
Maharaja mansingh ii
India-Spain Relations: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Narendra Modi) और स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ( Sanchez) के बड़ौदा में रोड शो, एयरबस टाटा प्लांट के कारण भारत और स्पेन ( Spain) के रिश्ते फिर से सुर्खियों में आ गए हैं। भारत और स्पेन के अतीत के रिश्तों की बात करें तो अतीत में भारत के जयपुर (Jaipur) के महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय (Sawai Mansingh ii) को स्पेन का पहला राजदूत नियुक्त किया गया, जो यह दिखाता है कि उन्होंने न केवल भारत (India) ] बल्कि राजस्थान की कूटनीतिक पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कायम की। महाराजा मानसिंह ने ने 18वीं सदी में अपनी विदेश नीति और कूटनीतिक संबंधों को बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
जब भारत आजाद हुआ तो तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू और गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने देसी रियासतों का भारत में विलय करना शुरू किया। तब जयपुर देश की समृद्ध रियासतों में से था। महाराजा मानसिंह ने उनकी तरक्की के लिए काफी काम कराया था, लेकिन वे नहीं चाहते थे कि उनकी रियासत का विलय भारत में हो। तब उन्होंने इसके लिए बहुत देर की। शायद उनकी रियासत सबसे आखिर में भारत में विलय करने वाली रियासतों में थी। ये कदम उन्होंने 1949 में जाकर उठाया।
महाराजा इस बात से बहुत खिन्न भी थे कि भारत सरकार ने जबरदस्ती उनकी रियासत को भारतीय लोकतंत्र में मिला दिया। प्रधानमंत्री नेहरू से उनके रिश्ते इसी बात पर बिगड़े रहे और वे पटेल से भी नाराज रहे। बाद में जब वे और नाराज हो गए जब भारत में संविधान लागू हुआ और 1952 में केंद्र सरकार ने राजस्थान संघ के राज्य प्रमुख के पद से भी हटाकर वो पद ही खत्म कर दिया।
नेहरू से उनके रिश्ते बाद में सुधरे। नेहरू ने वर्ष 1962 में उन्हें 6 साल के लिए राज्यसभा में पहुंचाया, मगर रियासत हाथ से निकल जाने को लेकर उनकी पत्नी और महारानी गायत्री देवी ने कांग्रेस को कभी क्षमा नहीं किया।
कांग्रेस ने बहुत कोशिश की कि वह महारानी गायत्री देवी ( Maharani Gayatridevi ) की नाराजगी को दूर कर सके, मगर ऐसा हो नहीं सका। बाद में गायत्री देवी ने कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा और वे लोकसभा में भी पहुंचीं।
नेहरू के निधन के बाद 1965 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने भी कोशिश की थी कि वे कांग्रेस में शामिल हो जाएं और उन्होंने गायत्रीदेवी को बुलाया भी और बताया भी कि उनके पति महाराजा मानसिंह द्वितीय को स्पेन में भारत का राजदूत बनाया जा रहा है, अब उन्हें कांग्रेस में आ जाना चाहिए, लेकिन तब भी गायत्री देवी नहीं मानीं।
उन्होंने भारत और स्पेन के बीच व्यापारिक समझौतों के माध्यम से वाणिज्यिक संबंधों को विकसित किया, जो आर्थिक लाभ लेकर आया। वहीं कई देशों के साथ संबंध स्थापित किए, जिसमें स्पेन, फ्रांस और इंग्लैंड शामिल थे। भारत की ओर से स्पेन के पहले राजदूत जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय थे। उनका जन्म 21 अगस्त, 1912 को हुआ था। वे जयपुर के आखिरी शासक थे। उन्होंने 1922 से लेकर 1949 तक जयपुर पर शासन किया। इसके बाद, 1949 से 1956 तक वे राजस्थान के राजप्रमुख रहे। इसके बाद, उन्होंने स्पेन में भारत के राजदूत के तौर पर काम किया।
जयपुर के महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय को स्पेन का पहला राजदूत बनाया गया। हालांकि दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध 1956 से ही शुरू हो चुके थे। मानसिंह की राजदूत के तौर पर नियुक्ति 1965 में हुई। जब मानसिंह द्वितीय को स्पेन को राजदूत बनाया गया तो यह सोचा गया कि शासन और राजनीति में उनके अनुभव का भारत को स्पेन में फायदा मिलेगा। खासकर उन्हें ये दायित्व तब सौंपा गया, जबकि भारत वैश्विक मंच पर अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा था।
महाराजा मानसिंह के राजदूत बनने के बाद दोनों देशों के संबंध ना केवल मजबूत हुए बल्कि उनकी कोशिशों से भारत यूरोपीय देशों के और करीब आया। भारत को हथियारों से लेकर दूसरे मामलों में तब मानसिंह के प्रयासों से ही मदद मिली। सैन्य मामलों में उनकी पिछली भागीदारी और भारत के लिए आधुनिक सैन्य तकनीक हासिल करने में उनकी रुचि ने भी एक भूमिका निभाई। उनके यूरोपीय संबंधों ने हथियारों के सौदे को आसान बनाया।
स्पेन पहले राजतंत्र था। सन 1978 में ये लोकतांत्रिक देश बना। हालांकि वहां अभी भी राजा औपचारिक तौर पर देश का मुखिया कहा जाता है, उसके नीचे प्रधानमंत्री होता है और जो सरकार चलाता है और सरकार का प्रमुख है, सन 1992 में प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहाराव व 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पेन का दौरा किया था।
गौरतलब है कि स्पेन भारत में 15वां सबसे बड़ा निवेशक है। महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में स्पेन का निवेश है। स्पेन में भारतीय निवेश लगभग 900 मिलियन अमेरिकी डॉलर के आसपास है। स्पेन में करीब 40 भारतीय कंपनियां हैं, जो मुख्य रूप से सॉफ्टवेयर और आईटी सेवाओं, फार्मास्युटिकल्स, रसायन और लॉजिस्टिक्स में हैं। भारत वैश्विक स्तर पर स्पेन में शीर्ष 30 निवेशकों में से एक है। आज स्पेन में फिलहाल भारतीय राजदूत दिनेश के. पटनायक हैं।
Updated on:
29 Oct 2024 01:07 pm
Published on:
28 Oct 2024 10:06 pm
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