
Chaudhry Bashir
आगरा। 2002-03 से वर्ष 2006-07 की अवधि में मुलायम सिंह यादव की सरकार में मंंत्री रहे मुस्लिम नेता चौधरी बशीर की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने पूर्व राज्यमंत्री चौधरी बशरी के विरुद्ध आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत अभियोजन चलाने की मंजूरी दे दी है। चौधरी बशीर को लोकायुक्त ने दोषी पाते हुये 26 सितम्बर, 2007 को प्रदेश शासन को रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। चौधरी बशीर विधायक निधि के घोटाले में फंसे हैं।
ये था पूरा मामला
चौधरी मोहम्मद बशीर के विरुद्ध वर्ष 2002-03 से वर्ष 2006-07 की अवधि में मुलायम सिंह यादव की सरकार में मंत्री रहे। इस कार्यकाल में उनके खिलाफ आगरा में विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रबंधकों एवं अधिकारियों की मिलीभगत से बिना विद्यालय निर्माण कराए विधायक निधि से करोड़ो रुपये जारी कर गबन करने का आरोप था, जिसकी शिकायत लोकायुक्त से की गई थी। लोकायुक्त ने चौधरी बशीर एवं अन्य को दोषी पाते हुए 26 सितंबर 2007 को शासन को रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिस पर कार्रवाई करते हुए शासन ने 30 जनवरी 2008 को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के निर्देश दिए थे। चौधरी बशीर एवं अन्य 4 के कूटरचना करने, धोखाधड़ी व आपराधिक साजिश के अलावा भ्रष्टाचार की रिपोर्ट दर्ज की गई।
जांच में आरोप पाये गये सही
उत्तर प्रदेश सर्तकता अधिष्ठान आगरा द्वारा चौधरी मोहम्मद बशीर व अन्य 4 के विरुद्ध की गई जांच में आरोपों को सही पाया गया। सतर्कता अधिष्ठान ने अपनी रिपोर्ट 9 मई 2014 को उत्तर प्रदेश शासन को भेजी थी। राज्य सरकार ने चौधरी मोहम्मद बशीर द्वारा वित्तीय वर्ष 2002-03 से 2006-07 के दौरान विधायक, राज्यमंत्री उत्तर प्रदेश के रूप में विधायक निधि से 1 करोड़ 42 लाख 29600 रुपये के गबन के संबंध में राज्यपाल से मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी।
Published on:
10 Oct 2018 07:05 am
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