
jail ke bacche
आगरा। स्कूल की चमकती यूनीफॉर्म, पैरों में चमचमाते जूते, नए बस्ते में नई किताबें और जेल से चलकर सीधे इंग्लिश मीडियम स्कूल। जेल में मां की ममता की छांव में पल रहे थे लेकिन, पढ़ भी सकेंगे। प्रदेश के लिए कुछ ऐसी ही नजीर बनेगी आगरा की जिला जेल। महिला बंदियों के बच्चों का भविष्य अब उज्जवल हो सकेगा। ऐसा मुमकिन हो सका एक प्रयास से, अभी छह बच्चे राइट टू एजूकेशन के तहत इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ने जाएंगे।
छह बच्चे जाएंगे इंग्लिश मीडियम स्कूल
आगरा की जिला जेल में कई महिला बंदी हैं। मासूम बच्चे जिन्हें अपराध की परिभाषा भी नहीं मालूम जेल में मां के साथ बिना कुछ किए की सजा भुगत रहे हैं। ऐसे बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए प्रयास किए महफूस संस्था ने। महफूज संस्था के पदाधिकारी नरेश पारस ने आगरा की जेल में बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक की नियुक्ति कराई। बीएसए आगरा द्वारा एक शिक्षक की नियुक्ति यहां बच्चों को पढ़ाने के लिए की गई। इसके बाद संस्था द्वारा बच्चों की अच्छी गुणवत्ता परख शिक्षा के लिए प्रयास शुरू हुए। जेल प्रशासन ने बच्चों की पढ़ाई के लिए रुचि लेते हुए आरटीई में दाखिला के लिए प्रयास शुरू किए। जेल प्रशासन के प्रयास के बाद आरटीई के तहत दाखिला मिला। पहले जेल में बंद बच्चों की शिक्षा के लिए कोई प्रयास नहीं था। लेकिन, महफूज संस्था के प्रयास के बाद जेल प्रशासन ने रुचि दिखाई। अब ये बच्चे जुलाई सत्र से इंग्लिश मीडियम स्कूल में शिक्षा ग्रहण करेंगे।
नए सत्र में इंग्लिश मीडियम स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए जा सकेंगे
जेल में मां के साथ रहने वाले मासूम बच्चों की शिक्षा के लिए राइट टू एजूकेशन का इस्तेमाल किया गया। आरअीई के तहत छह बच्चों का एडमीशन इंग्लिश मीडियम स्कूल में हो गया। इसके बाद ये बच्चे नए सत्र में इंग्लिश मीडियम स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए जा सकेंगे। ये बच्चे भी कांवेंट स्कूल के बच्चों के साथ बस्ता, किताबें, यूनीफॉर्म आदि लेकर पढ़ेंगे, आगरा जेल के बच्चे पूरे प्रदेश के लिए मिसाल पेश करेंगे। ताकि और जेलों में भी ये सुविधा मुहैया हो सके। जिला जेल में इससे पहले ऐसी पहल नहीं हुई है। जेल में मां के साथ रह रहे बच्चों को कांवेंट स्कूल में पढ़ने का मौका मिलेगा, जिससे उनका भविष्य सुनहरा होगा।
Published on:
28 May 2018 12:16 pm
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