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बिडेन से बात करने के बाद मैक्रों का गुस्सा हुआ शांत, अगले हफ्ते फ्रांस अपने राजदूत को वापस अमरीका भेजेगा

फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों पनडुब्बी विवाद का हल निकालने के लिए अमरीकी राष्ट्रपति जो बिडेन से स्पष्टीकरण और स्पष्ट वादों की उम्मीद कर रहे हैं।  

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Ashutosh Pathak

Sep 23, 2021

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नई दिल्ली।

अमरीका और फ्रांस के बीच पनडुब्बी विवाद अब खत्म होता दिख रहा है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों और अमरीकी राष्ट्रपति जो बिडेन के बीच इस मामले पर टेलिफोन पर बात हुई है। बातचीत के बाद फ्रांस ने अगले हफ्ते अपना राजदूत वापस वाशिंगटन भेजने का फैसला किया है। पिछले हफ्ते फ्रांस ने अपना राजदूत आस्ट्रेलिया और वाशिंगटन से वापस बुला लिया था।

व्हाइट हाउस और फ्रांस के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास द एलिसी ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर यह जानकारी दी है। दोनों देशों की ओर से बताया गया है कि दोनों राष्ट्राध्यक्षों ने अपासी भरोसा सुनिश्चित करने की स्थिति का निर्माण करने के लिए गहन विचार विमर्श किया। अक्टूबर के अंत में मैक्रों और बिडेन की यूरोप में मुलाकात होगी।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों पनडुब्बी विवाद का हल निकालने के लिए अमरीकी राष्ट्रपति जो बिडेन से स्पष्टीकरण और स्पष्ट वादों की उम्मीद कर रहे हैं। मैक्रों के ऑफिस की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, बिडेन ने पिछले हफ्ते अमरीका से फ्रांस के राजदूत को वापस बुलाने की पहली बार हुई घटना के कारण विश्वास में आई कमी पर चर्चा करने के लिए फोन पर बात करने का अनुरोध किया था। बयान में कहा गया कि मैक्रों हिंद प्रशांत महासागर सहयोग पर एक करार से एक यूरोपीय सहयोगी को दूर रखने के अमरीका के फैसले पर स्पष्टीकरण की उम्मीद कर रहे थे।

अमरीका और ब्रिटेन के परमाणु पनडुब्बी की आपूर्ति के लिए आस्ट्रेलिया के साथ करार किया है। इसके बाद आस्ट्रेलिया ने फ्रांस के साथ डीजल संचालित पनडुब्बी के करार को रद्द कर दिया है। इस पर फ्रांस ने नाराजगी जताई और इस मुद्दे पर उसे यूरोपीय यूनियन के राजनयिकों का साथ मिला है। वहीं, नॉटो के महासचिव ने भी इस पर अपनी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने किसी का पक्ष नहीं लिया लेकिन गठबंधन के प्रमुख लक्ष्यों के बारे एकजुटता बढ़ाने पर जोर दिया।

आक्स के गठन और आस्ट्रेलिया को पनडुब्बी देने का असर फ्रांस और अमरीका के रिश्ते पर काफी गहरा पड़ रहा है। फ्रांसिसी अधिकारियों ने इस हफ्ते वाशिंगटन और बाल्टिमोर में फ्रेंको-अमरीकी संबंधों का जश्न मनाने के लिए आयोजित एक समारोह को पहले ही रद्द कर दिया है। वहीं, व्हाइट हाउस की ओर से बताया गया कि बिडेन प्रशासन पेरिस के साथ अपने मतभेदों को दूर करने की कोशिश करेगा। फ्रांस और अमरीका महामारी और सुरक्षा समेत तमाम मुद्दों पर सहयोग करना जारी रखेंगे।

अमरीका, ब्रिटेेन और आस्ट्रेलिया ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की दादागिरी कम करने और उसकी घेराबंदी क लिए नया त्रिपक्षीय सुरक्षा गठबंधन ऑक्स यानी एयूकेयूएस का ऐलान किया है। यह बात अलग है कि इन तीनों देशों के इस नए गठजोड़ में भारत नहीं है, लेकिन ऑक्स की घोषणा भारत के लिए अच्छी खबर है, जबकि चीन के लिए परेशानी का सबब बनेगा।

इस गठबंधन के तहत तीनों राष्ट्र संयुक्त क्षमताओं के विकास करने, प्रोद्यौगिकी को साझा करने, सुरक्षा के गहन एकीकरण को बढ़ावा देने और रक्षा संबंधित विज्ञान, प्रोद्यौगिकी, औद्योगिक केंद्रों और आपूर्ति श्रंखलाओं को मजबूत करने पर सहमत हुए। सुरक्षा त्रिपक्षीय गठबंधन यानी ऑक्स एक तरह से चीन को कड़ा संदेश होगा। यह प्रमुख रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आस्ट्रेलिया की क्षमताओं को बढ़ाएगा।

ऑक्स आने से हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में चीन को काबू में रखने के वैश्विक प्रयासों में मदद मिलेगी। ऑक्स आस्ट्रेलिया की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाएगा। यह इंडो-पैसिफिक में भारत के करीबी रणनीतिक साझेदारों में से एक बन गया है। साथ ही तीन देशों के नए गठबंधन से क्वॉड की क्षमताओं में भी बढ़ोतरी होगी। इसमें अमरीका और आस्ट्रेलिया दोनों सदस्य हैं।