
ट्रंप ने स्पेन को नाटो से बाहर निकालने का सुझाव दिया। (फोटो: IANS)
NATO Spain Defense Spending: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पेन को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अगर स्पेन ने अपना रक्षा खर्च नहीं बढ़ाया, तो उसे नाटो (NATO Spain Defense Spending) से निकाल देना चाहिए। यह बयान गुरुवार को व्हाइट हाउस में फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब के साथ मुलाकात के दौरान आया। ट्रंप (Trump NATO Ultimatum) ने पत्रकारों से कहा, "स्पेन (Spain Military Budget)अब बहाने नहीं बना सकता। वह रक्षा खर्च में बहुत पीछे है। शायद उसे नाटो से बाहर करना पड़े।" यह बयान नाटो के 32 सदस्य देशों के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है, क्योंकि स्पेन पहले से ही रक्षा बजट में सबसे कम खर्च करने वालों में शामिल है।
ट्रंप का यह दबाव नया नहीं है। जून 2025 में नाटो देशों ने ट्रंप के जोर देने पर 2035 तक अपने रक्षा खर्च को जीडीपी के 5% तक बढ़ाने का वादा किया था। लेकिन स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने इस लक्ष्य को सिरे से खारिज कर दिया। सांचेज का कहना है कि इतना बड़ा खर्च स्पेन के सामाजिक कल्याण मॉडल और उनके वैश्विक दृष्टिकोण के खिलाफ है। उन्होंने साफ कहा, "हमें इस लक्ष्य की जरूरत नहीं।" यह बयान ट्रंप की नीति के खिलाफ खुली चुनौती है। सांचेज की इस टिप्पणी ने नाटो में दरार की आशंका को और गहरा कर दिया है। क्या स्पेन सचमुच नाटो से बाहर होगा, या यह सिर्फ ट्रंप का दबाव बनाने का तरीका है ?
स्पेन का रक्षा खर्च वर्तमान में उसके जीडीपी का करीब 1.3% है, जो नाटो के 2% के मौजूदा लक्ष्य से भी कम है। नाटो के नए 5% लक्ष्य पूरा करना स्पेन के लिए मुश्किल लगता है। ट्रंप ने चेतावनी दी कि अगर स्पेन ने इस दिशा में कदम नहीं उठाए, तो उसे व्यापारिक नुकसान भी झेलना पड़ सकता है। यह ट्रंप की पुरानी रणनीति है, जिसमें वह नाटो देशों पर रक्षा खर्च बढ़ाने के लिए दबाव डालते हैं। 2016-2020 के अपने पहले कार्यकाल में भी उन्होंने जर्मनी और कनाडा जैसे देशों को इसी तरह निशाने पर लिया था। विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप का यह बयान नाटो में एकता को कमजोर कर सकता है, खासकर जब रूस और चीन जैसे देशों से खतरा बढ़ रहा है।
ट्रंप का यह बयान सोशल मीडिया पर तूफान ला रहा है। X पर कुछ यूजर्स इसे "ट्रंप का पुराना अंदाज" बता रहे हैं, तो कुछ इसे "नाटो को मजबूत करने की रणनीति" मान रहे हैं। स्पेन में लोग नाराज हैं। एक यूजर ने लिखा, "सांचेज सही हैं, हमें अपने लोगों के लिए खर्च करना चाहिए, न कि हथियारों पर।" दूसरी तरफ, नाटो समर्थक इसे कमजोरी का संकेत मानते हैं। कुल मिलाकर, यह बहस गर्म है और वैश्विक मंच पर चर्चा का केंद्र बनी हुई है।
अब नजरें सांचेज की प्रतिक्रिया पर हैं। क्या स्पेन रक्षा खर्च बढ़ाएगा, या नाटो के साथ टकराव मोल लेगा? नाटो की अगली बैठक में यह मुद्दा गर्म रहेगा। अगर स्पेन लक्ष्य से पीछे रहता है, तो ट्रंप व्यापार प्रतिबंधों की धमकी को अमल में ला सकते हैं। यूरोप के अन्य देश, जैसे इटली और पुर्तगाल, भी कम खर्च कर रहे हैं। क्या ट्रंप उन पर भी निशाना साधेंगे? यह देखना दिलचस्प होगा कि नाटो की एकता इस दबाव को कैसे झेलती है।
यह सिर्फ स्पेन की कहानी नहीं है। ट्रंप का दबाव नाटो की पूरी संरचना पर सवाल उठाता है। क्या नाटो सिर्फ अमेरिका की शर्तों पर चलेगा? स्पेन का सामाजिक कल्याण मॉडल यूरोप में मिसाल है, और सांचेज का रुख दिखाता है कि हर देश की प्राथमिकताएं अलग हैं। दूसरी तरफ, रूस-यूक्रेन युद्ध और आर्कटिक में चीन की बढ़ती मौजूदगी के बीच नाटो की मजबूती जरूरी है। यह टकराव नाटो के भविष्य को फिर से परिभाषित कर सकता है। क्या ट्रंप का "पे-या-जाओ" मॉडल नाटो को बिखेर देगा ? (शिन्हुआ की रिपोर्ट और X पर ट्रेंडिंग पोस्ट्स व IANS)
Published on:
10 Oct 2025 03:26 pm
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