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Muslim Celebrities Success Story: भारत के अंतरराष्ट्रीय स्तर के उन 8 मुस्लिम वैज्ञानिकों और इंजीनियरों से मिलिए, जिन्होंने भारत के चंद्रमा मिशन की सफलता में योगदान दे कर भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है। वे छोटी शुरुआत से बुलंदी तक पहुंचे हैं।
उन्होंने अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की चंद्रयान-3 प्रोजेक्ट टीम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिन्होंने अंतरिक्ष विज्ञान व प्रौद्योगिकी की दुनिया में एक नया इतिहास लिखा,जिससे देश को शोहरत मिली और दुनिया इस गौरवान्वित क्षण की साक्षी बनी।
हमारे इन वैज्ञानिकों के कारण, भारत अब अमेरिका, रूस और चीन के साथ खड़ा है, जो अंतरिक्ष यान प्रौद्योगिकी में महारत हासिल कर चुके हैं और यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत अंतरिक्ष यान विज्ञान में “विश्व गुरु” (विश्व नेताओं) में से एक के रूप में उभरा है। यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित उन कुछ मुस्लिम वैज्ञानिकों के नाम और संक्षिप्त परिचय दिए गए हैं, जो चंद्रयान-3 टीम का हिस्सा थे।
सना फ़िरोज़ (Sana Firoz), पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग में बी.टेक. (2006-2010) किया और उन 54 महिला वैज्ञानिकों और इंजीनियरों में से हैं जिन्होंने चंद्रयान -3 की सफलता में योगदान दिया।आज़मगढ़ के पड़ोसी छोटे से एक शहर मऊ की रहने वाली सना 2013 से मोहाली में इसरो के साथ काम कर रही हैं।
यासर अम्मार (Yaser Ammar), सना के पति हैं और पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग में बी.टेक. (2006-2010) किया है। वे चंद्रयान -3 प्रोजेक्ट टीम का हिस्सा थे। यासर गोरखपुर के मूल निवासी हैं व इसरो की मोहाली यूनिट में काम करते हैं। यासर, 2010 से इसरो के साथ काम कर रहे हैं, उन्होंने कई शोध पत्र लिखे हैं, जिनमें इसरो द्वारा प्रकाशित एक प्रतिष्ठित शोध पत्रिका, जर्नल ऑफ स्पेसक्राफ्ट टेक्नोलॉजी में प्रकाशित “Design and development of Silicon Photomultiplier for Photon Counting Applications” भी शामिल है।
मोहम्मद साबिर आलम (Mohd.Sabir Alam) एक इंजीनियर हैं, जिन्होंने चंद्रयान-3 मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुवनंतपुरम (केरल) से एरोनॉटिकल और एस्ट्रोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल करने के बाद वह 2018 से इसरो के तिरुवनंतपुरम केंद्र में काम कर रहे हैं।
अरीब अहमद (Areeb Ahmed) एक युवा वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने चंद्रयान -3 की सफलता में बड़ा योगदान दिया था और उन्होंने ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक (2015-19 बैच) किया है। वे उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले से हैं। अरीब इसरो की श्रीहरिकोटा में तैनात, अरीब 14 जुलाई, 2023 से चंद्रयान -3 लॉन्च होने से पहले एक निरीक्षण दल का हिस्सा थे और अंतरिक्ष यान छह सप्ताह की अवधि में 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरा।
अख्तर अब्बास (Akhter Abbas) भारत के पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के मूल निवासी हैं और केरल के तिरुवनंतपुरम में तैनात हैं। उन्होंने चंद्रयान-3 प्रोजेक्ट में काम किया है और वे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से बी.टेक (2006-2010) और मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद से एम.टेक कर मार्च 2015 से इसरो के साथ काम कर रहे हैं। इसरो में शामिल होने से पहले, उन्होंने डीआईटी देहरादून में विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में काम किया था और वे इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन लिमिटेड में संचालन प्रबंधक भी रहे।
इशरत जमाल ( Ishrat Jamal) चंद्रयान-3 प्रोजेक्ट का हिस्सा थे, उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक और आईआईटी, कानपुर से पावर एंड कंट्रोल में एमटेक किया है, वे पिछले छह साल से इसरो के साथ काम कर रहे हैं और बेंगलुरु में इसरो की अनुसंधान यूनिट में तैनात हैं। जमाल ने एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट में लिखा , “मैं एक पावर इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर हूं, जिसके पास विभिन्न रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) सबसिस्टम, जैसे सॉलिड स्टेट पावर एम्पलीफायर्स (एसएसपीए) और ट्रैवलिंग वेव ट्यूब एम्पलीफायर्स के लिए सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) पेलोड के TWTAs, स्पेस क्वालिफाइड इलेक्ट्रॉनिक पावर कंडीशनर (ईपीसी)/पावर सप्लाई के डिजाइन और विकास का अनुभव है।”
मुस्लिम महिला वैज्ञानिक ख़ुशबू मिर्ज़ा (Khushboo Mirza) चंद्रयान-3 प्रोजेक्ट में शामिल थीं और उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बी.टेक किया है और ग्रेटर नोएडा में इसरो केंद्र में काम करती हैं। वे ArcGIS उत्पादों में कुशल एक अनुभवी वैज्ञानिक हैं और ArcGIS क्लाइंट, सर्वर और ऑनलाइन भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) सॉफ्टवेयर का एक परिवार है, जिसे ईएसआरआई (पर्यावरण प्रणाली अनुसंधान संस्थान) से विकसित और रखरखाव किया जाता है] Esri एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय भौगोलिक सूचना प्रणाली सॉफ्टवेयर कंपनी है।
मोहम्मद काशिफ (Mohammad Kashif) भी चंद्रयान-3 मिशन का हिस्सा और एक कुशल इंजीनियर हैं। वे जामिया मिल्लिया इस्लामिया से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक हैं और दिसंबर 2021 में इसरो के बेंगलुरु केंद्र में शामिल हुए। उन्होंने 2021 में इसरो भर्ती में शीर्ष रैंक प्राप्त की थी।
Updated on:
26 Aug 2024 04:38 pm
Published on:
26 Aug 2024 01:07 pm
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