Capitol Hill Violence : अमरीका में कैपिटल हिल की हिंसा के पीछे ये थी बड़ी वजह!
-सत्ता हस्तांतरण (Power transfer) की लंबी प्रक्रिया से ऐसी प्रतिशोधात्मक कार्रवाई को बल मिलता है
-चुनाव हारने के बाद ट्रंप लगे थे तख्ता पलट की कोशिशों में (trump Coup attempts)
-हार के बाद कई बार निवर्तमान सरकारें चलते-चलते नई सरकार के लिए मुश्किलें पैदा करने वाले बदलाव से भी नहीं चूकतीं। लेकिन मतगणना में गड़बड़ी का भ्रम फैलाकर इस तरह की हिंसा आज तक अमरीका ने नहीं देखी थी।

न्यूयॉर्क. दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमरीका ने कैपिटल हिल पर इतना बड़ा नागरिक विद्रोह पहले नहीं देखा। इसके पीछे हार के बाद भी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की महत्वाकांक्षा के अलावा एक सबसे बड़ी थी, वह थी वहां की संवैधानिक चूक। सत्ता हस्तांतरण की लंबी प्रक्रिया के कारण यह घटना घटी। लगभग 70 लाख वोटों के अंतर से जो बाइडेन को जीते सात सप्ताह से अधिक हो चुका है। लेकिन संवैधानिक बाध्यता (Constitutional obligation) के कारण पद ग्रहण नहीं हुआ। इस बीच राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपना अधिकांश समय तख्तापलट की कोशिशों में बिताया, जिसके बाद कैपिटल हिल पर हिंसा की नौबत आई। उन्होंने और उनके रिपब्लिकन सहयोगियों ने मतगणना में धोखाधड़ी का आरोप लगाया तथा मतदान अधिकारियों पर डेमोक्रेटिक मतपत्रों को फेंकने के लिए उकसाया। इस उकसावे के बाद ट्रंप समर्थक भीड़ ने कैपिटल पर हमला बोल दिया। इस सारी प्रक्रिया को हवा मिली सत्ता हस्तांतरण की लंबी समयावधि के कारण, जो 78 दिन की है। किसी अन्य देश में सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया इतनी लंबी नहीं है।
ब्रिटेन, कनाडा, जापान सहित ओईसीडी (आर्थिक सहयोग और विकास संगठन) के अन्य सदस्य देश भी ऐसी संसदीय प्रणाली (Parliamentary system) का हिस्सा हैं, जहां चुनाव के बाद संसद सरकार के मुखिया का चुनाव करती है। वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक करीब 20 ओईसीडी देशों में आम चुनाव के बाद सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया औसतन 33 दिनों में पूरी कर ली जाती है, जो अमरीका के मुकाबले आधे से भी कम समय है। नई सरकार के गठन में इस लंबी और उबाऊ प्रक्रिया का हश्र भी अच्छा नहीं रहा। दो दशक के बीच ऐसे मामलों पर गौर करें तो 2010 में कंजर्वेटिव पार्टी के डेविड कैमरन ने लेबर पार्टी के गॉर्डन ब्राउन से सत्ता हासिल की थी। इनमें एक ही पार्टी के नेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा को छोड़ दीजिए, क्योंकि ऐसे मामलों में सत्ता के दुरुपयोग की संभावना कम होती है।
कोरोना वैक्सीन को लेकर आप भी आशंकित हैं, तो इन बातों को जान लीजिए
16 महीने बिना सरकार रहा बेल्जियम
बहुमत नहीं होने से भी सरकार के गठन में विलंब होता है। 2010 में ब्रिटेन के चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला, जिससे चलते त्रिशंकु संसद बनी। लेकिन जल्द ही कंजरवेटिव्ज का लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी से समझौता हुआ और पांच दिन के भीतर कैमरन ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली। लेकिन कई बार गतिरोध के चलते इंतजार लंबा खिंच जाता है। जैसे बेल्जियम में 2019 के चुनाव में बहुमत नहीं मिलने के बाद दलों में सहमति नहीं बनी और करीब 16 माह तक बिना सरकार ही देश चला। लेकिन ट्रंप जैसे शासक के चलते इतना लंबा फासला जोखिम भरा हो सकता है। क्योंकि यह निवर्तमान प्रशासन को आने वाली सरकार के लिए कई तरह के अप्रिय बदलावों का मौका देता है।
Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें (Hindi News App) Get all latest World News in Hindi from Politics, Crime, Entertainment, Sports, Technology, Education, Health, Astrology and more News in Hindi