Bhadalya Navami 2025 Date: चातुर्मास 2025 कुछ दिनों बाद शुरू हो रहा है। 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू हो जाएगा और मुंडन विवाह जैसे संस्कार बंद होंगे। फिलहाल गुरु अस्त होने से मांगलिक कार्यों पर रोक है। लेकिन इस डेट को ऐसा अबूझ मुहूर्त है कि सभी काम में कोई दोष नहीं लगेगा। आइये जानते हैं अबूझ मुहूर्त भडल्या नवमी का महत्व
Vivah Ka Abujh Muhurat Before Chaturmas 2025: अजमेर की ज्योतिषी नीतिका शर्मा के अनुसार आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का सनातन धर्म में बड़ा महत्व है। यह तिथि भडल्या नवमी के नाम से जानी जाती है। यह तिथि अबूझ मुहूर्त मानी जाती है यानी भडल्या नवमी पर बिना किसी ज्योतिषीय सलाह के सभी प्रकार के शुभ कार्य कर सकते हैं। जानें कब है अबूझ भडल्या नवमी मुहूर्त (Bhadalya Navami 2025)
पंचांग के अनुसार भडल्या नवमी की शुरुआत 3 जुलाई को दोपहर में 2:07 बजे से होगी और इसका समापन अगले दिन 4 जुलाई को शाम 4:33 बजे होगा। उदया तिथि के अनुसार 4 जुलाई को भडल्या नवमी मनाई जाएगी। यह दिन अक्षय तृतीया की तरह शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
ज्योतिष में भडल्या नवमी स्वयंसिद्ध तिथि मानी जाती है। इस तिथि पर सभी प्रकार के शुभ कार्य कर सकते हैं। साथ ही शुभ कार्यों की शुरुआत कर सकते हैं। इसके लिए किसी ज्योतिष से सलाह लेने की आवश्यकता नहीं होती है।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार भडल्या नवमी इस सीजन का आखिरी विवाह मुहूर्त है। इस दिन आषाढ़ गुप्त नवरात्रि भी खत्म हो रही है। हालांकि इस समय गुरु अस्त चल रहे हैं, इसलिए मांगलिक कार्यों पर रोक लगी हुई है, फिर भी भडल्या नवमी को अबूझ मुहूर्त माने जाने से इस दिन काफी संख्या में विवाह होंगे।
इसके दो दिन बाद छह जुलाई को देवशयनी एकादशी के साथ चार महीने के लिए सभी मांगलिक कार्य थम जाएंगे, जो एक नवंबर को देवों के जागने के साथ शुरू होंगे।
अद्ये कस्यापि मूढत्वे शुभकर्म न दोषकृत्। द्वयो मूढत्व मे प्रोक्तं दोषदं गुरुशुक्रयो:।।
ज्योतिष विद्वानों और शास्त्र के अनुसार अबूझ मुहूर्त में किसी प्रकार का पंचांग या मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती है और इसमें गुरु या शुक्र तारा अस्त भी नहीं देखा जाता है।
इस नवमी पर गणेश जी, शिव जी और देवी दुर्गा की विशेष पूजा करनी चाहिए। जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, छाता, जूते-चप्पल, कपड़े का दान करना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य शर्मा के अनुसार देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत होती है। इसके बाद भगवान विष्णु के योग निद्रा में होने की वजह से अगले 4 महीने तक कोई भी मांगलिक काम नहीं किया जा सकता है।
ऐसे में चातुर्मास शुरू होने से पहले शुभ काम करने का अंतिम दिन भडल्या नवमी तिथि को होता है। इसके पहले 12 जून यानी पिछले करीब 1 महीने से विवाह के कारक ग्रह देव गुरु बृहस्पति मिथुन राशि में अस्त हैं। इनका उदय 9 जुलाई सुबह 4.54 बजे होगा।
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार इस वर्ष नवंबर में केवल सात दिन और दिसंबर में सिर्फ पांच दिन विवाह मुहूर्त हैं। 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक खरमास होने से विवाह नहीं हो सकेंगे। विवाह मुहूर्त 15 दिसंबर से चार फरवरी तक भी नहीं होंगे। शुक्र ग्रह के उदित होने के बाद पांच फरवरी से शुरुआत होगी।