीति में भारत को केंद्रीयता प्रदान की थी।

भारत-मॉरीशस नए रिश्ते

भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मॉरीशस ने मार्च 2024 में मॉरीशस दौरा किया था। उन्होंने महात्मा गांधी संस्थान (एमजीआई), मोका, मॉरीशस का दौरा किया, जहां उन्होंने एक सभा को संबोधित किया। मॉरीशस विश्वविद्यालय ने राष्ट्रपति मुर्मू को डॉक्टर ऑफ सिविल लॉ की मानद उपाधि प्रदान की। उन्होंने मॉरीशस के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी और इस यात्रा से अद्वितीय और बहुआयामी भारत-मॉरीशस संबंध को मजबूत हुए है। राष्ट्रपति ने मॉरीशस के लिए एक नए विशेष प्रावधान की भी घोषणा की जिसके तहत 7वीं पीढ़ी के भारतीय मूल के मॉरीशसवासी अब भारत की विदेशी नागरिकता के लिए पात्र होंगे, जिससे कई युवा मॉरीशसवासी अपने पूर्वजों की भूमि के साथ फिर से जुड़ने में सक्षम होंगे।

भारत-मॉरीशस रिलेशन (Mauritius-India Relations) : अतीत के आईने में

भारतीय मजदूर सन 1820 के दशक से, चीनी बागानों में काम करने के लिए मॉरीशस जाने लगे और 1834 में ब्रिटिश सरकार की ओर से गुलामी की समाप्ति के बाद, बड़ी संख्या में भारतीय श्रमिकों को गिरमिटिया मजदूरों के रूप में मॉरीशस लाया जाने लगा। दक्षिण अफ्रीका से भारत आते समय (29 अक्टूबर से 15 नवंबर, 1901) महात्मा गांधी की ओर से अपने जहाज एसएस नौशेरा के प्रस्थान की प्रतीक्षा करते समय किया गया एक संक्षिप्त पड़ाव आज भी मॉरीशस की चेतना में अंकित है। गांधीजी के सुझाव पर 1907 में मॉरीशस आए बैरिस्टर मनीलाल डॉक्टर ने मॉरीशस के भारतीय समुदाय को संगठित होने में मदद की और राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों के लिए उनके संघर्ष की नींव रखी।

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