
अयोध्य़
हरित क्रांति ने हमारी थाली में गेहूं और चावल की पर्याप्त मात्रा जरूर पहुंचा दी है, पर इसके लिए गेहूं और चावल की जो नई प्रजातियां विकसित की गईं, उसमें अनाजों में जरूरी पोषक तत्वों की मात्रा कम हो रही है। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आइसीएआर) और विधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल तथा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन, तेलंगाना के 12 वैज्ञानिकों के संयुक्त अध्ययन में ये दावा किया गया है। जानी-मानी पत्रिका डाउन टू अर्थ में यह अध्ययन तीन श्रृंखला में प्रकाशित है। अध्ययन में दावा किया गया है कि चावल और गेहूं की नई प्रजातियां विकसित करने में सारा जोर उत्पादकता बढ़ाने पर रहा है, पर इस प्रक्रिया गेहूं और चावल में मौजूद पोषक मूल्यों से समझौता किया गया है। अध्ययन में पाया गया है कि भारत के लोगों की 50 फीसदी ऊर्जा जरूरतें गेहूं और चावल के जरिए पूरी होती हैं। अध्ययन के अनुसार, इन दोनों ही अनाजों का पोषक मूल्य पिछले 50 साल में 45 फीसदी तक कम हो गया है, जबकि इनमें मौजूद टॉक्सिक पदार्थ जैसे आर्सेनिक, बोरियम की मात्रा बढ़ती जा रही है। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो 2040 तक इन अनाजों की पोषकता बहुत कम हो जाएगी और ये शरीर को जरूरी पोषकता देने के बजाए हमें रोगी बनाने का काम करेंगे।
चावल की 16 और गेहूं 18 प्रजातियों पर अध्ययन
अध्ययन कर्ताओं ने ग्रीन रिवोल्यूशन के दौरान विकसिक की गईं चावल की 16 और गेहूं की 18 प्रजातियों/पौध को अपने अध्ययन में शामिल किया। इन प्रजातियों का चुनाव पूरे देश में विभिन्न संस्थाओं के साथ विचार विमर्श के बाद किया गया था। इसमें ये ध्यान रखा गया कि अध्ययन में सबसे अधिक प्रचलित प्रजातियां ही शामिल हों।
पोषक तत्वों में 33 फीसदी तक कमी
वैज्ञानिकों ने अध्ययन में मुख्य रूप से गेहूं और चावल में आयरन, जिंक, कैल्शियम और कॉपर की मात्रा का अध्ययन किया गया। अध्ययन के अनुसार, चावल में जिंक और आयरन की मात्रा में 33 और 27 फीसदी की कमी आई है। गेहूं में इनकी मात्रा में 30 और 19 फीसदी की कमी आई है।
आर्सेनिक की मौजूदगी 1493 फीसदी बढ़ी
पोषकता तत्वों की उपस्थिति के साथ ही अध्ययन में यह भी पाया गया कि गेहूं और चावल में आर्सेनिक, बैरियम, अल्युमीनियम, स्ट्रोनटियम जैसे टॉक्सिक तत्वों की मौजूदगी बढ़ती जा रही है। चावल में तो आर्सेनिक की मौजूदगी 1493 फीसदी बढ़ी है।
बढ़ जाएगी कुपोषित और रोगी आबादी
वैज्ञानिकों ने यह भी दावा किया है कि अनाजों में पोषक तत्वों की कमी के कारण भारत में कुपोषित और रोगी आबादी की संख्या तेजी से बढ़ सकती है, जिसके संकेत पहले से ही मिल रहे हैं। गौरतलब है कि फॉस्फोरस (पी), कैल्शियम (सीए), सिलिकॉन (सी) और वैनेडियम (वी) जैसे पोषक तत्व हड्डियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं; वहं जिंक प्रतिरक्षा, प्रजनन और न्यूरॉन संबंधी विकास में अहम भूमिका निभाता है। हीमोग्लोबिन निर्माण के लिए आयरन महत्वपूर्ण है।
1996 के बाद बेहतर किस्में
हरित क्रांति के आरंभ में जोर पैदावार बढ़ाने पर था। इस दौर में विकसित कुछ किस्मों जैसे लाल बहादुर आदि में पोषकता कम थी। पर 1996 के बाद बेहतर किस्में आई हैं। मैं इस अध्ययन से सहमत नहीं। संभव है ये अध्ययन कुछ खास क्षेत्रों में पैदा उपजों पर हुए हों। प्रो. होशियार सिंह, डीन, वीजीयू, जयपुर
Published on:
23 Jan 2024 11:34 pm
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