
आगरा। संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर का ताजमहल के शहर आगरा से गहरा नाता था। वे दो बार आगरा आए। भदंत ज्ञान रत्न ने बताया कि बाबा साहब की नजर में आगरा बहुत अहम था। वह मानते थे कि पंजाब, महाराष्ट्र के बाद आगरा दलितों का सबसे बड़ा गढ़ है। पहली बार आगरा आगमन में ही डॉ. अंबेडकर ने भांप लिया था कि आगरा दलित आन्दोलन में मील का पत्थर साबित होगा।
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जताई थी ये इच्छा
आगरा में अपने ऐतिहासिक भाषण में बौद्ध धर्म को ग्रहण करने की इच्छा जताते डॉ. अंबेडकर ने कहा था कि मैं जिस धर्म को आपको दे रहा हूं, उसका आधारा बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय है। इसमें आत्मा परमात्मा का बखेड़ा नहीं है, न ही खुदा का झगड़ा है, इसमें मानव मात्र का कल्याण है। इसमें समानता, भाईचारा, न्याय और मानवता की सेवा भावना भरी हुई है। इसका आधार असमानता नहीं है। बुद्ध का धम्म इसी भारत की पवित्र भूमि का है।
जनवरी 1957 में लाई गई थीं अस्थियां
डॉ. भीमराव अम्बेडकर के पुत्र यशवंत राय अम्बेडकर जनवरी 1957 में अस्थियों का कलश लेकर आगरा पहुंचे थे। वे राजामंडी पर आए, इसके बाद राजामंडी पर उनका स्वागत किया गया। हजारों की संख्या में जनसमूह वहां उपस्थित था। कलश लेकर वे बौद्ध बिहार चक्की पाट पर पहुंचे, जहां अस्थि कलश को रखा गया ।
Published on:
06 Dec 2019 03:14 pm
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