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तालिबान पर हमले की शुरुआत! रूस और ताजिकिस्तान ने सीमा के पास बरसाए गोले

Published: Oct 23, 2021 11:53:05 am

Submitted by:

Ashutosh Pathak

रूस और ताजिकिस्तान के सैनिकों ने ताजिकिस्तान की अफगानिस्तान से लगती सीमा के नजदीक संयुक्त अभ्यास किया। यह अभ्यास अफगानिस्तान से उभर सकने वाले सुरक्षा खतरों को देखते हुए तैयारी के प्रयासों का हिस्सा है। रूस और ताजिकिस्तान ने अफगानिस्तान की सीमा के आसपास के क्षेत्र में गोलों की बरसात की है।
 

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नई दिल्ली।

तालिबान को अफगानिस्तान की सत्ता संभालते करीब ढाई महीने का वक्त होने जा रहा है। इस बीच इस चरमपंथी संगठन का शासन पूरे समय विवादों में रहा और 1996 से 2001 के पिछले शासन की याद ताजा करता रहा।
वहीं, तमाम देशों ने तालिबान सरकार को अब तक मान्यता नहीं दी है। इसमें उसके कुछ कथित मित्र देश भी शामिल हैं। अब उसके खिलाफ युद्ध की शुरुआत के लक्षण भी दिखाई दे रहे हैं। रूस और ताजिकिस्तान ने अफगानिस्तान की सीमा के आसपास के क्षेत्र में गोलों की बरसात की है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रूस और ताजिकिस्तान के सैनिकों ने ताजिकिस्तान की अफगानिस्तान से लगती सीमा के नजदीक संयुक्त अभ्यास किया। यह अभ्यास अफगानिस्तान से उभर सकने वाले सुरक्षा खतरों को देखते हुए तैयारी के प्रयासों का हिस्सा है।
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अफगानिस्तान की सीमा से करीब 20 किलोमीटर दूर उत्तर में स्थित मोमिराक फायरिंग रेंज में हुए सैन्य अभ्यास में बख्तरबंद वाहन और लड़ाकू हेलिकॉप्टर शामिल थे। यह अभ्यास हफ्ते भर से जारी अभ्यासों का हिस्सा है जिसमें रूस, ताजिकिस्तान और पूर्व सोवियत राष्ट्र का हिस्सा रहे कई देशों के करीब 5000 सैनिक और 700 से अधिक बख्तरबंद वाहन शामिल हुए।
ये राष्ट्र सुरक्षा समझौते ‘सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन’ के सदस्य हैं। ताजिकिस्तान के रक्षा मंत्री शेराली मिर्जो ने कहा कि अफगानिस्तान में ‘अंतरराष्ट्रीय बलों की वापसी के बाद आए विनाशकारी परिवर्तनों’ के बीच सैन्य अभ्यास का फैसला लिया गया।
उन्होंने कहा, ‘अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकवादी समूहों को कई आधुनिक हथियार मिल गए हैं जिससे वे बेहतर स्थिति में आ गए हैं। वे वर्तमान हालात का फायदा उठा रहे हैं ताकि अपने पैर मजबूती से जमा सकें और क्षेत्र में और विध्वंसकारी गतिविधियों को अंजाम दे सकें।’ रूसी अधिकारियों ने कहा कि तालिबान के इस वादे पर उन्हें भरोसा है कि वह पड़ोसी देशों के लिए खतरा पेश नहीं करेगा लेकिन उत्तरी अफगानिस्तान में मौजूद इस्लामिक स्टेट समूह, अल कायदा और अन्य उग्रवादी मध्य एशिया के पूर्व सोवियत देशों को अस्थिर करने के प्रयास कर सकते हैं।
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उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से मादक पदार्थों की तस्करी की चुनौती भी बनी हुई है। मास्को ने मध्य एशिया में पूर्व सोवियत सहयोगियों को संभावित खतरे से निबटने के लिए सैन्य सहायता देने का संकल्प लिया है। उसने अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान के साथ कई संयुक्त सैन्य अभ्यास भी किए हैं।
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