Trump Hiroshima Iran comment:जापान ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump) की उस टिप्पणी की कड़ी आलोचना की है, जिसमें उन्होंने ईरान पर अमेरिकी हमलों की तुलना (Trump Iran airstrike comparison) हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु बम हमलों से (Trump Hiroshima Iran comment) की है। ट्रंप ने प्रेस से कहा, "मैं हिरोशिमा या नागासाकी का उदाहरण नहीं देना चाहता, लेकिन यह मूल रूप से एक जैसा था।" ट्रंप की इस तुलना से जापान में गहरा आक्रोश (Japan reaction to Trump) है। नागासाकी के मेयर शिरो सुजुकी ने इसे "अत्यंत खेदजनक" बताया है। हिरोशिमा के सांसदों ने एक प्रस्ताव पास किया है, जिसमें परमाणु हमलों को उचित ठहराने वाले किसी भी बयान को खारिज किया गया है।
हिरोशिमा और नागासाकी में बचे लोगों ने ट्रंप से बयान वापस लेने की मांग की है। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता संगठन निहोन हिडांक्यो के सह-अध्यक्ष मिमाकी तोशीयुकी ने इसे "अस्वीकार्य" कहा। एक अन्य सदस्य टेरुको योकोयामा ने कहा, "मैं बहुत गुस्से में हूं और दुखी भी।"
गुरुवार को हिरोशिमा के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और अमेरिका से स्पष्टीकरण की मांग की। यह प्रदर्शन जापान की जनता के उस गहरे घाव को दर्शाता है, जिसे परमाणु हमलों ने छोड़ा है।
ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका के हालिया हमलों ने ईरान की परमाणु क्षमताएं 'नष्ट' कर दीं। यह दावा एक लीक खुफिया रिपोर्ट से मेल नहीं खाता, जिसमें कहा गया है कि ईरान को सिर्फ कुछ महीनों की देरी हुई है। हालांकि, सीआईए निदेशक जॉन रैटक्लिफ ने ट्रंप के दावे का समर्थन किया है।
हिरोशिमा और नागासाकी की विरासत जापान के परमाणु विरोधी रुख की पहचान बन चुकी है। ट्रंप का यह बयान उस संवेदनशील मुद्दे पर चोट करता है जिसे जापान अब भी नहीं भूला है।
मुख्य कैबिनेट सचिव हयाशी योशिमासा ने कहा कि जापान ने वाशिंगटन के सामने अपने विरोध और परमाणु पर अपनी नीति को स्पष्ट रूप से रखा है।
जापानी नेताओं और आम जनता में गहरी नाराज़गी देखी गई है। नागासाकी के मेयर शिरो सुजुकी ने कहा, “अगर ट्रंप की टिप्पणी परमाणु हमलों को सही ठहराती है तो यह बेहद अफसोसजनक है।” हिरोशिमा के बचे लोगों और शांति कार्यकर्ताओं ने इसे “अस्वीकार्य” और “अनुचित तुलना” बताया है। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता संगठन निहोन हिडांक्यो ने ट्रंप से बयान तुरंत वापस लेने की मांग की है।
जापानी संसद से जुड़े कई सांसद प्रस्ताव लाए, जिसमें इस तरह की तुलना को खारिज किया गया है। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या जापान राजनयिक स्तर पर अमेरिकी प्रशासन से औपचारिक माफी मांगेगा। जापान संयुक्त राष्ट्र महासभा के आगामी सत्र में यह मुद्दा उठा सकता है, खासकर परमाणु हथियारों के नैतिक पक्ष पर वह अपना रुख रख सकता है।
भारत और एशिया में परमाणु नीति पर बहस को इस बयान ने नई हवा दी है- क्या इतिहास का राजनीतिक इस्तेमाल वैध है? अमेरिकी चुनावी राजनीति में ट्रंप की बयानबाज़ी को लेकर भी विश्लेषण शुरू हुआ है: क्या ये रणनीतिक बयान हैं या भावनात्मक उत्तेजना है? परमाणु अप्रसार संधियों और वैश्विक परमाणु नीति के संदर्भ में यह टिप्पणी एक बड़ा प्रश्नचिह्न बन सकती है। जापान के युवा वर्ग में नया परमाणु-विरोधी आंदोलन उभर सकता है, जो इस बयान से गहराया है।
Updated on:
27 Jun 2025 05:07 pm
Published on:
27 Jun 2025 05:06 pm