
पृथ्वी के वायुमंडल के मुकाबले चांद का वायुमंडल काफी पतला और सीमित दायरे वाला है। चांद के वायुमंडल में मुख्य रूप से एरगॉन, हीलियम, नियॉन के साथ पोटेशियम, रुबिडियम और कम मात्रा में कुछ दूसरे तत्व हैं। इसका दायरा चांद की सतह से करीब 100 किलोमीटर तक है। इसके मुकाबले पृथ्वी के वायुमंडल का दायरा करीब 10,000 किलोमीटर तक है। अमरीकी वैज्ञानिकों के शोध में यह खुलासा हुआ।
अर्थ डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक चांद की जमीन पर पहली बार कदम रखने वाले नासा के अंतरिक्ष यात्रियों ने उसके वायुमंडल का पता लगाया था, लेकिन तब यह जानकारी नहीं थी कि यह काफी कमजोर है। चांद की मिट्टी के नमूनों पर शोध के बाद वैज्ञानिकों को पता चला कि यह वायुमंडल किस प्रक्रिया से तैयार हुआ। साइंस जर्नल में छपे शोध में बताया गया कि चांद का वायुमंडल छोटे-बड़े धूमकेतुओं की टक्कर से बना। वायुमंडल में परमाणुओं की संख्या बहुत कम है। इससे ये आपस में टकराते नहीं हैं।
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की वैज्ञानिक और शोध की मुख्य लेखक निकोल नी का कहना है कि धूमकेतु की टक्कर से बहुत ज्यादा गर्मी (2,000-6,000 डिग्री सेल्सियस) पैदा होती है। यह चांद की सतह की चट्टानों को पिघला कर भाप बना देती है। नासा के अपोलो अभियानों में चांद की सतह पर ऐसे उपकरण ले जाए गए थे, जिन्होंने उसके वायुमंडल में परमाणुओं का पता लगाया।
शोध में बताया गया कि चांद पर धूमकेतुओं की टक्कर लगातार होती रहती है। इन टक्करों के कारण ही इसकी सतह पर गड्ढे बने। इसके वायुमंडल के निर्माण में धूमकेतुओं की टक्कर का योगदान 70 फीसदी से ज्यादा, जबकि सौर हवाओं का 30 फीसदी से कम है। चांद के परमाणुओं के परीक्षण की बजाय शोधकर्ताओं ने शोध के लिए इसकी मिट्टी के नमूनों का इस्तेमाल किया।
Published on:
05 Aug 2024 11:51 am
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