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kajri teej 2018: तीज के दिन जरूर पढ़ें यह व्रत कथा, पति की लंबी आयु का मिलेगा वरदान

kajri teej 2018: तीज के दिन जरूर पढ़ें यह व्रत कथा, पति की लंबी आयु का मिलेगा वरदान

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Tanvi Sharma

Aug 28, 2018

kajri teej

kajri teej 2018: तीज के दिन जरूर पढ़ें यह व्रत कथा, पति की लंबी आयु का मिलेगा वरदान

हर साल भादो मास में कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज मनाई जाती है। वैसे साल में तीन बार तीज का त्यौहार मनया जाता है। सालभर में तीन तीज आती है जिसको लेकर महिलाओं में खासा उल्लास रहता है। इन तीन तीज, हरतालिका तीज, हरियाली तीज और कजरी तीज को सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र व कुंवारी कन्याएं अच्छे पति की कामना के लिए करती है। इस साल कजरी तीज 29 अगस्त 2018 को बुधवार के दिन मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है की कजरी तीज के दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए इन दिन व्रत किया था। कहा जाता है की मां पार्वती ने शिव जी को पाने के लिए कठोर तपस्या कि थी उसके बाद उन्हें भोलेनाथ प्राप्त हुए थे।

कजरी तीज की तिथि और शुभ मुहूर्त

29 अगस्त 2018 को रात्रि 21:40:13 पर तृतीया समाप्त

कजरी तीज व्रत एवं पूजन विधि

इस दिन निराजल व्रत रखा जाता है और फिर चंद्रोदय के बाद व्रत को खोला जाता है। कजरी तीज के दिन गाय की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। गाय को रोटी, गुड़, पालक इत्यादि स्वादिष्ट भोजन कराया जाता है। तीज के दिन महिलाएं एक जगह इकट्ठी होकर जरी गीत गाती हैं। इस दिन नीमड़ी माता की पूजा का विधान होता है। एक तालाब जैसा बना कर उसके पास नीम की टहनी को रोप दिया जाता है। तालाब में दुध और जल डालकर किनारे एक घी का दीपक जलाया जाता है। एक थाली में पुष्प, हल्दी, अक्षत इत्यादि रखते हैं। एक चांदी के गिलास में दूध भर लेते हैं फिर नीमड़ी माता की पूजा करते हैं। उनको अक्षत चढ़ा कर जल के छीटे देते हैं। उनको फल और द्रव्य चढ़ाते हैं। उस दीपक के उजाले को देखें और प्रणाम करें। अब चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्ध्य दें। चंद्रमा को दूध और जल चढ़ाएं। गेहूं के दाने भी हाथ में लेकर जल से अर्ध्य दे सकते हैं। अर्ध्य के बाद पति का चरण स्पर्श करने के बाद व्रत खोला जाता है।

कजरी तीज व्रत कथा

एक गांव में गरीब ब्राह्मण का परिवार रहता था। ब्राह्मण की पत्नी ने भाद्रपद महीने में आने वाली कजली तीज का व्रत रखा और ब्राह्मण से कहा, हे स्वामी आज मेरा तीज व्रत है। कहीं से मेरे लिए चने का सत्तू ले आइए। लेकिन ब्राह्मण ने परेशान होकर कहा कि मैं सत्तू कहां से लेकर आऊं भाग्यवान. इस पर ब्राहमण की पत्नी ने कहा कि मुझे किसी भी कीमत पर चने का सत्तू चाहिए। इतना सुनकर ब्राह्मण रात के समय घर से निकल पड़ा। वह सीधे साहूकार की दुकान में गया और चने की दाल, घी, शक्कर आदि मिलाकर सवा किलो सत्तू बना लिया। इतना करने के बाद ब्राह्मण अपनी पोटली बांधकर जाने लगा। तभी खटपट की आवाज सुनकर साहूूकार के नौकर जाग गए और वह चोर-चोर आवाज लगाने लगे। ब्राह्मण को उन्होंने पकड़ लिया। साहूकार भी वहां पहुंच गया। ब्राह्मण ने कहा कि मैं बहुत गरीब हूं और मेरी पत्नी ने आज तीज का व्रत रखा है। इसलिए मैंने यहां से सिर्फ सवा किलो का सत्तू बनाकर लिया है। ब्राह्मण की तलाशी ली गई तो सत्तू के अलावा कुछ भी नहीं निकला। उधर चांद निकल आया था और ब्राह्मण की पत्नी इंतजार कर रही थी। साहूकार ने कहा कि आज तुम्हारी पत्नी को मैं अपनी धर्म बहन मानूंगा। उसने ब्राह्मण को सातु, गहने, रुपये, मेहंदी, लच्छा और बहुत सारा धन देकर अच्छे से विदा किया।सबने मिलकर कजली माता की पूजा की। जिस तरह ब्राह्मण के दिन फिरे वैसे सबके दिन फिरे। कजली माता अपनी कृपा सब पर करें।