
,
कैलिफोर्निया। ऐसे समय में जबकि पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग के साथ ऊर्जा की उच्च कीमतों का सामना कर रही है, अमरीका के ऊर्जा विभाग ने एक बेहद अहम खुशखबरी दी है। अमरीका के ऊर्जा विभाग ने रविवार को कहा है कि वे इस सप्ताह न्यूक्लियर फ्यूजन रिसर्च पर एक 'अहम वैज्ञानिक सफलता' की घोषणा करेंगे। फाइनेंशल टाइम्स अखबार में प्रकाशित खबर के अनुसार अमरीका की कैलिफोर्निया स्थित लॉरेंस लिवरमोर राष्ट्रीय प्रयोगशाला (एलएलएनएल) ने फ्यूजन रिएक्टर में 'नेट एनर्जी गेन' के उत्पादन में सफलता हासिल की है। यह उपलब्धि इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसा पहली बार हो रहा है कि वैज्ञानिकों को फ्यूजन रिएक्टर से खपत से अधिक ऊर्जा पैदा करने में सफलता मिली है - यह उसी प्रकार की प्रक्रिया है जो दुनिया के सबसे बड़े ऊर्जा स्रोत सूर्य में लगातार घटित हो रही है। इस उपलब्धि का मतलब है कि वैज्ञानिक ने जीरो-कॉर्बन ऊर्जा के उत्पादन में पहला कदम बढ़ा दिया है। अब इसका सफलतापूर्वक उत्पादन बस अब समय का मसला है।
एलएलएनएल के प्रवक्ता ने मीडिया से कहा है कि इस बारे में उनका 'विश्लेषण अभी भी जारी' है। इस बारे में हम मंगलवार को और अधिक जानकारी साझा करने के लिए उत्सुक हैं। अमरीकी ऊर्जा विभाग के अनुसार, ऊर्जा सचिव जेनिफर ग्रानहोम मंगलवार को इस बड़ी वैज्ञानिक खोज के बारे में सफलता की औपचारिक घोषणा करेंगे।
इस तरह रहा गेमचेंजर प्रयोग
अमरीका की न्यूक्लियर फ्यूजन को अंजाम देने वाली एलएलएनएल प्रयोगशाला में हाइड्रोजन प्लाज्मा पर दुनिया की सबसे बड़ी लेजर से बमबारी की जाती है। सालों से चल रहे इस प्रयोग में वैज्ञानिकों को अब पिछले दो सप्ताह में नेट एनर्जी गेन हासिल करने में सफलता मिली है। यानी इस प्रयोग के अंतर्गत पहली बार 2.1 मेगाजूल एनर्जी खर्च करने पर 2.5 मेगाजूल ऊर्जा प्राप्त हुई। इस प्रयोग की खबर आने के बाद कैलिफोर्निया के कांग्रेस सदस्य टेड लीव ने ट्वीट किया है कि अगर न्यूक्लियर एनर्जी का प्रयोग सफल होता है तो ये दुनिया के लिए गेमचेंजर साबित होगा।
बता दें, एलएलएनएल प्रयोगशाला में तीन फुटबाल के मैदान के आकार वाले 200 से अधिक लेजर हैं, जो कि एक छोटे से बिंदु पर भारी ऊर्जा के साथ बमबारी करते हैं, जिससे फ्यूजन रिएक्शन की श्रृंखला आरंभ होती है।
फ्यूजन और फिजन में अंतर
फिजन और फ्यूजन दोनों अलग-अलग प्रक्रियाएं हैं। मौजूदा सभी परमाणु रिएक्टर फिजन यानी परमाणु के विखंडन पर आधारित हैं। फिजन में एक परमाणु दो या ज्यादा छोटे अणुओं में बिखर जाता है। जबकि फ्यूजन तब होता है जब दो या ज्यादा परमाण्विक अणु आपस में मिलते हैं और बड़ा व भारी परमाणु बनाते हैं। हाइड्रोडन बम हाइड्रोजन के अणुओं के फ्यूजन से बनता है। सूर्य में भी इसी फ्यूजन से ही ऊर्जा पैदा होती है। इसलिए ये ऊर्जा अंतहीन होती है क्योंकि फ्यूजन की प्रक्रिया दो अणुओं के बिखरने पर नहीं बल्कि दो अणुओं को जोड़ने पर आधारित है।
एक कप के बराबर हाइड्रोजन ईधन से सैकड़ों साल मिलेगी ऊर्जा
हालांकि कई वैज्ञानिक मानते हैं कि फ्यूजन पॉवर स्टेशन अभी भी दूर की कौड़ी हैं, लेकिन इस प्रोद्योगिकी की संभावनाओं को कोई इंकार नहीं करता है। फ्यूजन रिएक्टर में कोई कार्बन उत्सर्जन नहीं होता, कोई रेडियो एक्टिव कचरा नहीं निकलता और एक कप के बराबर हाइड्रोजन ईधन से सैद्धांतिक रूप से एक घर को सैकड़ों साल तक ऊर्जा मिल सकती है।
क्या है नेट एनर्जी गेन
वैज्ञानिक 1950 से ही ये कोशिश कर रहे हैं कैसे उस फ्यूजन रिएक्शन से ऊर्जा बनाई जाए जैसे सूरज में बनती है। पर अब तक किसी समूह को इसमें सफलता नहीं मिली है कि इस फ्यूजन की प्रक्रिया को अंजाम देने में जितनी ऊर्जा खर्च होती है उससे अधिक ऊर्जा हमें रिएक्शन के बाद मिले। मौजूदा प्रयोग में वैज्ञानिकों को इसमें सफलता मिली है, जिसे मील का पत्थर माना जा रहा है। अगर ऐसा होता है तो इसके बाद दुनिया के पास असीमित ऊर्जा को ऐसा स्रोत हाथ लग जाएगा जो कि फॉसिल फ्यूल और परंपरागत न्यूक्लियर एनर्जी का विकल्प बन सकता है।
Published on:
13 Dec 2022 12:04 am
बड़ी खबरें
View Allविदेश
ट्रेंडिंग
