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अटल बिहारी वाजपेयी के पंचतत्व में विलीन होते ही बटेश्वर के शरीर से आत्मा का लोप हो गया, देखें वीडियो

बटेश्वर में लोग टीवी पर अंतिम संस्कार का लाइव प्रसारण देख रहे थे, लेकिन बीच में बिजली काट दी गई

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Atal bihari Vajpayee

Atal bihari Vajpayee

आगरा। भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का पार्थिव शरीर दिल्ली में पंचतत्व में विलीन हो गया। इसके साथ ही बटेश्वर शोक के सागर में मानो डूब गया। बटेश्वर के लोगों का कहना है कि अटल बिहारी वाजपेयी के जाने से बटेश्वर के शरीर से आत्मा का लोप हो गया है। बटेश्वर रो रहा है। हालत ठीक नहीं है। बटेश्वर में लोग टीवी पर अंतिम संस्कार का लाइव प्रसारण देख रहे थे, लेकिन बीच में बिजली काट दी गई। इस कारण लोगों ने गुस्सा प्रकट किया। गांव में भागवत हो रही थी, जहां जयकारे नहीं लगाए गए। बटेश्वर से कई लोग दिल्ली जाकर अंत्येष्टि में शामिल हुए।

बटेश्वर गौरवान्वित

पत्रिका ने दूसरे दिन बटेश्वर जाकर लोगों से बातचीत की। राम सिंह आजाद ने बताया कि अटल बिहार वाजपेयी ने बटेश्वर की मिट्टी को बहुत बड़ी पहचान दी है। पूरा बटेश्वर गौरवान्वित है। वे त्यागी और संस्कारित थे। आने वाली सरकारें उनके बताए हुए रास्ते पर चलें, यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

यह चाहते हैं बटेश्वर के लोग

उन्होंने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी गांव के रिश्ते में ताऊ हैं। जन्म ग्वालियर में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा यहीं पर हुई । 12 से 14 साल तक यहां पर रहे हैं। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भूमिका रही। उस दिन बटेश्वर में जुलूस निकालकर अगुआई की थी। जंगलात की कोठी पर तिरंगा फहराया था। इसका खामियाजा पूरे गांव को भुगतना पड़ा था। अंग्रेजों ने पूरे गांव पर जुर्माना लगाया था।

IMAGE CREDIT: bateshwar

क्या होना चाहिए

उनके आवास को यादगार बनाएं। पुस्तकालय बनाएं। जंगलात कोठी को राष्ट्रीय स्मारक बनाया जाए। इससे आने वाली पीढ़ी कुछ सीख सकती है। हमें बड़ी आशाएं थीं। बटेश्वर को रेल से जोड़ा। अटल बिहारी वाजपेयी की सोच थी कि बटेश्वर के टीलों में इतिहास सो रहा है। पुरातत्व विभाग खुदाई करे तो बटेश्वर को विश्व के मानचित्र पर स्थापित किया जा सकता है। इससे सरकार को राजस्व भी मिलेगा।

पूरे देश को परिवार मानते थे

अटल बिहारी वाजपेयी के भतीजे सुनील वाजपेयी ने वह कुआं दिखाया, जहां से अटल बिहारी वाजपेयी पानी भरा करते थे। यमुना में नहाते थे। उन्होंने अपने परिवार को ओर कभी ध्यान नहीं दिया, इसका कारण यह था कि वे पूरे देश को अपना परिवार समझते थे। वे हमेशा कहते थे कि आप ही नहीं, बल्कि पूरा देश परिवार है। सबसे मधुर व्यवहार था। उन्होंने कहा कि अब बचा ही क्या है। सबकुछ खो गया है।