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साउथ कोरिया में अमेरिकी विदेश मंत्री के दौरे के बीच नॉर्थ कोरिया ने दागी बैलिस्टिक मिसाइल, ट्रंप को क्या संकेत देना चाहते हैं किम जोंग? 

North Korea Fire Ballistic Missile: नॉर्थ कोरिया ने ऐसे समय पर ये बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है जब अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन साउथ कोरिया के दौरे पर हैं।

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North Korea Fire Ballistic Missile Ahead of South Korea Talks with USA

अपने कार्यकाल के दौरान किम जोग उन के साथ डोनाल्ड ट्रंप

North Korea Fire Ballistic Missile: उत्तर कोरिया और चीन, जापान, फिलीपींस और अमेरिका के लिए एक सिर दर्द बन गया है। इन मुद्दों और साउथ कोरिया के राजनीतिक हालात पर चर्चा करने के लिए अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन दक्षिण कोरिया (USA South Korea Dialouge) के दौरे पर गए हैं। लेकिन सियोल में एंटनी ब्लिंकन की मौजूदगी के दौरान ही उत्तर कोरिया ने बैलिस्टिक मिसाइल दाग दी। इसे उत्तर कोरिया की स्टेट मीडिया KCNA ने एक परीक्षण बताया है। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स इसे संयोग नहीं बल्कि उत्तर कोरिया की सोची-समझी रणनीति के तहत हुई प्लानिंग का हिस्सा बता रही हैं।

अंतर्राष्ट्रीय न्यूज एंजेसी राउटर्स ने कहा है कि दक्षिण कोरिया की सेना के जारी किए गए बयान के मुताबिक इस बैलिस्टिक मिसाइल को दोपहर के समय (0300 GMT, दक्षिण कोरिया का स्थानीय समय) पूर्व की ओर दागा गया है। ये परीक्षण एंटनी ब्लिंकन और दक्षिण कोरिया के कार्यवाहक राष्ट्रपति चोई सांग-मोक की मुलाकात के तुरंत बाद हुआ।

अमेरिका के सामने अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं किम जोंग

सोमवार को हुए इस टेस्ट का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है। लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि किम जोंग अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप के सामने अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हैं। इसे साउथ कोरिया और अमेरिका नजदीकी को चुनौती देते हुए भी देखा जा रहा है। क्योंकि सियोल में हो रही बैठक को लेकर इस हफ्ते की शुरुआत में अमेरिकी विदेश विभाग ने एक आधिकारिक बयान में कहा था कि सियोल में अमेरिका इस बात पर चर्चा करेगा कि कैसे अमेरिका और साउथ कोरिया, जापान एक खुले और समृद्ध इंडो-पैसिफिक को बढ़ावा देने के लिए की जा रही कोशिशों को बढ़ाव देंगे और उसे मजबूत करेंगे। कुछ सालों में अमेरिका-जापान गठबंधन की तरफ से की गई प्रगति की भी समीक्षा होगी। अमेरिका-जापान-आरओके त्रिपक्षीय सहयोग की गति को बनाए रखना जारी रखेंगे।"

अमेरिका के खिलाफ सबसे कठोर रणनीति

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेकर उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग ने एक हफ्ते पहले एक बयान जारी किया था। किम जोंग ने तब कहा था कि वे अमेरिका के खिलाफ अब तक की सबसे कठोर रणनीति लागू करेंगे। ऐसे में ये बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण अमेरिका के संदर्भ में काफी-कुछ कह रहा है। वो ये कि व्हाइट हाउस में ट्रंप की वापसी से उत्तर कोरिया के साथ हाई-प्रोफाइल कूटनीति की संभावनाएँ बढ़ गई हैं।

किम-ट्रंप की मुलाकात पर फिलहाल कोई संभावना नहीं

वहीं जब डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान, उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत के लिए किम से 3 बार मुलाकात की थी, तो ये अंदाजा लगाया जाने लगा था कि उत्तर कोरिया के रुख में नरमी आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालाँंकि कई विशेषज्ञों का कहना है कि किम-ट्रंप शिखर सम्मेलन की जल्द बहाली की कोई संभावना नहीं नजर आ रही है क्योंकि ट्रंप पहले यूक्रेन और मध्य पूर्व में हो रहे संघर्षों के मुद्दों को सुलझाने की कोशिश करेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध के लिए उत्तर कोरिया का समर्थन भी कूटनीति को फिर से बहाल करने की कोशिशों के लिए एक चुनौती है।

रिपोर्ट के मुताबिक इस बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने दक्षिण कोरिया के साथ अटूट सुरक्षा प्रतिबद्धता पर जोर दिया और उत्तर कोरिया के संभावित उकसावे से निपटने के लिए मजबूत संयुक्त रक्षा रुख अपनाने का आह्वान किया। इस बीच, 31 अक्टूबर को, जापान के रक्षा मंत्रालय ने बताया था कि उत्तर कोरिया ने कम से कम एक बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च की है, जिसके अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) श्रेणी के हथियार होने का संदेह है।

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