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Parashuram Jayanti: लक्ष्मी नारायण योग में मनेगी परशुराम जयंती, जानें अक्षय तृतीया स्नान दान का शुभ मुहूर्त

Parashuram Jayanti: अक्षय तृतीया यानी वैशाख शुक्ल तृतीया 30 अप्रैल को है, यानी जिसका कभी क्षय नहीं होता। इस तिथि पर किए गए शुभ कामों से मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होता है। इस दिन परशुराम जयंती भी मनाई जाती है। इस दिन स्नान दान व्रत, होम आदि का विशेष महत्व है। आइये जानते हैं अक्षय तृतीया का महत्व और कौन से शुभ संयोग बन रहे हैं

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भारत

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Pravin Pandey

Apr 28, 2025

Parashuram Jayanti 2025 puja muhurt

परशुराम जयंती 2025 पूजा विधि मुहूर्त

Parashuram Jayanti: ज्योतिषी नीतिका शर्मा के अनुसार इसी दिन सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी। इस दिन किया गया जप, तप, ज्ञान, स्नान, दान, होम आदि अक्षय रहते हैं। इसे आखा तीज भी कहा जाता है। खास बात यह है कि इस दिन रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्र का संयोग बन रहा है।

इस साल अक्षय तृतीया पर सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ शोभन और रवि योग का संयोग भी बन रहा है। अक्षय तृतीया पर सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा। इसके साथ ही लक्ष्मी नारायण राज योग का निर्माण हो रहा है। मान्यताओं के अनुसार इस योग में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने और सोना खरीदने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

कभी नष्ट नहीं होता इस दिन पूजा का फल



ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार अक्षय तृतीया पर किए गए व्रत-उपवास और दान-पुण्य से अक्षय पुण्य मिलता है। अक्षय पुण्य यानी ऐसा पुण्य जिसका कभी क्षय (नष्ट) नहीं होता है। इस दिन जल का दान जरूर करना चाहिए। साल में चार अबूझ मुहूर्त में से यह एक है अन्य मुहूर्त  देवउठनी एकादशी,  वसंत पंचमी और भड़ली नवमी हैं। ये चारों तिथियां किसी भी शुभ काम की शुरुआत करने के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी गई हैं और इस दिन मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती। शुभ संयोग और ग्रहों की विशेष स्थिति में अक्षय तृतीया पर दान करने से पुण्य की प्राप्ति होगी।

 इस दिन जल से भरे कलश पर फल रखकर दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन अबूझ मुहूर्त में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं। अक्षय तृतीया के दिन खरीदारी करना बेहद शुभ होता है। मान्यता है कि इस दिन खरीदी हुई चीजें लंबे समय तक खराब नहीं होतीं और सोने चांदी को घर लाने से घर में समृद्धि आती है। इस दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। इसलिए इसे परशुराम तीज भी कहते हैं। इसी दिन भगवान विष्णु ने हयग्रीव, नर और नारायण के रूप में अवतार लिया था।




अक्षय तृतीया शुभ समय


ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने के लिए शुभ समय 30 अप्रैल को सुबह 5:41 बजे से लेकर दोपहर 2:12  बजे तक है। इस दौरान सोने की खरीदारी कर सकते हैं। इसके साथ ही 29 अप्रैल की शाम के भी सोने की खरीदारी कर सकते हैं।



अक्षय तृतीया शुभ योग, मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष फल


ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार अक्षय तृतीया पर दुर्लभ शोभन योग का संयोग बन रहा है। शोभन योग का समापन दोपहर 12:02 बजे पर होगा। साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग है। सर्वार्थ सिद्धि योग दिन भर है। इस योग में खरीदारी करने से शुभ फल मिलेगा। साथ ही शुभ काम में सिद्धि मिलेगी। रात्रि के समय रवि योग का निर्माण हो रहा है।

भगवान परशुराम का भी जन्मोत्सव भी मनाया जाएगा अक्षय तृतीया के दिन रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्र का संयोग है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ शोभन और रवि योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही लक्ष्मी नारायण राज योग का निर्माण हो रहा है। मान्यताओं के अनुसार इस योग में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने और सोना खरीदने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

पितरों की तृप्ति का पर्व


ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार इसी दिन बद्रीनाथ धाम के पट खुलते हैं। अक्षय तृतीया पर तिल सहित कुश के जल से पितरों को जलदान करने से उनकी अनंत काल तक तृप्ति होती है। इस तिथि से ही गौरी व्रत की शुरुआत होती है। जिसे करने से अखंड सौभाग्य और समृद्धि मिलती है। अक्षय तृतीया पर गंगास्नान का भी बड़ा महत्व है। इस दिन गंगा स्नान करने या घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।



तीर्थ स्नान और अन्न-जल का दान


नीतिका शर्मा के अनुसार इस शुभ पर्व पर तीर्थ में स्नान करने की परंपरा है। ग्रंथों में कहा गया है कि अक्षय तृतीया पर किया गया तीर्थ स्नान जाने-अनजाने में हुए हर पाप को खत्म कर देता है। इससे हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं। इसे दिव्य स्नान भी कहा गया है। तीर्थ स्नान न कर सकें तो घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें डालकर नहा सकते हैं। ऐसा करने से भी तीर्थ स्नान का पुण्य मिलता है। इसके बाद अन्न और जलदान का संकल्प लेकर जरूरतमंद को दान दें। ऐसा करने से कई यज्ञ और कठिन तपस्या करने जितना पुण्य फल मिलता है।

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दान से मिलता है अक्षय पुण्य


ज्योतिषाचार्य शर्मा के अनुसार अक्षय तृतीया पर घड़ी, कलश, पंखा, छाता, चावल, दाल, घी, चीनी, फल, वस्त्र, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा और दक्षिणा सहित धर्मस्थान या ब्राह्मणों को दान करने से अक्षय पुण्य फल मिलता है। अबूझ मुहूर्त होने के कारण नया घर बनाने की शुरुआत, गृह प्रवेश, देव प्रतिष्ठा जैसे शुभ कामों के लिए भी ये दिन खास माना जाता है।



अक्षय तृतीया


तृतीया तिथि आरंभ: 29 अप्रैल, सायं 05: 31 बजे पर
तृतीया तिथि समाप्त: 30 अप्रैल,दोपहर 02:31 बजे पर
उदया तिथि के अनुसार अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को मनाई जाएगी।



ब्रह्मा के पुत्र अक्षय का प्राकट्य दिवस


ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा ने बताया कि अक्षय तृतीया को युगादि तिथि भी कहते हैं। इस तृतीया का विष्णु धर्मसूत्र, भविष्य पुराण, मत्स्य पुराण और नारद पुराण में उल्लेख है। ब्रह्मा के पुत्र अक्षय का इसी दिन प्राकट्य दिवस है। दान के लिए खास दिन इस दिन अत्र व जल का दान करना शुभ माना है। खास कर जल से भरा घड़ा या कलश किसी मंदिर या प्याऊ स्थल पर जाकर रखना चाहिए। ऐसा करने से सुखसमृद्धि बढ़ती है। इस दिन प्रतिष्ठान का शुभारंभ, गृह प्रवेश व अन्य मंगलकार्य करना विशेष फलदायी रहता है।




विष्णु-लक्ष्मी की विशेष पूजा विधि

1.अक्षय तृतीया पर सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि के बाद घर के मंदिर में विष्णु जी और लक्ष्मी जी पूजा करें।

2. सबसे पहले गणेश पूजन करें। इसके बाद गाय के कच्चे दूध में केसर मिलाकर दक्षिणावर्ती शंख में भरकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमाओं का अभिषेक करें।

3. इसके बाद शंख में गंगाजल भरकर उससे भगवान विष्णु जी और देवी लक्ष्मी का अभिषेक करें।

4. भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी को लाल-पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। हार-फूल, इत्र आदि अर्पित करें। खीर, पीले फल या पीली मिठाई का भोग लगाएं।

5. पीपल में भगवान विष्णु का वास माना गया है। इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं। किसी मंदिर में या जरूरतमंद लोगों को अन्न-जल, जूते-चप्पल, वस्त्र, छाते का दान करें।

6. सूर्यास्त के बाद शालिग्राम के साथ ही तुलसी के सामने गाय के दूध से बने घी का दीपक जलाएं। अक्षय तृतीया पर किसी सामूहिक विवाह में धन राशि भेंट करें। किसी अनाथ बालिका की शिक्षा या उसके विवाह में आर्थिक मदद करें।