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भारतीय परिवारों को बड़ा झटका: नए अमेरिकी नियम से H-1B बच्चे ग्रीन कार्ड खो सकते हैं, जानिए क्या करें ?

Immigration rules change: अमेरिका ने H-1B वीजा धारकों के बच्चों की ग्रीन कार्ड योग्यता पर नए नियम लागू किए हैं। यह बदलाव भारतीय परिवारों के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गया है।

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भारत

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MI Zahir

Aug 12, 2025

H-1B visa Immigration rules change

अमेरिका में यूएससीआईएस ने 15 अगस्त, 2025 से नए नियम लागू करने का ऐलान किया है। (फोटो: X Handle Sandy)

Immigration rules change: अमेरिका में H-1B वीजा (H-1B visa)पर रह रहे भारतीय परिवारों (Indian immigrants USA)के लिए एक बड़ा बदलाव (Immigration rules change) आ रहा है। यूएससीआईएस ने 15 अगस्त, 2025 से नए नियम लागू करने का ऐलान किया है, जो बच्चों की ग्रीन कार्ड (Green Card eligibility) प्राप्ति की प्रक्रिया को प्रभावित करेगा। नए नियम के अनुसार बच्चों की उम्र की गणना का तरीका बदल जाएगा, जिससे 21 साल की उम्र पूरी करते ही कई बच्चे ग्रीन कार्ड के लिए पात्र नहीं रहेंगे। बाल स्थिति संरक्षण अधिनियम यानी CSPA पहले भी बच्चों को ग्रीन कार्ड पाने में मदद करता था। इसका मकसद था कि बच्चे 21 साल की उम्र पूरी होने के बाद भी ग्रीन कार्ड की पात्रता खो न बैठें। लेकिन अब यूएससीआईएस (USCIS update) ने इस कानून में बड़ा बदलाव कर दिया है। नए नियम के तहत अब वीज़ा बुलेटिन की ‘अंतिम कार्रवाई तिथि’ का इस्तेमाल बच्चों की उम्र तय करने में किया जाएगा। इससे पहले ‘आवेदन दाखिल करने की तिथि’ का इस्तेमाल होता था, जो ज्यादा सुविधाजनक था।

अंतिम कार्रवाई और आवेदन दाखिल करने की तारीख में फर्क

आखिरी कार्रवाई तिथि वह तारीख होती है जब ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन पर अंतिम फैसला हो सकता है, जबकि आवेदन दाखिल करने की तारीख वह होती है जब आवेदन सबमिट किया गया था। नई पॉलिसी के चलते बहुत से बच्चे इस अंतिम तारीख से पिछड़े हुए होंगे, और इसलिए वे 21 साल की उम्र पूरी करने से पहले ही पात्रता खो सकते हैं।

भारतीय परिवारों पर बड़ा असर (NRI News)

विशेषज्ञों का सुझाव है कि ज़्यादातर मामलों में अंतिम कार्रवाई की तारीख आवेदन की तारीख से काफ़ी पीछे होती है। इसलिए, इस नए नियम के लागू होने से कई बच्चे 21 साल के हो जाएँगे और अपने परिवार की ग्रीन कार्ड याचिका पर अंतिम फ़ैसला होने से पहले ही अपनी पात्रता खो देंगे। कैटो इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार, रोज़गार-आधारित ग्रीन कार्ड आवेदनों में 62% तक भारतीय हैं और मार्च 2023 से लाखों आवेदन लंबित हैं।

छात्र वीजा (F-1) या रोजगार वीजा (H-1B) के लिए भी आवेदन कर सकते हैं

इसके अलावा, भारतीय परिवार अपने बच्चों के लिए छात्र वीजा (एफ-1) या रोजगार वीजा (एच-1बी) के लिए भी आवेदन कर सकते हैं, जो जल्द ही 21 वर्ष के हो जाएंगे। परिवार ईबी-5 निवेश वीजा पर भी विचार कर सकते हैं, जो निवास के लिए एक अलग रास्ता प्रदान करता है।

यह अमेरिका में रहने या वापस लौटने का मामला है

जानकारी के अनुसार इमिग्रेशन लॉ फ़र्मों को चिंतित अभिभावकों के फ़ोन कॉल्स में तेज़ी देखी जा रही है, जो स्पष्टता चाहते हैं और विकल्प भी तलाश रहे हैं। वीज़ा कोड के संस्थापक ज्ञानमूकन सेंथुरजोथी ने कहा, "ज़्यादातर फ़ोन कॉल्स उनकी स्थिति और आगे के रास्ते के बारे में थे।" उन्होंने आगे कहा, "कुछ परिवारों के लिए, यह अमेरिका में रहने या वापस लौटने का मामला है—भले ही एक बच्चा कानूनी तौर पर न रह सके।"

परिवारों के लिए जरूरी सलाह

विशेषज्ञों का सुझाव है कि प्रभावित परिवार 15 अगस्त, 2025 से पहले अपनी ग्रीन कार्ड प्रक्रिया पूरी करने की कोशिश करें, ताकि पुरानी पॉलिसी के तहत उनकी उम्र लॉक हो जाए। इसके अलावा, बच्चे एफ-1 छात्र वीजा या H-1B रोजगार वीजा के लिए आवेदन कर सकते हैं। कुछ परिवार ईबी-5 निवेश वीजा का विकल्प भी देख रहे हैं, जो एक अलग तरह से स्थायी निवास दिला सकता है।

क्या है आगे का रास्ता ?

नए नियम के चलते कई परिवारों में असमंजस और चिंता बढ़ रही है। कई अभिभावक इस बात को लेकर परेशान हैं कि उनके बच्चे अमेरिका में रह पाएंगे या उन्हें देश वापस जाना पड़ेगा। इमिग्रेशन फर्मों को इन परिवारों से मदद के लिए कई फोन कॉल आ रहे हैं। विशेषज्ञ भी सलाह देते हैं कि जल्द से जल्द सही योजना बनाकर कदम उठाएं।

ज़्यादातर बच्चे ख़तरे में हैं

इमिग्रेशन फर्म डेविस एंड एसोसिएट्स की कंट्री हेड सुकन्या रमन ने बताया, "ज़्यादातर बच्चे ख़तरे में हैं। अंतिम कार्रवाई की तारीख अक्सर आवेदन की तारीख से कई साल पीछे होती है, और कई बच्चे वीज़ा उपलब्ध होने से पहले ही अपनी पात्रता खो देते हैं।"

भारतीय H-1B परिवारों के लिए यह एक बड़ी चुनौती

बहरहाल यह नियम 15 अगस्त के बाद प्रभावी हो जाएगा और भारतीय H-1B परिवारों के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन सकता है। इसलिए, समय रहते सावधानी और सही सलाह लेना बेहद जरूरी है ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित रह सके।