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दोस्त बनकर अमेरिका की पीठ में छुरा घोंप रहा UAE, रूस-चीन की तरह विदेश नीति में कर रहा घुसपैठ, सामने आई करतूत

US Intelligence Report: अब तक माना जाता रहा है कि रूस (Russia) और चीन (China) जैसे विरोधी ही अमेरिका के चुनावों और राजनीतिक व्यवस्था में हस्तक्षेप के प्रयास करते हैं। लेकिन अब मध्य पूर्व में अमेरिका के एक करीबी सहयोगी संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates -UAE) के भी अमेरिकी राजनीतिक निर्णयों (America's political system) को प्रभावित करने के बड़े अभियान में जुटे रहने की बात सामने आई है।

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दोस्त बनकर अमेरिका की पीठ में छुरा घोंप रहा UAE, रूस-चीन की तरह विदेश नीति में कर रहा घुसपैठ, सामने आई करतूत

Burj Khalifa, Dubai, UAE

अमेरिका की विदेश नीति को प्रभावित करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात वैध हो या अवैध, हर तरह के हथकंडे काम में लेने से नहीं चूक रहा। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बात अमेरिका सरकार की जासूसी तक जा पहुंची है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट ने सरकार की अमेरिकी क्लासिफाइड इंटलीजेंस रिपोर्ट के हवाले से यह दावा किया है। बताया गया है कि देश की विदेश नीति को प्रभावित करने के लिए अमरीकी प्रशासन में घुसपैठ वाले यूएई के प्रयासों में कानूनी और अवैध तौर—तरीके शामिल हैं।

सरकार में घुसा रहा अपने लोग
रिपोर्ट के अनुसार यूएई के अभियान के एक उदाहरण में तीन पूर्व अमेरिकी खुफिया और सैन्य अधिकारियों को नियुक्त करना शामिल है, जो यूएई को असंतुष्टों, राजनेताओं, पत्रकारों और अमेरिकी कंपनियों पर निगरानी रखने में मदद करते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, तीनों अधिकारियों ने पिछले साल अदालत में यूएई को परिष्कृत हैकिंग तकनीक (sophisticated hacking technology) प्रदान करने की बात स्वीकार की थी।

कमजोरियों का उठा रहा फायदा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नेशनल इंटेलिजेंस काउंसिल ने शीर्ष अमेरिकी सांसदों को यूएई और मध्य पूर्व के प्रति देश की नीति में निर्णय लेने में मदद करने के लिए हाल में यह रिपोर्ट सौंपी है। पाया गया है कि यूएई ने अमरीकी सरकार की कमजोरियों का लाभ उठाने के लिए कई सरकारी विभागों में घुसपैठ की है। इनमें अमेरिकी मामलों में विदेशी हस्तक्षेप (foreign interferencein US affairs) को रोकने के लिए डिजाइन किए गए प्रकटीकरण कानूनों (disclosure laws) को लागू करना शामिल है।

धनबल का ले रहा सहारा
यूएई 2012 से अमेरिकी हथियारों का तीसरा सबसे बड़ा खरीदार रहा है और अफगानिस्तान (Afghanistan), इराक (Iraq)और सीरिया (Syria) में अमेरिकी सेना के साथ लड़ा है। रिपोर्ट के अनुसार यूएई ने 2016 से अमरीकी सरकार में अपने पक्ष पर लॉबिंग (Lobbying) को लेकर 150 मिलियन डॉलर से अधिक खर्च किए हैं। वहीं, अमेरिकी विश्वविद्यालयों और थिंक टैंकों (American universities and think tanks) को सैकड़ों मिलियन डॉलर दान पर दिए हैं ताकि वे ऐसे रिसर्च या पॉलिसी पेपर (research or policy papers) बनाए जो यूएई के हितों का समर्थन करने वाले हो।

उधर, अमेरिका में यूएई के राजदूत यूसेफ अल ओतैबा ने कहा कि उन्हें अमेरिका में यूएई की स्थिति और प्रभाव पर 'गर्व' है। उन्होंने कहा कि यह निकट सहयोग और प्रभावी कूटनीति के चलते संभव हुआ है। हमारे संबंध दोनों देशों के सामान्य हितों और साझा मूल्यों को दर्शाता है।