
Tahawwur Rana Extradition: आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रमुख सदस्य आतंककारी तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana) को हाल ही में भारत लाया गया है। उसके खिलाफ भारत में कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप हैं। भारत सरकार ने उसकी गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण (Tahawwur Rana Extradition) के लिए पाकिस्तान से अनुरोध किया था, लेकिन राजनीतिक और कानूनी जटिलताओं के कारण प्रक्रिया में देरी हो रही थी। जबकि डेविड हेडली (David Headley) एक अमेरिकी नागरिक और लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य है और 2008 के मुंबई हमलों में उसकी भूमिका के लिए जाना जाता है। उसे हमलों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हेडली को भारत लाने में उसकी अमेरिकी नागरिकता, कानूनी प्रक्रियाएं, और दोनों देशों के बीच आपराधिक मामलों में सहयोग से संबंधित अहम चुनौतियां (extradition challenges) हैं। ध्यान रहे कि तहव्वुर राणा और डेविड हेडली, दोनों ही 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले (26/11 Mumbai attacks) में शामिल थे।
तहव्वुर राणा पाकिस्तान में जन्मा एक कनाडाई नागरिक हैं। उसने पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर के रूप में काम किया था, लेकिन बाद में सेना छोड़ दी। वह लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़ा रहा है। भारत के गुनाहगार आतंककारी राणा और डेविड हेडली बचपन के दोस्त थे। हेडली ने मुंबई में हमले के लिए स्थानों की पहचान करने में राणा की मदद ली थी। राणा ने हेडली को फर्जी यात्रा दस्तावेज़ और आर्थिक सहायता दी थी, जिससे हेडली मुंबई में आतंकी ठिकानों की रैकी कर सका।
एफबीआई ने राणा को 2009 में शिकागो से गिरफ्तार किया था। अगस्त 2024 में अमेरिकी अदालत ने उसका प्रत्यर्पण करने की मंजूरी दे दी थी, और जनवरी 2025 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी याचिका को खारिज कर दिया था, जिससे राणा के भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हुआ था। तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में सफलता भारत और अमेरिका के बीच आपराधिक मामलों में सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है। भारत सरकार अब राणा को हिन्दुस्तान लाकर उसके खिलाफ मुकदमा चलाने की प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ रही है, जिससे मुंबई हमले के दोषियों को सजा दिलाने में सहायता मिलेगी।
आतंककारी डेविड हेडली जन्म पाकिस्तान के लाहौर में हुआ था, वह एक अमेरिकी नागरिक है। उसने मुंबई हमले से पहले लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम किया था। हेडली ने मुंबई में हमले के लिए संभावित स्थानों की पहचान की थी। उसने राणा की सहायता से मुंबई में आतंकी ठिकानों की रैकी की थी, जो बाद में हमले का निशाना बने।
हेडली को भारत लाने में कई कानूनी और राजनीतिक बाधाएँ रही हैं। अमेरिका में उसकी नागरिकता और वहां की कानूनी प्रक्रियाओं के कारण प्रत्यर्पण के प्रयासों मे समय लग रहा है और अब उसका प्रत्यर्पण मुश्किल ही है। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच कानूनी सहयोग और आपराधिक न्याय प्रणाली में अंतर भी चुनौतियों का कारण रहे।
भारत कानूनी तौर पर हेडली का प्रत्यर्पण इसलिए नहीं कर सकता कि वह अमेरिकी नागरिक है। हेडली अमेरिकी नागरिक होने के कारण भारत किसी अन्य विदेशी आतंकी को उसे सीधे नहीं मांग सकता। अमेरिका अपने नागरिकों को किसी तीसरे देश को सौंपने में बहुत सख्त है। दूसरी बात यह है कि हेडली अमेरिका में plea bargain यानी 'डील' कर चुका है यानि हेडली ने अमेरिकी अदालत के साथ प्ली बार्गेन (Plea Bargain) यानी समझौता किया है। इस डील में उसने मुंबई हमले में अपनी भूमिका कुबूल की है, इसके बदले में उसे मृत्युदंड से छूट मिली है। इस चालाकी की वजह से उसने खुद को सुरक्षित कर लिया है और इस समझौते के तहत उसे अमेरिका से किसी अन्य देश को प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता।
Updated on:
11 Apr 2025 01:31 pm
Published on:
11 Apr 2025 01:30 pm
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