28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

भारत में अरावली को लेकर बवाल, उधर खतरनाक पहाड़ों को चीरकर चीन ने बनाया दुनिया का सबसे लंबा टनल एक्सप्रेसवे, कैसे?

भारत में जहां अरावली पर्वतमाला को लेकर बवाल चल रहा है। इस बीच, चीन ने खतरनाक पहाड़ों को चिरकर दुनिया की सबसे लंबी एक्सप्रेसववे टनल बना दिया है।

2 min read
Google source verification

भारत

image

Mukul Kumar

Dec 28, 2025

World Longest Tunnel

चीन ने बनाई दुनिया की सबसे लंबी हाईवे टनल। (फोटो- X/@sinoprise)

चीन अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को जिस रफ्तार और जिस पैमाने पर विकसित कर रहा है। वह कई बार इंजीनियरिंग के चमत्कार जैसा होता है।

एक ऐसा ही इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना चीन ने शिनजियांग उइगर ऑटोनॉमस क्षेत्र में तैयार किया है। यहां दुनिया की सबसे लंबी हाईवे वे टनल को खोल दिया गया है। तियानशान शेंगली टनल की लंबाई 22.13 किलोमीटर है।

चीनी अधिकारियों के अनुसार यह दुनिया की सबसे लंबी हाई वे टनल है। यह टनल चीन में बेहद दुर्गम तियानशान पर्वत माला के आरपार बनाई गई है।

सुरंग को बनाने में लगे 5 साल

यह सुरंग 324.7 किमी लंबे उरुमकी-युली एक्सप्रेसवे का हिस्सा है, जिसे बनाने में पांच वर्ष का समय लगा है। इस सुरंग की खासियत है कि यह अधिकतम 1,112 मीटर की गहराई तक जाती है और 16 भूवैज्ञानिक फॉल्ट जोन से होकर गुजरती है। इसे दुनिया के सबसे मुश्किल इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स में से एक माना जा रहा है।

भारत में अरावली को लेकर क्या है विवाद?

इधर, भारत में अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा को लेकर देशभर में विवाद खड़ा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अरावली की पहाड़ियों में अवैध खनन को रोकने के लिए एक नई परिभाषा तय की है, जिसके अनुसार 100 मीटर ऊंचाई और 500 मीटर दायरे वाली पहाड़ियों को अरावली रेंज माना जाएगा।

माना जा रहा है कि इससे राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में अरावली की पहाड़ियों का संरक्षण करने में मदद मिलेगी, लेकिन खनन माफियाओं को भी फायदा हो सकता है।

पर्यावरण विषेशज्ञों का कहना है कि अरावली पहाड़ियां उत्तर भारत की इकोलॉजी के लिए बहुत जरूरी हैं। ये पहाड़ियां थार रेगिस्तान की धूल को रोकती हैं और दिल्ली-NCR की हवा को शुद्ध रखती हैं। अगर अरावली की पहाड़ियां खत्म हो गईं, तो दिल्ली-NCR की हवा और भी प्रदूषित हो जाएगी।

क्या है सरकार का तर्क?

इस पर सरकार का तर्क है कि नई परिभाषा से अरावली की पहाड़ियों का संरक्षण होगा और खनन को नियंत्रित किया जा सकेगा। सरकार ने सर्वे ऑफ इंडिया को अरावली की पहाड़ियों का नक्शा बनाने का निर्देश दिया है।

कहां-कहां हो रहे विरोध प्रदर्शन?

अरावली पर्वतमाला के संरक्षण के लिए राजस्थान के कई जिलों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। अलवर, दौसा, जयपुर, अजमेर, बूंदी, झालावाड़ और नीमकाथाना में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और युवाओं ने पैदल मार्च निकाला और अरावली बचाओ आंदोलन का समर्थन किया है।