scriptयहां भारी पत्थर भी एक किमी तक चलते हैं, अपने पीछे निशान भी छोड़ जाते हैं, जानिए कैसे | Scientists solve mystery of Death Valley's 'sailing' stones | Patrika News

यहां भारी पत्थर भी एक किमी तक चलते हैं, अपने पीछे निशान भी छोड़ जाते हैं, जानिए कैसे

Published: Nov 12, 2021 10:33:41 pm

Submitted by:

Ashutosh Pathak

कैलिफोर्निया के डेथ वैली नेशनल पार्क में रेस ट्रैक प्लाया नाम की एक सूखी झील है। ये 2.5 मील उत्तर से दक्षिण और 1.25 मील पूरब से पश्चिम तक फैली एक सपाट जमीन है जिसमें ढलान नहीं है। मगर इस इलाके से जुड़ी एक बेहद विचित्र बात है जो सभी को चौंकाती है। इस जमीन पर पड़े कुछ पत्थर अपने आप ही अपनी जगह से खिसकते हैं।
 

stones.jpg
नई दिल्ली।

आपने कभी किसी पत्थर को चलते हुए देखा है। शायद नहीं, क्योंकि आपको लगता है कि पत्थर तो निर्जीव है, वह कैसे चल सकता है।

आपका सोचना सही है, मगर यह भी सही है कि कुछ पत्थर चल सकते हैं। अमरीका में एक जगह ऐसी भी है जहां पत्थर भी चलते हैं। ये चलने वाले पत्थरों के बारे में वर्षों से कई शोध हुए उसके बावजूद इसके पीछे के राज को पूरी तरह नहीं खोला जा सका। आज भी वैज्ञानिक सिर्फ संभावनाएं बताते हैं।
यह भी पढ़ें
-

पाकिस्तान में इस समुदाय की महिलाएं 65 साल की उम्र में भी बच्चे पैदा करती हैं, लंबे समय तक नहीं आता उन्हें बुढ़ापा, जानिए क्यों

लोगों का मानना है कि ये विडंबना ही है कि जिस जगह का नाम डेथ वैली है वहां निर्जीव चीज भी चलती है। वर्षों से इस बात पर लोग शोध कर रहे हैं कि आखिर ये पत्थर अपनी जगह से कैसे खिसक रहे हैं। पत्थर अपनी पीछे खिसकने का एक लंबा निशान भी छोड़ जाते हैं।
2014 से पहले इन पत्थरों को लेकर काफी रिसर्च हुई। कुछ वैज्ञानिकों ने तो पत्थरों को नाम देकर उन्हें एक जगह पर छोड़ा मगर वो जब कुछ सालों बाद लौटे तो उन्होंने देखा कि 200 किलो से भी भारी पत्थर अपनी जगह से खिसककर करीब 1 किलोमीटर दूर पड़ा है। साल 2014 में रिचर्ड डी नॉरिस और उनके भाई जेम्स नॉरिस ने दावा किया कि उन्होंने पत्थरों के राज का पता लगा लिया है।
यह भी पढ़ें
-

इतिहास में तीसरी बार: अंटार्कटिका से 3 हजार किमी का सफर तय कर पेंगुइन पहुंच गई न्यूजीलैंड, खा रही है पत्थर, वैज्ञानिकों को सता रही यह चिंता

उनके अनुसार ये मूवमेंट ठंड के दिनों में खास तरह के मौसम के दौरान ही होता है। जब सूखी झील पर हल्का पानी होता है और ठंड के दिनों में रात के वक्त वो पानी जम जाता है तो बर्फ की काफी पतली चादर बन जाती है। जब धूम निकलती है तो बर्फ के यही टुकड़े छोटे-छोटे पैनल में बंट जाती हैं और हल्के पानी पर फिसलने लगते हैं। इलाके में चलने वाली काफी तेज हवा से बर्फ के टुकड़े पत्थर को लेकर साथ में खिसकते हैं।
इस कारण से इनके खिसकने के साथ ही पीछे निशान भी छूट जाता है। दोनों भाइयों ने टाइम लैप्स तकनीक का इस्तेमाल कर के इस बात का पता लगाया था जिसका वीडियो यूट्यूब पर मौजूद है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो