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ताज इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनेगा तो केवल आगरा में, जेवर में नहीं, जानिए नई बात

locationअगार मालवाPublished: May 06, 2018 06:03:55 pm

Submitted by:

Bhanu Pratap

इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय की मुख्‍य न्‍यायधीश की अध्‍यक्षता वाली पीठ के समक्ष ‘जनहित याचिका‘ के माध्‍यम से कानूनी लडाई भी लड़ी जा रही है।

राजीव सक्सेना

राजीव सक्सेना

आगरा। आगरा से 144 किलोमीटर दूर जेवर में एय़रपोर्ट बनाया जा रहा है। इसका नाम रखा गया था ताज इंटरनेशनल एयरपोर्ट। किसी भी राजनीतिज्ञ ने इसकी चिन्ता नहीं की कि ताजमहल के नाम क्यों लिया जा रहा है। सिविल सोसाइटी ने बीड़ा उठाया। इसके खिलाफ अभियान चलाया। इसके बाद भारत सरकार ने जेवर में बनाये वाले एयरपोर्ट के लिये ‘ताज इंटरनेशनल एयरपोर्ट‘ का नाम का इस्‍तेमाल बन्‍द कर दिया है। दिल्‍ली में केन्‍द्र सरकार की क्‍लीयरेंस और उत्तर प्रदेश शासन की जेवर एयरपोर्ट प्रोजेक्‍ट को लेकर हुई नवीनतम बैठक में जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट नाम का ही इस्‍तेमाल हुआ।
अभियान चलाया था

यह जानकरी सिविल सोसाइटी के सचिव अनिल शर्मा और राजीव सक्सेना ने दी। उन्होंने बताया कि पहले हुई बैठकों और केन्द्रीय मंत्री जेवर के ग्रीनफील्‍ड प्रोजेक्‍ट को ताज इंटरनेशनल एयरपोर्ट नाम से ही संबोधित करते रहे थे। आगरा के राजनीतिज्ञ तथा ट्रेड लीडर्स तक जेवर एयरपोर्ट प्रोजेक्‍ट को लेकर होने वाली चर्चाओं में ताज इंटरनेशनल प्रोजेक्‍ट के हाथ से चले जाने की बात कहकर अफसोस जताते रहे थे। यह करिश्‍मा एक दिन में नहीं हुआ। इसके लिए सिविल सोसायटी आगरा ने अभियान चलाया था।
हाईकोर्ट में जनहित याचिका

इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय की मुख्‍य न्‍यायधीश की अध्‍यक्षता वाली पीठ के समक्ष ‘जनहित याचिका‘ के माध्‍यम से कानूनी लडाई भी लड़ी जा रही है। इसमें प्रदेश के एडवोकेट जनरल को जवाब देना है कि ताजमहल आगरा में है, फिर क्‍यों उसके नाम पर 144 किमी दूरी पर बनाये जाने वाले हवाई अड्डे का नाम ‘ताज इंटरनेशनल एयरपोर्ट’ रखा जा रहा है। यही नहीं, इस जनहित याचिका के माध्‍यम से सिविल सोसायटी आगरा की ओर से यह भी जानने का प्रयास किया गया है कि जब जेवर में एयरपोर्ट नेशनल कैपिटल जोन की जरूरतों को पूरा करने के लिये बनाया बताया जा रहा है, तो फिर ताजमहल का नाम क्‍यों घसीटा जा रहा है?
पर्यटक भ्रमित नहीं होगा

सिविल टर्मिनल आगरा के संबध में विचराधीन याचिका में जिन बिन्‍दुओं में सरकार को जबाब देना है उनमें विश्‍व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की वह अंतरराष्ट्रीय नीतिगत सहमति भी है, जिसके तहत बौद्धिक और उत्‍पाद विशेष की स्‍थानीयता को खास महत्‍व दिया जाना स्‍वीकारा गया है। भारत सरकार इसके प्रति प्रतिबद्ध है। यही नहीं केन्‍द्र और राज्‍यों की सरकार पेड़ा, बरफी, ताला आदि के लिए स्‍थानीय महत्‍ता का कैम्पेन चला रही है। वहीं दूसरी ओर ताजमहल की लोकेशन को लेकर भ्रमित किया जा रहा है। खुशी इस बात की है कि केन्द्र सरकार ने बात मान ली है। कम से कम ताजमहल की लोकेशन को लेकर टूरिस्‍ट महज भ्रम के कारण 144 कि.मी. दूर लैंड करने को बाध्‍य नहीं होगा।
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