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आइरिस स्केनर मशीन नहीं स्केन कर पाई आंखों की पुतली

राशन को लेकर पॉश मशीन पर अंगूठा व अंगुलियों के निशान लगाने की परेशानी को देख सरकार ने आइरिस स्केनर मशीन की योजना शुरू की है।

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राशन डीलर उपभोक्ता को आइरिस स्केनर मशीन के सामने खड़ा कर आंखों की पुतलियों की स्केनिंग कर उसकी पहचान कर लेता था।

कोटपूतली (जयपुर)। कोटपूतली राशन दुकानों पर खाध सुरक्षा का गेहूं व अन्य राशन सामग्री वितरित करने के लिए पॉश मशीन पर अंगूठा व अंगुलियों के निशान लगाने में हो रही परेशानियों को देख सरकार ने आइरिस स्केनर मशीन की योजना शुरू की। तीन डीलरों के यहां मशीन लगाई थी, ताकि मशीन से आंखों की पुतली स्केन कर पात्र लोगों को राशन सामग्री वितरित की जा सके, योजना कारगर साबित नहीं होने से शुरुआत में ही दम तोड़ दिया।

इसलिए उठाया कदम-
कई उपभोक्ताओं के अंगूठा व अंगुलियां नहीं होने व कई उपभोक्ताओं के अंगुलियों व अंगूठे के निशान किन्हीं कारणों से पॉश मशीन से मैच नहीं होने से राशन सामग्री मिलने में परेशानी आ रही थी। कई बार उपभोक्ता एवं राशन डीलर में झगड़े की नौबत भी आ जाती थी। इस परेशानी को दूर करने के लिए इनकी आंखों की पुतली को स्केन कर कर पहचान करने के लिए यह कदम उठाया गया था।

तीन डीलरों को मिली थी मशीन-
पहले चरण में क्षेत्र में पांछूडाला, भांकरी व खेलना के राशन डीलर के यहां आइरिस स्केनर मशीन लगाई गई थी। मशीनें विभाग सूचना तकनीकी (डीआईटी) की ओर से लगाई गई थी। दूसरे चरण में उन राशन डीलरों के यहां मशीनें लगाई जानी थी, जहां पॉश मशीन पर अंगूठे के निशानी में अधिक परेशानी होती है। इन मशीनों ने शुरू में तो कार्य किया, लेकिन कुछ समय बाद कार्य करना बंद कर दिया। इस कारण रसद विभाग ने दूसरे डीलरों को मशीनों का वितरण नहीं किया। इस कारण पॉश मशीन से खाध सुरक्षा का गेहूं वितरित किया जा रहा है।

मशीन से की जानी थी स्केनिंग-
माना जाता है कि अंगूठे व अंगुलियों के निशान में पॉश मशीन को रीड करने में तकनीकी परेशानी हो सकती है, लेकिन आंखों की पुतलियों के निशान में इस तरह की कोई समस्या नहीं होगी। राशन डीलर उपभोक्ता को आइरिस स्केनर मशीन के सामने खड़ा कर आंखों की पुतलियों की स्केनिंग कर उसकी पहचान कर लेता था।

पारदर्शिता बढऩे का किया था दावा-
रसद विभाग अधिकारियों ने दावा किया था कि स्केनर मशीन लगाने से खाद्य सुरक्षा गेहूं वितरण में पारदिर्शता बढ़ेगी। पॉश मशीन पर उपभोक्ता का अंगुली या अंगूठे का निशान नहीं मिलने की स्थिति में अभी उपभोक्ता का विवरण रजिस्टर में एंट्री करके व उसके मोबाइल नम्बर के आधार पर गेहूं देना पड़ता है। कई बार डीलर को यह पता नहीं लग पाता है कि गेहूं दिया गया व्यक्तिस्वयं है या कोई और। आइरिस स्केनर लगने के बाद इसकी संभावना बहुत कम बताई गई थी, लेकिन स्केनर मशीन की योजना फ्लॉप हो गई।
इनका कहना है-
खाध सुरक्षा के प्रथम चरण में तीन डीलरों के यहां आइरिस स्केनर मशीनें लगाई गई थी, लेकिन मशीनों के कार्य नहीं करने से अन्य राशन डीलरों को वितरित नहीं की गई और अब पॉश मशीनों से ही राशन वितरित किया जा रहा है।
—कुशाल बिलाल, प्रवर्तन अधिकारी, रसद विभाग कोटपूतली