
S. Jaishankar UAE visit: भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर (S. Jaishankar) ने संयुक्त अरब अमीरात ( UAE) की यात्रा के दौरान अबू धाबी के क्राउन प्रिंस (Crown Prince), खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से महत्वपूर्ण मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों (India UAE relations) को और मजबूत करने पर चर्चा की गई। दोनों पक्षों ने व्यापार, रक्षा, ऊर्जा और सांस्कृतिक साझेदारी को बढ़ावा देने के उपायों पर विचार किया, साथ ही दोनों देशों के बीच व्यापक सहयोग के लिए कदम उठाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
डॉ. जयशंकर ने 'रायसीना पश्चिम एशिया' कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में भारत और पश्चिम एशिया के रिश्तों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है और भारत का खाड़ी देशों के साथ लगभग 160 से 180 अरब डॉलर के बीच व्यापार है। यह व्यापार, संपर्क और लोगों के आपसी संबंधों में पिछले दस वर्षों में तेजी से विस्तार हुआ है।
जयशंकर ने बताया कि खाड़ी देशों में 90 लाख से अधिक भारतीय नागरिक काम करते हैं और रहते हैं, जो भारत और इन देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक रिश्तों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इसके अलावा, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत का संपर्क पश्चिम एशिया, उत्तरी अफ्रीका और भूमध्य सागर तक फैला हुआ है, जो भारत की रणनीतिक दृष्टि और मजबूत बनाता है।
भारत और पश्चिम एशिया के बीच सहयोग के कई बड़े प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं, जिनमें हवाई अड्डे, बंदरगाह, रेलवे, हरित हाइड्रोजन, इस्पात जैसी प्रमुख परियोजनाएं शामिल हैं। डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत और पश्चिम एशिया के प्रयासों को अफ्रीका और यूरोप तक बढ़ाया जा सकता है, जिससे क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर आर्थिक और विकासात्मक सहयोग को नया आयाम मिल सकता है।
विदेश मंत्री ने समुद्री सुरक्षा और संपर्क को लेकर बहुपक्षीय सहयोग की आवश्यकता पर भी बात की। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार और सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह महत्वपूर्ण है कि सभी देशों के बीच साझेदारी मजबूत हो, ताकि समुद्री रास्तों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और व्यापार में कोई रुकावट न आए।
डॉ. जयशंकर ने इस दौरान यह भी स्पष्ट किया कि भारत पश्चिम एशिया को एक महत्वपूर्ण मार्ग के रूप में देखता है, जो उसे दुनिया के अन्य हिस्सों से जोड़ता है। यह क्षेत्र न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत की बाहरी नीति और सुरक्षा रणनीति में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
बहरहाल इस मुलाकात और संवाद के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि भारत और यूएई के बीच बढ़ते द्विपक्षीय संबंध दोनों देशों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकते हैं। दोनों देशों के नेताओं ने कई क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत रोडमैप बनाने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें व्यापार, निवेश, ऊर्जा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, और संस्कृति जैसे प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं। इस तरह की मुलाकातें और वार्ता दोनों देशों के बीच विश्वास और साझेदारी को और मजबूत करती हैं, जो भविष्य में भारत और पश्चिम एशिया के देशों के बीच संबंधों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकती हैं।
Updated on:
29 Jan 2025 03:53 pm
Published on:
29 Jan 2025 03:52 pm
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