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मुस्लिम देश सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद से क्यों छिड़ी है विद्रोही गुटों की जंग, कैसे शुरू हुआ ये गृहयुद्ध 

Syria: सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद रूस, ईरान और लेबनान के हिजबुल्लाह की सहायता से सालों से विद्रोही गुटों का सामना कर रहे हैं। लेकिन पिछले दिनों इन गुटों ने अचानक असद के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।

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Syria president Bashar al Assad

Syria president Bashar al Assad: Photo ANI

Syria: सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद देश छोड़ चुके हैं इसका दावा कई मीडिया रिपोर्ट्स में किया जा रहा है। विद्रोही गुटों का ये भी दावा है कि उन्होंने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है। यहां हम आपको ये बता रहे हैं कि आखिर ये विद्रोही गुट कौन हैं, राष्ट्रपति असद (Bashar al Assad) से ये क्या चाहते हैं और क्योंकि सीरिया पर ये कब्जा कर रहे हैं। इसे समझने के लिए पहले आपको सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के बारे में जानना होगा।

कौन हैं बशर अल असद?

59 साल के बशर अल असद ने साल 2000 में अपने पिता हाफिज अल-असद की मौत के बाद सीरिया की सत्ता संभाली। उनके पिता 1971 से सीरिया पर शासन कर रहे थे। राजधानी दमिश्क में जन्मे अल-असद ने यहीं से मेडिकल स्कूल से स्नातक किया। वे नेत्र विज्ञान की पढ़ाई करने गए थे लेकिन पढ़ाई के दौरान ही उनके भाई की मौत हो गई थी जिसके बाद वो सीरिया वापस लौट आए। 

बशर अल असद के बड़े भाई बासेल अल-असद देश के नेता के तौर पर अपने पिता की जगह लेने वाले थे, लेकिन एक कार एक्सीडेंट में उनकी भी मौत हो गई, इसके बाद बशर ही देश के राष्ट्रपति बन गए।

कैसे पनपे विद्रोही गुट

साल 2011 उनके शासन काल के लिए सबसे अहम रहा। इस वक्त सीरिया में लोकतंत्र की मांग को लेकर हजारों सीरियाई नागरिक सड़कों पर उतर आए, जनता की आवाज दबाने के लिए सीरिया की सरकार ने उन पर सैन्य बल का प्रयोग किया। इसी के विरोध में कई सशस्त्र विद्रोही समूहों का गठन हो गया। इन्हें ही सीरिया का विद्रोही गुट कहते हैं और यही इतने साल से सीरिया को राष्ट्रपति बशर अल असद और उनकी सरकार के खिलाफ गतिविधियां कर रहे हैं। ये विरोध साल 2012 के मध्य तक एक पूर्ण गृह युद्ध में बदल गया।

जनता पर असद ने किए अत्याचार!

रिपोर्ट्स के मुताबिक राष्ट्रपति बशर अल असद पर मानवाधिकार उल्लंघनों का आरोप लगा, क्योंकि उन्होंने युद्ध के दौरान सीरिया में रासायनिक हथियारों का प्रयोग किया, कुर्दों का दमन और लोगों को जबरन गायब किया था। विद्रोही गुटों से लड़ने के लिए असद रूस, ईरान और लेबनान के हिजबुल्लाह की मदद ले रहे थे, इनके ही दम पर वे इतने सालों से विद्रोही गुटों से लड़ रहे थे। लेकिन पिछले दिनों ये गुट अचानक सक्रिय हए गए और प्रेसीडेंट असद के लिए बड़ी मुश्किल पैदा कर दी है क्योंकि असद के मुख्य सहयोगी- रूस, हिजबुल्लाह और ईरान, इजरायल खुद के ही संघर्षों में उलझे हुए हैं।

इसी का फायदा इन विद्रोही गुटों ने उठाया और सीरिया के कई बड़े शहरों पर हमला कर उन्हें कब्जे में ले लिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक असद की सेना इतने सालों के इस युद्ध में खत्म हो चुकी थी कई सैनिक तो अब सरकार की तरफ से लड़ना भी नहीं चाहते थे। वहीं अब असद देश छोड़कर चले गए हैं सीरिया से असद सरकार का पतन हो गया है जो रूस और ईरान के लिए बड़ा झटका है क्योंकि उन्होंने इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साथी खो दिया है।

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