
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन। (फोटो: X Handle Joni Askola.)
Hybrid Warfare Russia Europe: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन युद्ध को केवल हथियारों से लड़ने के बजाय एक नए तरीके से यूरोप के सामने पेश किया (Putin Strategy)है। इस नई रणनीति को ‘हाइब्रिड युद्ध’ (Hybrid Warfare) कहा जाता है, जिसमें सीधे गोलियां चलाए बिना डिजिटल और ड्रोन हमलों (Cyber Attacks Europe) से यूरोप को परेशान किया जा रहा है। पिछले सप्ताह यूरोप के कई हवाई अड्डों पर ड्रोन हमलों (Russia Drone Attacks) के कारण भारी परेशानी हुई, जिससे यूरोप को अब इस तरह के हमलों को अपनी नई सामान्य वास्तविकता मानना पड़ा है।डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने यह माना है कि इन हमलों के पीछे कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं है और वह रूस को सीधे दोषी नहीं ठहरा रही हैं, लेकिन यूरोप के लिए यह खतरा बड़ा है। ऐसे हमलों में दोषी को पकड़ना मुश्किल होता है। क्योंकि वे गुप्त और चुपके से किए जाते हैं। यही वजह है कि इन हमलों के कारण यूरोप में सुरक्षा को लेकर अनिश्चितता और असमंजस के हालात हैं।
रूस के इन ड्रोन हमलों और साइबर हमलों का मकसद सिर्फ नुकसान पहुंचाना नहीं है, बल्कि जनता का विश्वास अपने नेताओं और सुरक्षा एजेंसियों से कम करना भी है। यूरोप में पोलैंड, एस्टोनिया जैसे देशों में ड्रोन गतिविधि और हवाई क्षेत्र के उल्लंघन से यह साफ होता है कि रूस अपनी आक्रामकता बढ़ा रहा है। वहीं, हैकिंग हमलों ने यूरोप के कई हवाई अड्डों और अन्य जगहों पर अस्थिरता पैदा कर दी है।
डेनमार्क के अधिकारियों को भी अब तक इस बात का पता नहीं चल पाया है कि इन हमलों के पीछे असल में कौन है। फ्रेडरिक्सन ने कहा है कि जल्दबाजी में गलत फैसले लेना और देर से सही कदम उठाना दोनों ही खतरे पैदा करते हैं। डेनमार्क ने यूक्रेन को F16 लड़ाकू विमान दिये हैं और साथ ही अपने देश की रक्षा के लिए लंबी दूरी की मिसाइलों की तैयारी कर रहा है।
पश्चिमी देश लगातार इस हाइब्रिड युद्ध के असर और जिम्मेदारों को लेकर उलझन में हैं। अगर रूस को दोषी ठहराया गया तो इससे तनाव बढ़ सकता है, और अगर जिम्मेदारी न ली गई तो सुरक्षा खतरे और बढ़ सकते हैं। यूके और पोलैंड जैसे देशों ने रूस समर्थित अपराधियों और एजेंटों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है।
इस तरह के हमले यूरोप के लिए महंगे साबित हो रहे हैं। ड्रोन हमले रोकने के लिए बड़े हथियार और मिसाइलें खर्च करनी पड़ती हैं, जो हर बार बचाना संभव नहीं। यह स्थिति नाटो और यूरोप की सुरक्षा व्यवस्था के लिए चुनौती बन गई है।
अधिक चिंता की बात यह है कि रूस के कई एजेंट नाटो देशों में घुसपैठ कर सकते हैं और नागरिकों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। साथ ही, कभी-कभी रूस के खिलाफ गलत आरोप भी लगते हैं, जिससे स्थिति और जटिल हो जाती है।
हालांकि पुतिन अपने बड़े कदमों को लेकर जोखिम नहीं लेना चाहते, परंतु चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ हाल की बैठक के बाद उनकी आक्रामकता बढ़ी है। इस बीच, सामान्य यूरोपीय नागरिकों को हवाई अड्डों पर देरी, गैस की बढ़ती कीमतें और साइबर हमलों जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जो पुतिन की रणनीति का एक हिस्सा हैं।
बहरहाल यूरोप को अब अपनी सुरक्षा मजबूत करने के लिए ज्यादा खर्च और तैयारी करनी होगी, क्योंकि यह हाइब्रिड युद्ध एक लंबी लड़ाई बनता जा रहा है। पुतिन के लिए यह एक फायदा हो सकता है, लेकिन इससे यूरोप के सामने कई नए खतरे भी पैदा हो रहे हैं।
Updated on:
27 Sept 2025 05:33 pm
Published on:
27 Sept 2025 05:30 pm
बड़ी खबरें
View Allविदेश
ट्रेंडिंग
