
UK Elections 2024: Why are elections held in Britain even after there is a king?
UK Elections 2024: ब्रिटेन में आने वाली 4 जुलाई को आम चुनाव हैं। प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने अचानक चुनाव की घोषणा कर दी जिसके बाद दुनिया भर में यूके के चुनाव की चर्चा हो रही है। वहीं एक चर्चा ये भी है कि ब्रिटेन में जब शाही परिवार है (Monarchy of Britain) वहां का औपचारिक राजा है, सब कुछ है तो वहां पर प्रधानमंत्री और आम चुनाव की क्या जरूरत है? यहां हम आपको इसका कारण, शाही परिवार के चुनाव में रोल और उनके ब्रिटेन में अधिकारों के बारे में बता रहे हैं।
दरअसल ब्रिटेन (Britain) में संसदीय राजतंत्र है। यानी वहां पर राजशाही भी है और संसदीय व्यवस्था भी है। इन दोनों को एक-दूसरे के पूरक कहा जाता है यानी राजशाही के बिना संसदीय व्यवस्था नहीं हो सकती और संसदीय व्यवस्था के बगैर राजशाही किसी काम की नहीं है। एक वक्त था जब ब्रिटेन (Monarchy of Britain) में राजा-रानी और राजतंत्र ही सबकुछ होता था। उनका आदेश ही और उनका इशारा ही ब्रिटेन के लिए सब कुछ होता था हालांकि वो वक्त 12वीं शताब्दी तक ही रहा। साल 1215 में इंग्लैंड का एक कानूनी पत्र मैग्ना कार्टा तैयार किया था, जिस पर इस साल हस्ताक्षर हुए और इस कानून से राजतंत्र को खत्म किया गया।
मैग्ना कार्टा (Magna Carta) 15 जून 1215 ईसवी को थेम्स नदी के किनारे स्थित रनीमीड पर तत्कालीन इंग्लैंड (England) के राजा जॉन ने इंग्लैंड के सामंतों को दिया था। ये बाद में इंग्लिश स्वातंत्र्य का अहम आधार बना था। राजा जॉन ने सामन्तों को कुछ अधिकार दिए थे और कुछ कानूनी प्रक्रियाओं के पालन का वचन दिया था। इसमें कानूनी सीमा भी शामिल थीं। मैग्ना कार्टा राजा की प्रजा के अधिकारों की रक्षा को सुनिश्चित करता है। इस चार्टर के तहत ब्रिटेन (Britain) के राजा को कानून का सम्मान अनिवार्य करना चाहिए। ये सामंतों और आम जनता दोनों के लिये वैधानिकता का प्रतीक बना। इसी चार्टर को ब्रिटिश वैधानिक अधिनियमन की शुरुआत भी कहा जाता है। जिसके बाद ब्रिटेन में संसदीय व्यवस्था की गई और यहां पर प्रधानमंत्री (Prime Minister of Britain), मंत्री नियुक्त होने लगे। हालांकि इनकी नियुक्ति राजपरिवार ही करता था यानी राजा और रानी ही बताते थे कि किसे पद पर लाना है और किसे नहीं।
इसके बाद 1832 में ब्रिटिश संसद (British Parliament) ने एक कानून पारित किया जिसने ब्रिटिश चुनाव प्रणाली को बदल दिया। इसे महान सुधार अधिनियम के रूप में जाना जाता है। इस कानून ने ब्रिटेन के मिडिल क्लास के लोगों को वोटिंग का अधिकार दिया। जो कि पहले नहीं था। तब ब्रिटेन में चुनाव न तो निष्पक्ष थे और न ही प्रतिनिधिक। वोट देने के लिए किसी व्यक्ति को संपत्ति का मालिक होना पड़ता था या कुछ टैक्स का भुगतान करना पड़ता था। जिसमें ज्यादातर कामकाजी वर्ग के लोग शामिल नहीं थे। ऐसे कई निर्वाचन क्षेत्र भी थे जहां कई मतदाताओं ने दो सांसदों को संसद के लिए चुना था। जिसके बाद से आम लोगों को भी वोटिंग का अधिकार मिला और वहां पर अब प्रधानंमत्री और मंत्री लोगों के मत के आधार पर चुने जाने लगे।
(Role of King or Queen in Britain Election) ब्रिटेन में आज भी राजा या रानी को राष्ट्राध्यक्ष की पदवी दी जाती है। यानी राष्ट्र का सबसे बड़ा अधिकारी। सत्ता परिवर्तन और समय के साथ राजा या रानी की शक्तियां भी घटती-बढ़ती रहती हैं। ब्रिटेन के राजा और रानी अब राजनीतिक रूप से तटस्थ रहते हैं। हालांकि उन्हें सरकार के काम-काज की जानकारी दी जाती है। इसके अलावा अहम बैठकों और कागजों को भी उन तक पहुंचाया जाता है, जिस पर उनके साइन होने जरूरी होते हैं जिसके बाद ही वो बैठक होती है और वो कागज आगे बढ़ाए जाते हैं।
इसके अलावा प्रधानमंत्री (Prime Minister of Britain) भी बुधवार के दिन बंकिघम पैलेस में जाकर सरकार के काम-काज की जानकारी देते हैं। हालांकि इन दोनों के बीच में क्या बातचीत होती है ये किसी को बताया नहीं जाता ना ही ये बैठकें रिकॉर्ड होती हैं। किंग या क्वीन के पास कुछ संसदीय अधिकार भी होते हैं।
ब्रिटेन में प्रधानमंत्री की नियुक्ति में राजा या रानी की अहम भूमिका होती है जो इनके विशेषाधिकारों में से एक है। राजा या रानी के पास ही प्रधानमंत्री को नियुक्त करने का शक्ति होती है। प्रधानमंत्री जब संसद की तरफ नियुक्त हो जाता है। प्रधानमंत्री बंकिघम पैलेस में पहले से सूचना देकर आते हैं और राजा या रानी के सामने अपना पक्ष रखते हैं इसके बाद राजा या रानी औपचारिक तौर पर प्रधानमंत्री को अपनी सरकार बनाने के लिए कहते हैं।
ब्रिटेन में एक मजबूत संवैधानिक परंपरा है कि संप्रभु यानी राजशाही को राजनीति से बाहर रखा जाना चाहिए। हालांकि जब चुनाव में ये तय नहीं हो पाता है कि किस पार्टी के पास बहुमत है या सरकार का गठन नहीं हो पा रहा होता है तो भी इसका फैसला राजनीतिक दलों को ही करना होगा क्य़ोंकि इसमें राजा या रानी या राजशाही का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है।
राजा के निजी सचिव और प्रधानमंत्री के प्रमुख निजी सचिव और कैबिनेट सचिव बकिंघम पैलेस और राजनेताओं के बीत संचार स्थापित रखते हैं। इन्हें बोलचाल की भाषा में 'स्वर्ण त्रिभुज' के नाम से जाना जाता है। हालांकि ब्रिटेन के 1949 के सिविल सेवा दस्तावेज़ों में कहा गया है कि राजा या रानी को अपनी इच्छा के मुताबिक किसी से भी परामर्श करने का पूरा अधिकार है।
Updated on:
28 May 2024 03:18 pm
Published on:
28 May 2024 03:07 pm
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