Sawan 2025 Lord Shiva Unique Look : सावन का पवित्र महीना जो 11 जुलाई से शुरू हो रहा है, शिव भक्तों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं। चारों ओर 'बोल बम' और 'हर हर महादेव' की गूंज सुनाई देगी और शिवालयों में भक्तों की लंबी कतारें दिखेंगी। देवों के देव महादेव (Lord Shiva) का स्वरूप जितना रहस्यमय है उतना ही मनमोहक भी। उनके शरीर पर भस्म, माथे पर चंद्रमा, जटाओं में गंगा और गले में विराजित नागदेव, ये सब उनके अद्भुत व्यक्तित्व का हिस्सा हैं। आइए, आज हम महादेव (Lord Shiva) के इस निराले श्रृंगार के पीछे छुपे गहरे अर्थों और पौराणिक कथाओं को जानते हैं।
महादेव (Lord Shiva) को 'भस्मभूषित' भी कहा जाता है क्योंकि वे अपने पूरे शरीर पर भस्म रमाते हैं। यह भस्म सिर्फ कोई साधारण राख नहीं बल्कि वैराग्य और नश्वरता का प्रतीक है। शिव पुराण के अनुसार, यह हमें याद दिलाती है कि यह संसार क्षणभंगुर है सब कुछ एक दिन राख में मिल जाएगा केवल आत्मा ही शाश्वत है। महादेव (Lord Shiva) इस श्रृंगार से यह संदेश देते हैं कि हमें सांसारिक मोह-माया को त्यागकर आत्मिक शांति और अध्यात्म की ओर बढ़ना चाहिए।
एक प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, जब माता सती ने दक्ष के यज्ञ में खुद को अग्नि को समर्पित कर दिया तब महादेव अत्यंत क्रोधित और शोकमग्न हो गए। वे सती के निष्प्राण शरीर को लेकर तीनों लोकों में घूमने लगे। भगवान विष्णु ने महादेव की पीड़ा को कम करने के लिए अपने चक्र से सती के शरीर के टुकड़े किए जो भस्म में बदल गए। महादेव ने इसी भस्म को अपने शरीर पर मल लिया जो उनकी अमर प्रेम और वैराग्य का प्रतीक बन गई।
एक और मान्यता यह भी है कि कैलाश पर्वत पर अत्यधिक ठंड होती है और महादेव (Lord Shiva) स्वयं को ठंड से बचाने के लिए भस्म का उपयोग करते हैं जो उनके तपस्वी जीवन का हिस्सा है। भस्म को नकारात्मक ऊर्जा से बचाने वाला और औषधीय गुणों से भरपूर भी माना जाता है।
भगवान शिव (Lord Shiva) को 'चंद्रशेखर' भी कहा जाता है क्योंकि उनके मस्तक पर चंद्रमा सुशोभित है। इसके पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। भागवत पुराण के अनुसार, चंद्रमा ने प्रजापति दक्ष की 27 पुत्रियों (जो कि नक्षत्रों का प्रतिनिधित्व करती हैं) से विवाह किया था। लेकिन चंद्रमा केवल रोहिणी को ही अधिक महत्व देते थे जिससे दक्ष क्रोधित हो गए और उन्होंने चंद्रमा को क्षय रोग का श्राप दे दिया। इस श्राप के कारण चंद्रमा का तेज घटने लगा और वे क्षीण होने लगे।
तब चंद्रमा ने महादेव की घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव (Lord Shiva) ने उन्हें अपने मस्तक पर धारण कर लिया। इससे चंद्रमा को क्षय रोग से मुक्ति मिली और उनका तेज वापस लौट आया। यह घटना दर्शाती है कि महादेव अपने भक्तों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं और उन्हें आश्रय प्रदान करते हैं।
भगवान शिव (Lord Shiva) को गंगाधर भी कहते हैं, क्योंकि पवित्रता की प्रतीक मां गंगा उनकी जटाओं में विराजती हैं। हरिवंश पुराण की कथा के अनुसार, जब भागीरथ अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए मां गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाना चाहते थे तब गंगा की प्रचंड धारा को नियंत्रित करना असंभव था। यदि गंगा सीधे पृथ्वी पर आतीं तो उनकी धारा से पूरी पृथ्वी बह जाती।
तब भागीरथ ने महादेव की तपस्या की। महादेव ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की और जब गंगा स्वर्ग से अवतरित हुईं तो उन्होंने अपनी जटाओं में उनकी प्रचंड धारा को समेट लिया। इसके बाद उन्होंने गंगा को छोटी-छोटी धाराओं में पृथ्वी पर प्रवाहित किया जिससे पृथ्वी का कल्याण हुआ। यह दर्शाता है कि महादेव किसी भी शक्ति को नियंत्रित करने और लोक कल्याण के लिए उसे सही दिशा देने में सक्षम हैं।
भोलेनाथ (Lord Shiva) को नागेंद्रहार' भी कहा जाता है, क्योंकि उनके गले में नागों के राजा वासुकी नाग विराजते हैं। यह महादेव के अद्भुत स्वरूप का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा है। शिव पुराण के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब देवता और असुर अमृत प्राप्त करने के लिए मंथन कर रहे थे, तब मंदराचल पर्वत को मथनी और नागराज वासुकी को रस्सी के रूप में इस्तेमाल किया गया था।
वासुकी ने अपनी निस्वार्थ भक्ति और सहयोग से इस महान कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें अपने गले में स्थान दिया और नागलोक का राजा भी बनाया। यह महादेव की दयालुता और हर प्राणी के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है, चाहे वह कितना भी छोटा या बड़ा क्यों न हो। नागदेव का महादेव के गले में होना यह भी दर्शाता है कि महादेव विष को भी धारण कर सकते हैं और उसे अमृत में बदल सकते हैं, जो उनके नियंत्रण और शक्ति का प्रतीक है।
महादेव (Lord Shiva) का हर श्रृंगार अपने आप में एक गहरा रहस्य और संदेश लिए हुए है। सावन के इस पवित्र महीने में महादेव के इस अद्भुत स्वरूप को समझना और उनके गुणों को अपने जीवन में उतारना ही सच्ची शिव भक्ति है। तो इस सावन, बोलिए 'हर हर महादेव' और महादेव के इन गहरे राजों को अपने जीवन में आत्मसात कीजिए।
Published on:
05 Jul 2025 02:50 pm